tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post7961088180874035885..comments2024-01-18T18:37:01.064+05:30Comments on शब्दों का सफर: दुबई में दिल्ली की बेरुखी, मुंबई की तेजी [बकलमखुद-18]अजित वडनेरकरhttp://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-41442709856147615852008-04-18T13:36:00.000+05:302008-04-18T13:36:00.000+05:30मीनाक्षी जी बहुत अच्छा लगा आपका लेख, इस लेख को पढ़...मीनाक्षी जी बहुत अच्छा लगा आपका लेख, इस लेख को पढ़कर अपनी दुबई यात्रा ताज़ा हो गई बहुत-बहुत बधाई यूँ ही लिखते रहिये...<BR/><BR/>अजित जी को भी बधाई...Dr.Bhawna Kunwarhttps://www.blogger.com/profile/11668381875123135901noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-5927968392655992052008-04-17T12:34:00.000+05:302008-04-17T12:34:00.000+05:30मीनाक्षी जी मजा़ आ गया आपके जिंदगी का अब तक का सफर...मीनाक्षी जी मजा़ आ गया आपके जिंदगी का अब तक का सफर पढ कर । आगे की किश्त का इंतजार रहेगा ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-28401701423593762912008-04-16T00:11:00.000+05:302008-04-16T00:11:00.000+05:30सीता खानूम कलम खूब चिकनी चल रही है नहीं कागज पर, न...सीता खानूम कलम खूब चिकनी चल रही है नहीं कागज पर, नहीं ब्लोग पर फ़िसल रही है। बहुत कुछ जानने को मिल रहा है अरब जगत के बारे में जो नहीं मालूम था, आप एक पूरी सीरीज ही क्युं नहीं लिखती वहां के बारे में, उनकी सस्कृंति,जीवन शैली, उनके विचार विभिन्न विषयों पर, वगैरह, वगैरह। <BR/><BR/><BR/>अजीत भाई खुद को तो निमंत्रण देने से रहे, चलिए हम एकदम औपचारिक रुप से न्यौता दे रहे हैं…। अजीत भाई क्या आप शब्दों के सफ़र पर बकलम खुद लिख कर इस चिठ्ठे को इज्जत बक्शेगें?…॥:)Anita kumarhttps://www.blogger.com/profile/02829772451053595246noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-79294145748900005092008-04-15T23:30:00.000+05:302008-04-15T23:30:00.000+05:30अच्छा लगा आपके सउदी और दुबई प्रवास के बारे में जान...अच्छा लगा आपके सउदी और दुबई प्रवास के बारे में जानकर !.Manish Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10739848141759842115noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-9941666515082636952008-04-15T19:14:00.000+05:302008-04-15T19:14:00.000+05:30बढिया धारावाहिक चला रहे हैं. जारी रखें.बढिया धारावाहिक चला रहे हैं. जारी रखें.Manas Pathhttps://www.blogger.com/profile/17662104942306989873noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-1085850638750506892008-04-15T17:26:00.000+05:302008-04-15T17:26:00.000+05:30@ममता खानूम, खेलि ममनून बराए नवशस्ते के दादी. शोमा...@ममता खानूम, खेलि ममनून बराए नवशस्ते के दादी. शोमा खेलि खूब वा मेहरबान हस्ति के मिगि मन खुश गलब हस्तम.(आप दो बार पढिए आपको समझ आ जाएगा.) कभी दोनों बेटो का संगीत भी सुनवाएँग़े.<BR/>@समीरजी,पूरा का पूरा श्रेय अजितजी को जाना चाहिए.<BR/>@काकेशजी अशोकजी, संजीतजी, कंचन और अरुनजी अरब दुनिया आपको अच्छी लगी इसके लिए आपका शुक्रिया.मीनाक्षीhttps://www.blogger.com/profile/06278779055250811255noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-7667843736964227512008-04-15T16:05:00.000+05:302008-04-15T16:05:00.000+05:30अच्छा लग रहा है दीदी ....! जारी रखें.....!अच्छा लग रहा है दीदी ....! जारी रखें.....!कंचन सिंह चौहानhttps://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-76404591837341497012008-04-15T13:33:00.000+05:302008-04-15T13:33:00.000+05:30बहुत खूब चल निकली है मीनाक्षी जी की कलम...सारा श्र...बहुत खूब चल निकली है मीनाक्षी जी की कलम...सारा श्रेय भाई अजित को. :)<BR/><BR/>थोड़ा सा श्रेय मीनाक्षी जी को भी-अच्छा लगा जानकर.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-75099399475258747892008-04-15T12:10:00.000+05:302008-04-15T12:10:00.000+05:30पढ़ रहा हूं, एक अच्छी बात यह है कि मीनाक्षी जी न के...पढ़ रहा हूं, एक अच्छी बात यह है कि मीनाक्षी जी न केवल अपने आप से बल्कि अपने आसपास से भी परिचित कराती चल रही हैं।Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-32129410393999757672008-04-15T12:03:00.000+05:302008-04-15T12:03:00.000+05:30मीनाक्षी जी बहुत अच्छा लगा पढ़कर। आपको सीता पुकार...मीनाक्षी जी बहुत अच्छा लगा पढ़कर।