tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post6013517235277575858..comments2024-01-18T18:37:01.064+05:30Comments on शब्दों का सफर: अजगर करे न चाकरी…अजित वडनेरकरhttp://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-61986763245277914982010-05-23T21:04:28.682+05:302010-05-23T21:04:28.682+05:30मै अजगर करे ना चाकरी पंछी करे ना काम से ही प्रेरित...मै अजगर करे ना चाकरी पंछी करे ना काम से ही प्रेरित हूँ . दबंगई और निक्कमापन भी हावी है .dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }https://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-67363787104323454032010-05-23T17:55:14.318+05:302010-05-23T17:55:14.318+05:30बहुत शानदार विश्लेषण, और क्या?
टिप्पणियाँ चेंपने ...बहुत शानदार विश्लेषण, और क्या?<br /><br />टिप्पणियाँ चेंपने के मामले में अजगरी आलस्य का शिकार हो गया हूँ। :)सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-59408111861539632702010-05-23T11:08:00.873+05:302010-05-23T11:08:00.873+05:30@अरविंद मिश्र
सार रूप में आपने जितने सुंदर ढंग से ...@अरविंद मिश्र<br />सार रूप में आपने जितने सुंदर ढंग से दोनों चिंतन धाराओं का मूलार्थ संदर्भ समेत समझा दिया, अब और क्या समग्रता से उल्ले!!! अब मुझे यही करना है कि इसे प्रसाद रूप में ग्रहण करूं और अगले संशोधन के वक्त इसे पोस्ट में सजा दूं....:)<br />बहुत आभार....अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-68954703983094189222010-05-23T09:05:21.062+05:302010-05-23T09:05:21.062+05:30चाकरी कर रहे है अब अजगर,
छोड़ देते है अब, सिर्फ डस...चाकरी कर रहे है अब अजगर,<br />छोड़ देते है अब, सिर्फ डसकर,<br />'तहलका' का शिकार है वे भी,<br />अब हड़पते नहीं है वो खुलकर.<br /><br />-मंसूर अली हाश्मीMansoor ali Hashmihttps://www.blogger.com/profile/09018351936262646974noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-89669301114808916622010-05-23T08:16:46.194+05:302010-05-23T08:16:46.194+05:30dunno why after reading the post, a thought flashe...dunno why after reading the post, a thought flashed in my mind.<br /><br />"ajgar kare na..." suits well on 50 % govt. employeesZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-29342463576663147632010-05-23T07:14:14.093+05:302010-05-23T07:14:14.093+05:30दबंगई के साथ बहुत कुछ हड़पने के बाद एक किस्म की नि...दबंगई के साथ बहुत कुछ हड़पने के बाद एक किस्म की निष्क्रियता आनी स्वाभाविक है। हालांकि अजगरी निष्क्रियता में दानिशमंदों को बेवकूफी भी नजर आती है जिसके चलते कई अजगर अपने सुखोपभोग से ही नहीं, जान से भी जाते रहे हैं....<br />अजगर का सन्दर्भ देते हुए दार्शनिक चिंतन ....अगली रिश्तेदारियों को जानने की उत्सुकता हो गयी है ..!!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-67387404917627655762010-05-23T06:57:57.222+05:302010-05-23T06:57:57.222+05:30अजगरी निष्क्रीयता उस की दैहिक विवशता है।अजगरी निष्क्रीयता उस की दैहिक विवशता है।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-68223474732317094242010-05-23T06:10:48.226+05:302010-05-23T06:10:48.226+05:30लाजवाब ! एक बहुत महत्वपूर्ण पहलू छूट गया है जिसका ...लाजवाब ! एक बहुत महत्वपूर्ण पहलू छूट गया है जिसका सम्बन्ध दार्शनिकता या यूं कहें कि जीवन जीने के दर्शन से है -दास मलूक सनातन चिंतन की उस धारा को इंगित कर रहे हैं जो भाग्यवाद को प्रश्रय देती है कर्मवाद को नहीं ....होयिहैं वही जो राम रचि राखा ......गीता के अवतरण ने इन विचारों पर लगाम तो लगाई लेकिन कर्ता के करने के दंभ को उसने भी यह कहकर नकार दिया कि तुम केवल निमित्त मात्र हो ....भारतीय मनीषा की ये दोनों चिंतन धाराएं -कर्मवाद और भाग्यवाद आज भी बराबरी से सीना चौड़ा किये लोकमानस को अनुप्राणित किये हुए हैं ...मैं कभी इस चर्चा को समग्रता में इस ब्लॉग पर देखने का आकांक्षी हूँ !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-54382002122904886212010-05-23T06:06:07.200+05:302010-05-23T06:06:07.200+05:30वाह!वाह!देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-85044760367619553862010-05-23T02:33:28.346+05:302010-05-23T02:33:28.346+05:30वाह! बड़ी लिंग्विस्टिकल पोस्ट......वाह! बड़ी लिंग्विस्टिकल पोस्ट......Satish Chandra Satyarthihttps://www.blogger.com/profile/09469779125852740541noreply@blogger.com