tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post7372403745969364855..comments2024-01-18T18:37:01.064+05:30Comments on शब्दों का सफर: बोधिसत्व से भोपाल में मुलाकात…अजित वडनेरकरhttp://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comBlogger20125tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-47747220474839591492010-06-21T08:27:52.826+05:302010-06-21T08:27:52.826+05:30विवेक जी और कोकास जी सुबह-सुबह कोई और नहीं मिला......विवेक जी और कोकास जी सुबह-सुबह कोई और नहीं मिला.....बोधिसत्वhttps://www.blogger.com/profile/09557000418276190534noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-28456873636538155412010-06-21T08:25:50.603+05:302010-06-21T08:25:50.603+05:30बोधिसत्व जी से आपकी मुलाकात का विवरण अलग सा लगा । ...बोधिसत्व जी से आपकी मुलाकात का विवरण अलग सा लगा । आपकी शब्दों के सफर की आदी जो हो चुकी हूँ । आशा है हथेली का जख्म अब ठीक हो रहा होगा ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-84996916984179244212010-06-20T23:20:23.410+05:302010-06-20T23:20:23.410+05:30वाकई बोधि भाई कमाल का व्यक्तित्व हैं, हम तो केवल २...वाकई बोधि भाई कमाल का व्यक्तित्व हैं, हम तो केवल २ बार ही मिले हैं और उनके पंखे हो गये हैं।विवेक रस्तोगीhttps://www.blogger.com/profile/01077993505906607655noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-34218590760068625322010-06-20T22:57:54.265+05:302010-06-20T22:57:54.265+05:30घी को बाहर रखिये भाई और हाथ बचाइय़े!घी को बाहर रखिये भाई और हाथ बचाइय़े!अभय तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-75806645831864273972010-06-20T20:39:16.385+05:302010-06-20T20:39:16.385+05:30मुहावरा है कि सीधी उंगली सी घी नहीं निकल सकता. मतल...मुहावरा है कि सीधी उंगली सी घी नहीं निकल सकता. मतलब कि हरेक काम में जुगाड़ लगाना पड़ता है. आप ने बेसब्री और जलदबाज़ी की. खैर, आप की उंगली का अफ़सोस है.Baljit Basihttps://www.blogger.com/profile/11378291148982269202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-15815229391146993712010-06-20T19:58:20.028+05:302010-06-20T19:58:20.028+05:30वे दुर्लभ देखना चाहते हैं.उन्हें भोपाल का माधव राव...वे दुर्लभ देखना चाहते हैं.उन्हें भोपाल का माधव राव सप्रे स्मृति समाचार पत्र संग्रहालय दिखाइये. वहाँ कुछ दुर्लभ संग्रह मिलने की संभावना है.hem pandeyhttps://www.blogger.com/profile/08880733877178535586noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-71639696271355055202010-06-20T18:27:09.644+05:302010-06-20T18:27:09.644+05:30मित्रों का सुखद मिलन ।मित्रों का सुखद मिलन ।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-73697350228951470312010-06-20T17:13:23.977+05:302010-06-20T17:13:23.977+05:30मजेदार मुलाकात और विवरण!
अपने अपने शहर के बारे मे...मजेदार मुलाकात और विवरण!<br /><br />अपने अपने शहर के बारे में लिखने की बात जायज लगने की हद तक सही है। मामाजी की किताब बांचने का जुगाड़ भिड़ाते हैं।<br /><br />वैसे आपकी पोस्ट का शीर्षक पढ़कर कोई भी सजग आप पर तोहमत लगा सकता है कि आप न तो ब्लॉगर हैं न ही अखबार वाले। अगर दोनों में से कोई भी मन लगाकर होते तो इस पोस्ट का शीर्षक रखते- ब्लॉगर मीट में चाकू चला, चार टांके लगे।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-5780611437274414312010-06-20T16:17:38.297+05:302010-06-20T16:17:38.297+05:30अजित भाई, यह बोधि भाई हैं बहुत अच्छे मित्र । हम लो...अजित भाई, यह बोधि भाई हैं बहुत अच्छे मित्र । हम लोग अक्सर फुनियाते रहते हैं . कभी कभी मुलाकात भी हो जाती है । लेकिन यह समझ में नहीं आया कि आप इतने उत्साह में कैसे आ गये कि बात चार टाँकों तक पहँच गई । ठीक है अब बोधि भाई से टाँका भिड़ा है तो ऐसा ही होगा ना ।खैर हम समझ सकते हैं .. <br />और उनकी यह दुर्लभ देखने की फरमाइश कुछ समझ में नहीं आई । खैर हमने तो देख लिया अजित वडनेरकर के हाथ में बन्धी पट्टी वाला दुर्लभ दृश्य । <br />ये वडनेरकरिया स्टाइल की ड्राइविंग का लाइसेंस कुछ अलग से मिलता है क्या ?<br />और खीर का ज़िक्र आया तो आपके यहाँ खाई हुई सुस्वादु खीर का स्वाद याद आ गया । <br />बहरहाल आपके ज़ख्म जल्दी भर जायें इसके लिये शुभकामनायें ।शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-51603503444446951872010-06-20T14:37:49.673+05:302010-06-20T14:37:49.673+05:30आप दोनों के मिलन के बारे में पढना बड़ा रोचक रहा......