<BR/> आपको सीता पुकारा जाना और अनजाने देश मे लोगों से आपकी दोस्ती होना इस बात का प्रतीक है की आप कितने साफ दिल की है।<BR/>और हाँ तो आपने फारसी बोली या नही। :)<BR/><BR/>कभी वरुण और विद्युत का बजाया हुआ संगीत सुनवाइये।mamtahttps://www.blogger.com/profile/05350694731690138562noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-38411026169364494442008-04-15T11:44:00.000+05:302008-04-15T11:44:00.000+05:30बढ़िया चल रही है आपकी गाथा. हम पढ़ रहे हैं ध्यान लगा...बढ़िया चल रही है आपकी गाथा. हम पढ़ रहे हैं ध्यान लगाकर. अरब जगत मुझे अपने कला-साहित्य के कारण बहुत आकर्षित करता रहा है; अब आपके माध्यम से इस संसार के सामाजिक तानेबाने के बारे में जानना सुखद है. <BR/><BR/>शुभकामनाएंAshok Pandehttps://www.blogger.com/profile/03581812032169531479noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-50267650987777959232008-04-15T10:46:00.000+05:302008-04-15T10:46:00.000+05:30@अल्पना जी, "दुबई में मुम्बई की भाग-दौड़ वाली ज़िन्द...@अल्पना जी, "दुबई में मुम्बई की भाग-दौड़ वाली ज़िन्दगी और दिल्ली की बेरुखी है." ---- इस पंक्ति को नज़रअन्दाज़ भी किया जा सकता है क्योंकि हम दिल्ली में जन्मे,पले-बढ़े हैं.रियाद की तुलना में कही गई बात है जो कई लोगों ने कही. <BR/>जिस घटना की बात आप कर रही हैं वह हमारे इलाके में ही हुई थी जो दुखद थी लेकिन उसका सुखद पक्ष भी देखिए कि अरब लड़के ने मदद की.<BR/>कंक्रीट के जंगल में कहीं खुश्की है तो कहीं नमी .<BR/><BR/>@ डॉ.जैन, हमेशा की तरह आज भी आपकी टिप्पणी स्नेहपूर्ण है. आभारमीनाक्षीhttps://www.blogger.com/profile/06278779055250811255noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-89286099112574102022008-04-15T10:09:00.000+05:302008-04-15T10:09:00.000+05:30बहुत कुछ सीखने को मिल रहा है आपके और दुनिया के बार...बहुत कुछ सीखने को मिल रहा है आपके और दुनिया के बारे में.काकेशhttps://www.blogger.com/profile/12211852020131151179noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-57143671687457501492008-04-15T10:01:00.000+05:302008-04-15T10:01:00.000+05:30यह किस्त भी पढ़ ली, सुबह-सवेरे.लगा दुनिया में इंसा...यह किस्त भी पढ़ ली, सुबह-सवेरे.<BR/>लगा दुनिया में इंसानियत और <BR/>ज़ज़्बातों के लिए स्पेस आज भी कम नहीं है .<BR/>मीनाक्षी जी!<BR/>आपने जिन आँसुओं की नम चर्चा की है <BR/>दरअसल उनका एक ही मज़हब हो सकता है - इंसानियत !<BR/>जहाँ दिशाएँ अपनी सीमाएँ खो देती हैं और <BR/>सबकी पीर तक पहुँच अपनी दिशाएँ पा लेती हैं.<BR/><BR/>आपकी शैली की सरसता भी हृदय स्पर्शी है.<BR/>और आपके दोनो चिरंजीव का क्या कहना ?<BR/>एक का संबंध तकनीक से तो दूसरे का संगीत से !<BR/>दिमाग़ और दिल का ऐसा दुर्लभ संगम !!!<BR/>सचमुच बड़ी बात है.<BR/><BR/>वरुण और विधुत जैसा प्रेम क्या संसार को भी अपेक्षित नहीं है ?<BR/><BR/>आपको बधाई और अजित जी के लिए <BR/>आभार से बड़े शब्द की तलाश जारी है.<BR/><BR/>डा. चंद्रकुमार जैनDr. Chandra Kumar Jainhttps://www.blogger.com/profile/02585134472703241090noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-34842657463719297152008-04-15T09:50:00.000+05:302008-04-15T09:50:00.000+05:30मीनाक्षी जी संक्षिप्त में आप ने बहुत कुछ लिख दिया....मीनाक्षी जी संक्षिप्त में आप ने बहुत कुछ लिख दिया..लेकिन दिल्ली की बेरुखी??मेरे ख्याल में तो यह पूरी मुम्बई जैसी है..दिल्ली में अभी भी लोगों में मेल मिलान बाकी है-- दुबई सिर्फ़ कंक्रीट का जंगल बन कर रह गया है--२ साल की बीमार बच्ची को सड़क पर बीच ट्रैफिक में जा कर माँ का टैक्सी रोकने की कोशिश करने पर भी एक टैक्सी का न रुकना--[कुछ दिन पहले गल्फ न्यूज़ की ख़बर]-कितनी बेबसी महसूस हुई होगी उसे उस वक्त--ऐसा दिल्ली में तो नहीं होता न ही मुम्बई में--दुबई बस दुबई ही है--कंक्रीट का जंगल--Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-81906380101988521052008-04-15T06:03:00.000+05:302008-04-15T06:03:00.000+05:30बकलम ख़ुद सीरीज अच्छी चल रही है। संकोची लोग भी अपन...बकलम ख़ुद सीरीज अच्छी चल रही है। संकोची लोग भी अपने बारे में खुल कर बता रहे हैं। भोपाल भास्कर में अब तो दो ब्लोगर मित्र आशीष महर्षि और मनीषा भी आ गए होंगे।Arun Adityahttps://www.blogger.com/profile/11120845910831679889noreply@blogger.com