tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post6895149721201646054..comments2024-01-18T18:37:01.064+05:30Comments on शब्दों का सफर: गोत्र यानी गायों का समूहअजित वडनेरकरhttp://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-85599747680871444322012-12-08T11:34:52.015+05:302012-12-08T11:34:52.015+05:30शुक्रिया बेनामी जी । दिक्कत न हो तो अपना नाम भी लि...शुक्रिया बेनामी जी । दिक्कत न हो तो अपना नाम भी लिखा करें । शब्दों का सफ़र ऐसी ही दिलचस्प जानकारियों की साझेदारी का सैर-सपाटा है ।<br />नामपुराण की भी सभी कड़ियाँ ज़रूर देखें । <br />अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-25373444377774436222012-12-08T11:09:56.676+05:302012-12-08T11:09:56.676+05:30बहोत अछि पोस्ट है आपकी , ज्ञान से ही ढोग पाखंड का ...बहोत अछि पोस्ट है आपकी , ज्ञान से ही ढोग पाखंड का अंत किया जा सकता है | ऐसी ही जानकारिय लिखा करें |Unknownhttps://www.blogger.com/profile/00900138302072417644noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-48361649388750470362008-04-05T05:54:00.000+05:302008-04-05T05:54:00.000+05:30कल यह पोस्ट पढ़ने से रह गई थी, आज की पोस्ट पढ़ कर ...कल यह पोस्ट पढ़ने से रह गई थी, आज की पोस्ट पढ़ कर इस पर लौटा हूँ। डॉ. चन्द्र कुमार जी की टिप्पणी उन के इस विषय के ज्ञान को प्रदर्शित करती है। उन से आग्रह है कि वे ही इस गोष्ठी को आगे बढ़ाएं।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-12206674736651626962008-04-04T21:22:00.000+05:302008-04-04T21:22:00.000+05:30चर्चा गंभीर हो चली है. ऐसे गूढ़ विषय में हम तो सिर्...चर्चा गंभीर हो चली है. ऐसे गूढ़ विषय में हम तो सिर्फ़ विद्यार्थी की हैसियत रखते हैं. प्रश्न पूछते हैं: गंगोत्री, यमुनोत्री आदि में जो ओत्री आता है क्या उसका अर्थ 'प्रारम्भ' से लगाया जाए? कुछ सम्बन्ध गोत्र से भी बनता है क्या?<BR/><BR/>बाकी, हमेशा की तरह बढ़िया पोस्ट है. इस तरह की जानकारियां दिमाग के लिए कुछ ठोस भोजन का प्रबंध कर देती हैं जबकि जंक फ़ूड की बहुतायत अधिकांश जगह हो.Ghost Busterhttps://www.blogger.com/profile/02298445921360730184noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-57990289616829707042008-04-04T20:42:00.000+05:302008-04-04T20:42:00.000+05:30अजित जी,आपकी इस पोस्ट में सार रूप में बड़ी काम की ...अजित जी,<BR/>आपकी इस पोस्ट में सार रूप में <BR/>बड़ी काम की बात कह दी गई है.<BR/>गोत्र और गौशाला के अंतरसंबंध की पड़ताल <BR/>दरअसल आम जानकार के बस की बात नहीं है .<BR/> <BR/>गुरुकुलों और ऋषिकुलों में ब्रह्मचारियों को <BR/>गुरु की सेवा तथा यज्ञ समिधा एकत्र करने के अतिरिक्त <BR/>गुरु की गायों की सेवा भी करनी पड़ती थी.<BR/>इस प्रकार आश्रम के विद्यार्थी <BR/>आभीर-कर्म (डेयरी-फार्मिंग )<BR/>का प्रशिक्षण भी प्राप्त कर लेते थे.<BR/>इस परिश्रम से स्वास्थ्य-लाभ भी होता था .<BR/>आज फुटबॉल और क्रिकेट के दीवानों को इस पर भी <BR/>गौर करना चाहिए !!!<BR/> <BR/><BR/>रहा प्रश्न गोत्र का तो आर्य-संकृति में गोत्र का <BR/>विचार महत्वपूर्ण रहा है.<BR/>वैदिककालीन साजात्य- व्यवस्था <BR/>के मूल में कुल और गोत्र ही थे.<BR/>मूल सात गोत्र माने जाते थे. <BR/>मंडलद्रष्टा ऋषियों के नाम पर गोत्र का उल्लेख मिलता है ,<BR/>जिनमें से दो का ज़िक्र आपने किया है .<BR/>अन्य भार्गव, आंगीरस, आत्रेय,विश्वामित्र आदि हैं.<BR/><BR/>इसी तरह वैदिक काल में गोष्ठ के लिए सम्मेल , <BR/>गोत्र के लिए बिरादरी का प्रयोग भी मिलता है .<BR/><BR/>लगता है गोष्ठी लंबी हो गई !!!<BR/>इसलिए साभार .... बस इतना ही .Dr. Chandra Kumar Jainhttps://www.blogger.com/profile/02585134472703241090noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-27246786097075982072008-04-04T18:24:00.000+05:302008-04-04T18:24:00.000+05:30hmm interestinghmm interestingAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-86134652071263549602008-04-04T15:21:00.000+05:302008-04-04T15:21:00.000+05:30चंद्रभूषण जी से सहमत हूं, वाकई पोस्ट पढ़ते ही लगा क...