आप दोनों के मिलन के बारे में पढना बड़ा रोचक रहा... अबीर के द्वारा की गयी पुस्तक की समीक्षा भी बेहतरीन है... <br /><br />दुर्लभ चीज़ों का इंतज़ार रहेगा.. :)Pankaj Upadhyay (पंकज उपाध्याय)https://www.blogger.com/profile/01559824889850765136noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-27895543595878668882010-06-20T14:16:08.153+05:302010-06-20T14:16:08.153+05:30kaash हम भी होते saath आपके तो समा कुछ और hotakaash हम भी होते saath आपके तो समा कुछ और hotaमुकेश "जैफ"https://www.blogger.com/profile/15211148469767218983noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-6630071695367076092010-06-20T13:39:59.461+05:302010-06-20T13:39:59.461+05:30दो मित्रों का आत्मीय मिलन विवरण पढ़कर अच्छा लगा लेक...दो मित्रों का आत्मीय मिलन विवरण पढ़कर अच्छा लगा लेकिन भैया ऐसे रसोई में आप पाषाणवत चीजों से युद्ध लड़कर क्यों जख्मी होते हैं। सरेंडर करना ही बेहतर ;)<br />ध्यान रखें हाथ का, ज्यादा उठापठक न करें। <br /><br />बोधि भाई साहब से जब भी फोन पर बात हुई है आत्मीयता ही मिली है। <br /><br />बाकी दिनेशराय द्विवेदी जी के कथन से सहमति है।Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-74709075271668388272010-06-20T12:24:22.316+05:302010-06-20T12:24:22.316+05:30क्या अजीत भाई....आपने तो मेरे हाथ से सब कुछ छीन लि...क्या अजीत भाई....आपने तो मेरे हाथ से सब कुछ छीन लिया। अब मैं क्या लिखूँगा... <br />लेकिन चिरंजीव अबीर और आप से मिलना बहुत अच्छा लगा। अबीर के लिए हार्दिक शुभ कामनाएँ आपका आभार।<br />मैं हरि भटनागर जी की पत्रिका रचना समय का अतिथि संपादन कर रहा हूँ। खास कर शमशेर जी और नागार्जुन बाबा की जन्म शती पर दो अंको का।बोधिसत्वhttps://www.blogger.com/profile/06738378219860270662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-5079188441565903422010-06-20T11:36:14.494+05:302010-06-20T11:36:14.494+05:30ई बताईये कि फोटू खींचने वाला टांड पर बैठा था क्या?...ई बताईये कि फोटू खींचने वाला टांड पर बैठा था क्या? मार सर उठा-उठा के पोज़ दे रहे हैं आप लोग?Ashok Kumar pandeyhttps://www.blogger.com/profile/12221654927695297650noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-58764338855832753272010-06-20T08:10:49.538+05:302010-06-20T08:10:49.538+05:30हाय-हाय, वहाँ हम क्यों न हुए।?
अब तो हम ईर्ष्यालु ...हाय-हाय, वहाँ हम क्यों न हुए।?<br />अब तो हम ईर्ष्यालु हुए जा रहे हैं।<br />बोधि जी को वर्धा बुलाता हूँ, और आप को भी...सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-63584218161379990552010-06-20T08:09:11.617+05:302010-06-20T08:09:11.617+05:30'बोध' उम्दा मिला 'सफ़र' पर आज,
...'बोध' उम्दा मिला 'सफ़र' पर आज,<br />'पंत' कह कर 'निराला' बन जाना !. <br />क्यों बने शिष्य ? संत कह कर के,<br />चाँद कह कर सितारा बन जाना !Mansoor ali Hashmihttps://www.blogger.com/profile/09018351936262646974noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-47551150633731745242010-06-20T07:16:53.685+05:302010-06-20T07:16:53.685+05:30ये पिता पुत्र रसोई घर में क्यों ? 'जमें हुए प...ये पिता पुत्र रसोई घर में क्यों ? 'जमें हुए पर' धारदार हथियार का इस्तेमाल ? कुछ टांके ? यक़ीनन कवि मित्र की दुर्लभ देखने की चाह आपको तनाव दे रही है ! आप शांत रहिये...सहज रहिये , आजकल ये ही दुर्लभ है !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-80748631829572545542010-06-20T06:53:53.774+05:302010-06-20T06:53:53.774+05:30मुझे तो लग रहा है कि भोपाल में ब्लागीरों के लिए एक...मुझे तो लग रहा है कि भोपाल में ब्लागीरों के लिए एक तीर्थ होता जा रहा है आप का आवास। जहाँ जाए बिना भोपाल यात्रा अधूरी रहती हो।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-26278187254058060832010-06-20T02:43:41.374+05:302010-06-20T02:43:41.374+05:30"तीन तस्वीरे तो कम है...हा हा हा.. कुछ पल याद..."तीन तस्वीरे तो कम है...हा हा हा.. कुछ पल यादगार बन जाते है.. जय हो"प्रतिबिम्ब बड़थ्वालnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-55902383628699634842010-06-20T02:16:18.935+05:302010-06-20T02:16:18.935+05:30बढिया लगी दो मित्रों के मिलने की रिपोर्ट, बोधिसत्व...बढिया लगी दो मित्रों के मिलने की रिपोर्ट, बोधिसत्व जी को उनके ब्लाग से ही जाना है और उनके धनी व्यक्तित्व के सभी कायल हैं।<br />ब्लागर मित्रों से जो जो वसूल करना है उसकी लिस्ट में आपका दालफ़्राई भी जुड गया है, देखें कब नसीब होता है :)<br /><br />अपने हाथ की मिजाजपुर्सी करवा लीजिये, कम से कम आपको पूछने वाले तो हैं, हम तो इस हाल में हैं कि,<br />पडिये गर बीमार तो कोई न हो तीमारदार..<br /><br />पिछले छ: दिनों से गर्दन थामे बैठे हैं जो देर रात टीवी देखते देखते सोफ़ा पर रेत में शुतुरमुर्ग की तरह ढेर हो जाने का दर्द सह रही है।Neeraj Rohillahttps://www.blogger.com/profile/09102995063546810043noreply@blogger.com