tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post7918176688667382352..comments2024-01-18T18:37:01.064+05:30Comments on शब्दों का सफर: सरपत के बहाने शब्द संधान…अजित वडनेरकरhttp://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comBlogger17125tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-86604473390442923552009-11-01T20:49:58.665+05:302009-11-01T20:49:58.665+05:30बहुत उपयोगी जानकारी मिली आपके इस विश्लेषण से| सरपत...बहुत उपयोगी जानकारी मिली आपके इस विश्लेषण से| सरपत का प्रदर्शन देखने का अवसर मिला था मुझे भी लेकिन उसे समझने की दृष्टि आपके आलेख से प्राप्त हुई| एतदर्थ आभार!अमिताभ त्रिपाठी ’ अमित’https://www.blogger.com/profile/12844841063639029117noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-40785841092890693312009-04-17T18:24:00.000+05:302009-04-17T18:24:00.000+05:30bachpan me sarkande ke dandon se ham bhi talwaar b...bachpan me sarkande ke dandon se ham bhi talwaar banaya karte the....bada hi aanad aata tha...<br /><br />bahut bahut rochak is aalekh hetu aabhaar.रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-84541765749220146602009-04-17T01:03:00.000+05:302009-04-17T01:03:00.000+05:30घास की कई नस्लेँ हैँ आज सरपत पर लिखा ये बढिया लगा ...घास की कई नस्लेँ हैँ आज सरपत पर लिखा ये बढिया लगा <br />- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-44454334534539526822009-04-16T17:05:00.000+05:302009-04-16T17:05:00.000+05:30शृ से ही शायद शव की उत्पत्ति है। शरीर भी मर्त्य है...शृ से ही शायद शव की उत्पत्ति है। शरीर भी मर्त्य है क्यों कि वह अमर नहीं। सरकंडे के बोदिए पहले कवेलू की छतों के अंत में नीचे बिछाये जाते थे, बरसात में इन से निकल कर छत का पानी टपकता रहता था। इसी बोदिए से दीप जलाने का काम लिया जाता था। बहुत बातें स्मरण करा दीं इस आलेख ने।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-91176191569409126212009-04-16T14:23:00.000+05:302009-04-16T14:23:00.000+05:30@आलोक सिंह
'सरपत की सिचाई आग से होती है पानी से नह...@आलोक सिंह<br />'सरपत की सिचाई आग से होती है पानी से नहीं'<br />आलोक भाई, एकदम आसान सी, मगर अनुभवजनित, सूझ-बूझभरी कहावत है। सरपत जैसी खरपतवार तमाम फसलों के लिए हानिकारक होती हैं। ये ज़मीन की नमी को तो सोखती ही हैं, अन्य जैविक तत्वों को भी चट कर जाती है जो फसल को मिलने चाहिए। इसीलिए कहा जाता है कि इसकी सिंचाई आग से होनी चाहिए अर्थात इसे जला देना चाहिए। <br />आभार...अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-8914408376729966782009-04-16T14:21:00.000+05:302009-04-16T14:21:00.000+05:30सरपत से खरपतवार तक का सफ़र रोचक ! सरपट का भी कहीं ...सरपत से खरपतवार तक का सफ़र रोचक ! सरपट का भी कहीं इससे कुछ लेना देना तो नहीं !Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-15431140861310357752009-04-16T14:19:00.000+05:302009-04-16T14:19:00.000+05:30@विष्णु बैरागी,मन्सूर अली
वाह...आश्चर्य है कि दो ...@विष्णु बैरागी,मन्सूर अली<br /><br />वाह...आश्चर्य है कि दो रतलामी हमसफरों एक साथ सफर में सरपट की राह देखते रहे। विष्णु भैया और मन्सूर जी आप दोनों का शुक्रिया....सरपट शब्द की जिस शब्द श्रंखला का हिस्सा है, उस पर शब्दों का सफर में दो साल पहले आलेख लिख चुका हूं। मगर तब शायद सरपट शब्द रह गया था। जल्दी ही उक्त पोस्ट की संशोधित पुनर्प्रस्तुति आप यहां देखेंगे। <br />सादर,साभार<br />अजितअजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-1799970548183221402009-04-16T14:08:00.000+05:302009-04-16T14:08:00.000+05:30सरपत के बारे में बहुत अच्छी जानकारी ,
एक बात मुझ...सरपत के बारे में बहुत अच्छी जानकारी , <br />एक बात मुझे आज भी परेशान कराती है की सरपत को काटने के बाद उसके जड़ों में आग क्यों लगा दी जाती है . कुछ लोग कहते है की सरपत की सिचाई आग से होती है पानी से नहीं क्या ये सत्य है .आलोक सिंहhttps://www.blogger.com/profile/00082633138533183604noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-8710227796917909042009-04-16T12:11:00.000+05:302009-04-16T12:11:00.000+05:30सरपत से खरपतवार तक,
उम्दा जानकारी से भरपूर
जानदार ...सरपत से खरपतवार तक,<br />उम्दा जानकारी से भरपूर<br />जानदार पोस्ट....आभार.<br />==========================<br />आज सरसरी तौर पर पढ़ रहा हूँ<br />चुनाव में विशेष कर्तव्य पर जो हूँ. <br />आपका<br />डॉ.चन्द्रकुमार जिन्नDr. Chandra Kumar Jainhttps://www.blogger.com/profile/02585134472703241090noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-37929265240923340662009-04-16T11:40:00.000+05:302009-04-16T11:40:00.000+05:30भरा कहते है हम लोग इस घास को ,झप्पर डालते है इसकी...भरा कहते है हम लोग इस घास को ,झप्पर डालते है इसकी इस समय अच्छी खासी कीमत है . रोचक जानकारी दी है आपने . सुबह सुबह घास पर टहलना सेहत के लिए अच्छा है लेकिन गन्ने या सरकंडे वाली घास पर टहले तब क्या होगाdhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }https://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-77521213335180288632009-04-16T11:12:00.000+05:302009-04-16T11:12:00.000+05:30बांस पे चढ़ते रहे हम .
