tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post5939450527172351920..comments2024-01-18T18:37:01.064+05:30Comments on शब्दों का सफर: उदाहरण स्वरूप अपहरण और मनहरणअजित वडनेरकरhttp://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comBlogger18125tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-26285248933797500472010-03-28T01:25:21.877+05:302010-03-28T01:25:21.877+05:30शायद इस गलती से अब ये शब्द तो कभी नहीं भूलेगा...शायद इस गलती से अब ये शब्द तो कभी नहीं भूलेगा...Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय)https://www.blogger.com/profile/01559824889850765136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-39330535912654381862010-03-28T01:24:15.152+05:302010-03-28T01:24:15.152+05:30ओह!! मुझे लगा की मेरे बेसिक्स खराब हैं.. करेक्शंस ...ओह!! मुझे लगा की मेरे बेसिक्स खराब हैं.. करेक्शंस के लिए आभार..Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय)https://www.blogger.com/profile/01559824889850765136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-67760992648908070132010-03-28T01:04:52.248+05:302010-03-28T01:04:52.248+05:30पंकज भाई,
जल्दबाजी न करें। मैने यह भी लिखा है कि म...पंकज भाई,<br />जल्दबाजी न करें। मैने यह भी लिखा है कि मनुहार में मूलतः आत्मीय आग्रह का ही भाव समाविष्ट है और यही अब व्यवहार में आता है। सो मनुहार शब्द आग्रह भी है और चापलूसी भी। उदाहरण देखें-<br />1-अब हमसे इतनी मनुहार नहीं होती। माने तो ठीक नहीं तो भाड़ में जाएं....(चापलूसी)<br />2-आशीर्वाद देने ही आ जाएं, चाहे भोजन न करें, इतनी ही मनुहार है (आत्मीय आग्रह)अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-51643930405525269772010-03-27T23:41:50.037+05:302010-03-27T23:41:50.037+05:30’मनुहार लगाना’ सुना था लेकिन मुझे नही पता था कि इस...’मनुहार लगाना’ सुना था लेकिन मुझे नही पता था कि इसका अर्थ चापलूसी के लिये आता है.. आपकी जानकारी ने बचा लिया..<br /><br />किसी ऎड मे देखा है..<br />’जानकारी ही बचाव है’...Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय)https://www.blogger.com/profile/01559824889850765136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-53924287167375728562010-03-27T14:07:50.275+05:302010-03-27T14:07:50.275+05:30वाह इस हृ की धातुओं ने तो वाकई मन हर लियावाह इस हृ की धातुओं ने तो वाकई मन हर लियानीलिमा सुखीजा अरोड़ाhttps://www.blogger.com/profile/14754898614595529685noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-68214905140729939172010-03-26T20:13:20.328+05:302010-03-26T20:13:20.328+05:30आजकल मनुहार पत्रिका का फ़ैशन चल रहा है .आजकल मनुहार पत्रिका का फ़ैशन चल रहा है .dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }https://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-90159461225504183882010-03-26T15:43:56.694+05:302010-03-26T15:43:56.694+05:30मनहर विवेचना...
आभार..मनहर विवेचना...<br /><br />आभार..रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-61910106958166010302010-03-26T12:57:18.750+05:302010-03-26T12:57:18.750+05:30ज्ञानवर्धक जानकारी ।ज्ञानवर्धक जानकारी ।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-31566573633736228392010-03-26T11:55:45.402+05:302010-03-26T11:55:45.402+05:30आपका बहुत शुक्रिया इतनी सुंदर जानकारी के लिए .आपका बहुत शुक्रिया इतनी सुंदर जानकारी के लिए .सुशीला पुरीhttps://www.blogger.com/profile/18122925656609079793noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-80736712531645643432010-03-26T09:50:26.265+05:302010-03-26T09:50:26.265+05:30मनुहार का दूसरा अर्थ आज जाना.मनुहार का दूसरा अर्थ आज जाना.किरण राजपुरोहित नितिलाhttps://www.blogger.com/profile/13893981409993606519noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-11020520996560490482010-03-26T07:48:51.645+05:302010-03-26T07:48:51.645+05:30हरण महत्वपूर्ण शब्द है। पर इस के उपयोग में बहुत वि...हरण महत्वपूर्ण शब्द है। पर इस के उपयोग में बहुत विविधता है। जब जबरन कुछ हर लिया जाता है तब भी और जब कोई स्वतः ही हार जाता है तब भी।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-77063299812564071032010-03-26T07:12:16.666+05:302010-03-26T07:12:16.666+05:30एक और बढ़िया जानकारी
आभारएक और बढ़िया जानकारी<br />आभारAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-15875813912007148452010-03-26T05:14:30.750+05:302010-03-26T05:14:30.750+05:30बहुत बढ़िया और जानकारीपूर्ण.बहुत बढ़िया और जानकारीपूर्ण.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-52439805421994506512010-03-26T04:10:46.826+05:302010-03-26T04:10:46.826+05:30उदाहरण के लिये जब मनहरण के अपहरण का समाहार हुआ.......उदाहरण के लिये जब मनहरण के अपहरण का समाहार हुआ....<br /><br />बढिया लगा यह एपिसोडशरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-68272182086789809252010-03-26T03:36:52.743+05:302010-03-26T03:36:52.743+05:30वाह! क्या बात है...बेहतरीन जानकारी....बचपन की याद ...वाह! क्या बात है...बेहतरीन जानकारी....बचपन की याद आ गई जब आचार्य जी संस्कृत की क्लास में संधियां और शब्द-धातु रूप पढ़ाते थे...<br />आलोक साहिलआलोकसिंह साहिलnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-6872080940074390462010-03-26T03:18:27.552+05:302010-03-26T03:18:27.552+05:30कुछ घोटाला हो रहा है... कमेंट लिखा तो गायब हो गया।...कुछ घोटाला हो रहा है... कमेंट लिखा तो गायब हो गया।Sanjay Kareerhttp://www.dailyhindinews.com/2010/03/24/ramnavami-special-story/noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-45082602491992828132010-03-26T03:14:25.183+05:302010-03-26T03:14:25.183+05:30उद् + हृ ...उच्चारण करने में ही जुबान एंठ गई .......उद् + हृ ...उच्चारण करने में ही जुबान एंठ गई .... मगर सही कर लिया। कठिन शब्दों की सरल व्याख्या। उत्तम है।Sanjay Kareerhttp://www.dailyhindinews.com/2010/03/24/ramnavami-special-story/noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-35283170168877265352010-03-26T03:14:18.025+05:302010-03-26T03:14:18.025+05:30वाह! क्या बात है...बेहतरीन जानकारी....बचपन की याद ...वाह! क्या बात है...बेहतरीन जानकारी....बचपन की याद आ गई जब आचार्य जी संस्कृत की क्लास में संधियां और शब्द-धातु रूप पढ़ाते थे...<br />आलोक साहिलआलोक साहिलhttps://www.blogger.com/profile/07273857599206518431noreply@blogger.com