tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post8172148107292188379..comments2024-01-18T18:37:01.064+05:30Comments on शब्दों का सफर: गाँठ बांधने का दौर [गठबंधन-1]अजित वडनेरकरhttp://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-86550560080205344562010-02-02T20:22:35.687+05:302010-02-02T20:22:35.687+05:30आप की बात सही है की सिखों में जो पुरोहित होता है, ...आप की बात सही है की सिखों में जो पुरोहित होता है, ग्रन्थी कहलाता है,लेकिन अगर यह कहा जाये कि सिख सन्दर्भ में सिखों के धर्म ग्रन्थ श्री गुरु ग्रन्थ साहिब का विधिवत रूप से पाठ करने वाले को ग्रन्थी कहा जायेगा तो अधिक सही होगा है. सिख पुरोहित शब्द से चिढ़ सकते हैं.Baljit Basihttps://www.blogger.com/profile/11378291148982269202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-81264510016682903032007-12-12T12:17:00.000+05:302007-12-12T12:17:00.000+05:30अच्छी जानकारी दी आपने एकबार फ़िर. आपको धन्यवाद.एक श...अच्छी जानकारी दी आपने एकबार फ़िर. आपको धन्यवाद.<BR/>एक शब्द पर ध्यान और विस्तार( अगर हो सके तो ) अगले अंक मे चाहूँगा. " हीन ग्रंथि" यंहा तो "ग्रंथि" शायद "भावना" के रूप मे इस्तेमाल हुआ है?बालकिशनhttps://www.blogger.com/profile/18245891263227015744noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-89277980079725657192007-12-12T08:51:00.000+05:302007-12-12T08:51:00.000+05:30अजित भाईगूँथना किधर जाएगा...चोटी गूँथना....ऐसे ही ...अजित भाई<BR/>गूँथना किधर जाएगा...चोटी गूँथना....ऐसे ही जानने की चाह है...बोधिसत्वhttps://www.blogger.com/profile/06738378219860270662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-70324337239628041212007-12-12T08:14:00.000+05:302007-12-12T08:14:00.000+05:30बहुत ही अच्छा एवं सटीक विवरण....सदके जाएं आपकी पार...बहुत ही अच्छा एवं सटीक विवरण....<BR/><BR/>सदके जाएं आपकी पारखी नज़र के...<BR/><BR/>अपुन ने तो कभी गौर ही नहीं किया...<BR/><BR/>धन्यवाद...जानकारी के लिएराजीव तनेजाhttps://www.blogger.com/profile/00683488495609747573noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-72423972100897034742007-12-12T05:02:00.000+05:302007-12-12T05:02:00.000+05:30कबीर का दोहा कई दिन बाद नजर से गुजरा तो पढ़ कर अच्...कबीर का दोहा कई दिन बाद नजर से गुजरा तो पढ़ कर अच्छा लगा. गठ तो हो गया अब बंधन और कर दें ताकि गठबंधन पूरा हो जाए.Sanjay Karerehttps://www.blogger.com/profile/06768651360493259810noreply@blogger.com