बॉस से डरते रहे हम,
आप ये क...बांस पे चढ़ते रहे हम .<br />बॉस से डरते रहे हम,<br />आप ये क्या कह रहे है?<br />घास ही चरते रहे हम!<br /><br />बढिया पोस्ट.........मज़ा आ गया .<br />बैरागी जी की तरह मैं भी 'सरपट' नहीं दौड़ पाया.<br /><br />-मंसूर अली हाश्मीMansoor ali Hashmihttps://www.blogger.com/profile/09018351936262646974noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-68750229571584650202009-04-16T10:14:00.000+05:302009-04-16T10:14:00.000+05:30वाह जी वाह आपने तो सरपत पर इतनी सारी जानकारी दे दी...वाह जी वाह आपने तो सरपत पर इतनी सारी जानकारी दे दी। हमने फिल्म भी देखी थी। सच अभय जी ने बहुत शानदार फिल्म बनाई है। थोडे से समय में ही बहुत कुछ कह दिया। संवाद भी दिल को भाये थे। कुल मिलाकर फिल्म हमें बहुत ही अच्छी लगी थी।सुशील छौक्कर https://www.blogger.com/profile/15272642681409272670noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-65383516942432468622009-04-16T09:12:00.000+05:302009-04-16T09:12:00.000+05:30बढ़िया है अजित भाई!
हमारी मानसिक नज़दीकियों को नमून...बढ़िया है अजित भाई!<br /><br />हमारी मानसिक नज़दीकियों को नमूना है ये कि मैंने अपनी डी वी डी के कवर पर सरपत नाम की जो व्याख्या लिखी है वह आप के विश्लेषण से मिलती जुलती है - <br /><br />Sarpat is the name of a sharp wild grass found in Northern India. The word Sarpat derives from Shar-patr; Shar in Sanskrit means an arrow and Patr is leaf. Shar also means the very grass which is called Sarpat. My view is that our ancestors gave the arrow its name Shar after the sharp glass blade – Sarpat; since its the grass which precedes the arrow.अभय तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-35009501355539122202009-04-16T08:44:00.000+05:302009-04-16T08:44:00.000+05:30इस आलेख पर प्रथम टिप्पणी इस समूचे ब्लॉग के लिए एक ...इस आलेख पर प्रथम टिप्पणी इस समूचे ब्लॉग के लिए एक Testimonial है कि इस ब्लॉग के आलेख न सिर्फ जानकारी देते हैं बल्कि हमें अपनी जड़ों से जुड़े रहने में भी मददगार साबित होते हैं | डाल डाल - पात पात की छुपन-छुपाई के युग में जड़ को मज़बूत करने का साधुभाव बहुत विरल है |<br /><br />पौराणिक ग्रन्थ ' गरुड़ पुराण " में कुम्भी पाक नर्क में पाए जाने वाले कांटे दार घांस का ज़िक्र है ग्रंथकार के मन में इसका विचार संभवतया सरपत की चुभन के अनुभव से जन्मा होगा | अब वानस्पतिक सरपत न तो इतनी ही है न ही चुभनकारी जितनी कि सामाजिक सरपत | भद्र पुरुष -स्त्रियों के वस्त्र जब तब तार तार कर देने को तैयार सरपत |<br /><br />जो बचा वो ही सिकंदर |RDShttps://www.blogger.com/profile/14134695386879343906noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-44300537892251955082009-04-16T07:59:00.000+05:302009-04-16T07:59:00.000+05:30आलेख पढने के दौरान प्रतीक्षा करता रहा कि 'सरपट' का...आलेख पढने के दौरान प्रतीक्षा करता रहा कि 'सरपट' का उल्लेख भी आएगा।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-58948227931371282322009-04-16T07:15:00.000+05:302009-04-16T07:15:00.000+05:30भाई वडनेकर जी।
सरपत के बहाने शब्द संधान .... का वि...भाई वडनेकर जी।<br />सरपत के बहाने शब्द संधान .... का विष्लेषण आपके परिश्रम को परिलक्षित करता है। शब्द संधान में आपकी सानी नही है।डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-77473624488018089132009-04-16T07:00:00.000+05:302009-04-16T07:00:00.000+05:30अजित जी, आपके लेख न सिर्फ जानकारी देते हैं बल्कि ह...अजित जी, आपके लेख न सिर्फ जानकारी देते हैं बल्कि हमें अपनी जड़ों से जुड़े रहने में भी मददगार साबित होते हैं. शुक्रिया!Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.com