चंद्रभूषण जी से सहमत हूं, वाकई पोस्ट पढ़ते ही लगा कि आपने बहुत ही जल्दी समेट दिया है!!<BR/>संभव हो गोत्र में मामले मे विस्तृत व्याख्या करें, निवेदन है!!Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-35650954826351731402008-04-04T14:06:00.000+05:302008-04-04T14:06:00.000+05:30पोस्ट विचारोत्तेजक है लेकिन व्याख्या में अजित जी क...पोस्ट विचारोत्तेजक है लेकिन व्याख्या में अजित जी कुछ जल्दबाजी कर गए से लगते हैं। गोत्र जिस जमाने में उदित हुए, उस समय गोशाला तो क्या शायद कैसी भी शाला न होती रही हो। इस शब्द का संबंध जीवन से है, शिक्षा से नहीं। इसकी पुष्टि इस बात से भी होती है कि गोत्र सभी भारतीय जातियों में मिलते हैं, भले ही विधि-विधान में उनके पास शिक्षा का अधिकार रहा हो या न रहा हो।<BR/><BR/>दरअसल गोत्र से मिलता-जुलता एक शब्द गांवों में अब भी इस्तेमाल होता है- गोठ या गोंठ, जिसका एक मतलब चौपायों को बांधने की जगह वाला भी होता है, लेकिन दूसरा मतलब ज्यादा दिलचस्प है। औरतों के कुछ खास सामूहिक व्रतों में गाय के ताजे गोबर से एक घेरा बनाया जाता है, जिसमें बैठकर वे पांच या सात कहानियां सुनती हैं। इस शब्द से प्रेरणा लेकर मैं गोत्र शब्द का सामान्य अर्थ किसी खास कबीले के प्रभाव क्षेत्र से लगाता हूं। <BR/><BR/>गहलावत या गहलौत गोत्र, यानी गहलौत कबीले का दायरा, जिसमें आने वाले सारे लोगों की पहचान इस गोत्र की ही होती है। आपको शायद यह जानकर आश्चर्य हो कि उत्तर भारत की कई जातियों के गोत्र साझा हुआ करते हैं। मसलन, पंवार गोत्र जाटों, गूजरों और जाटवों, तीनों का (शायद राजपूतों का भी) हुआ करता है। इसी तरह राजस्थान के कांग्रेसी नेता अशोक गहलौत माली बिरादरी से आते हैं लेकिन दिल्ली के मेरे एक राजनीतिक मित्र प्रेम सिंह गहलौत जाट हैं।चंद्रभूषणhttps://www.blogger.com/profile/11191795645421335349noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-68622225572651476682008-04-04T12:55:00.000+05:302008-04-04T12:55:00.000+05:30याने गर्ग गोत्री मतलब गर्ग ऋषि की गायों को पालने व...याने गर्ग गोत्री मतलब गर्ग ऋषि की गायों को पालने वाले - बहुत सही जानकारी - अब देखिये कल्पना की उड़ान - इस बात का एक मतलब यह कि गोत्र शिष्यों का होगा - जन्म से ही नहीं? - याने जैसे कि एक हॉस्टल / स्कूल ? - नए सन्दर्भ में इसकी व्याख्या बड़ी मजेदार हो सकती है - जहाँ तीन चार जगहों/ संस्थाओं में पढ़ना साधारणतः है - क्या नाम / उपनाम होते? - सादर - मेरी भी हाजिरी बड़े दिनों बाद - चैन के लिए जुम्मा ही है - और आपकी पोस्ट पढने में मशक्कत मांगती हैAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/08624620626295874696noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-83293558333931808632008-04-04T12:46:00.000+05:302008-04-04T12:46:00.000+05:30लेकिन शादी विवाह के दौरान गोत्र मिलाने वाली बात मु...लेकिन शादी विवाह के दौरान गोत्र मिलाने वाली बात मुझे अब तक समझ में नहीं आती है, यदि इस पर आप प्रकाश डालें तो शायद मुझे फायदा मिलेAshish Maharishihttps://www.blogger.com/profile/04428886830356538829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-76200706969950326242008-04-04T12:18:00.000+05:302008-04-04T12:18:00.000+05:30और भी कुछ विस्तार से बतायें .. व्यापक विषय है .. ट...और भी कुछ विस्तार से बतायें .. व्यापक विषय है .. टोटेम वगैरह के बारे में भीPratyakshahttps://www.blogger.com/profile/10828701891865287201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-85320433047829986832008-04-04T12:02:00.000+05:302008-04-04T12:02:00.000+05:30सही ज्ञान.सही ज्ञान.Sanjay Tiwarihttps://www.blogger.com/profile/13133958816717392537noreply@blogger.com