tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post8539858728259955256..comments2024-01-18T18:37:01.064+05:30Comments on शब्दों का सफर: कलाली पर कलेवा…[खान पान-7]अजित वडनेरकरhttp://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-33088193644416127012012-09-26T12:01:16.945+05:302012-09-26T12:01:16.945+05:30अजित जी, जानकारी बहुत अच्छी हैं । http://hi.wikipe...अजित जी, जानकारी बहुत अच्छी हैं । http://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%95%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%B2<br />यहाँ विकिपीडिया पर कलाल ढूंढने पर कुछ और सुचना भी उपलब्ध है जो आपके द्वारा प्रदद्त जानकारी से कुछ अलग है , कृपया इस पर भी कुछ प्रकाश डालेंऋषिकेश खोडके रुहhttps://www.blogger.com/profile/02023640875553892135noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-17822520734125825892010-01-30T14:33:00.356+05:302010-01-30T14:33:00.356+05:30शब्दों से मिलते जुलते और भी समूह पाए जाते हैं - जै...शब्दों से मिलते जुलते और भी समूह पाए जाते हैं - जैसे कुलाल - कुलाल कुम्हार को कहा जाता है । इन्हें वैदिक युग में कुलाल कहा जाता था । इसी तरह लोहार को कर्मार के नाम से जाना जाता था । यह शस्त्रों के अलावा सोमरसपान के लिये बर्तन बनाते थे ।<br />जानकारी बहुत अच्छी हैं । बधाई और साधुवाद स्वकारें ।<br />- जवाहर चौधरीJawahar choudhary https://www.blogger.com/profile/17378541906452685183noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-13230443215838169242009-02-27T20:47:00.000+05:302009-02-27T20:47:00.000+05:30कलाल मुस्लिम भी होते है . यह भी जाय्स्वालो की तरह ...कलाल मुस्लिम भी होते है . यह भी जाय्स्वालो की तरह शराब के व्यापार मे एकाधिकार रखते हैdhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }https://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-81370950217223963442009-02-27T18:32:00.000+05:302009-02-27T18:32:00.000+05:30धन्यवाद!धन्यवाद!Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-78354856749481501662009-02-27T16:23:00.000+05:302009-02-27T16:23:00.000+05:30दूर की कौड़ी ने तो रोमांच बढ़ा दिया... गजब!दूर की कौड़ी ने तो रोमांच बढ़ा दिया... गजब!कुशhttps://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-88107206075260182812009-02-27T16:07:00.000+05:302009-02-27T16:07:00.000+05:30@संजय व्यासभाई, सचमुच दूर की कौड़ी है। आसवन डिस्टि...<B>@संजय व्यास</B><BR/>भाई, सचमुच दूर की कौड़ी है। आसवन डिस्टिलेशन जैसी प्रक्रियाओं का ज्ञान भारतीयों को बहुत प्राचीनकाल से ही है। मदिरा के लिए कल्या जैसा शब्द यह स्पष्ट कर रहा है। कोहली तो खत्रियों का उपनाम है। खत्रियों के उपनामों पर एक अच्छी पुस्तक मेरे मामाजी के संग्रह में थी। उसे हथिया पाता उससे पहले ही उन्होंने समूचा पुस्तक संग्रह एक लाइब्रेरी को दान कर दिया :( उनके बारे में कभी लिखूंगा। अल्कोहल ज़रूर अरबी मूल का ही शब्द है, पर कोहली से रिश्तेदारी नहीं है :)शुक्रिया सफर में साथ चलने का।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-68358421789476081832009-02-27T14:44:00.000+05:302009-02-27T14:44:00.000+05:30अजित जी,संघनन की प्रक्रिया से शराब बनाने की विधि क...अजित जी,संघनन की प्रक्रिया से शराब बनाने की विधि क्या सल्तनत काल में भारत में आई थी?अगर ऐसा है तो अल्कोहल जिसके मूल में कोई अरबी शब्द है को कलाल से जोड़ना क्या वाकई दूर की कौडी होगी?असल में मेरी जिज्ञासा का कारण एक विखंडित स्मृति है जिसमे मैंने कोहली समुदाय को अल-कोहल से जोड़े जाने पर पढा था कहीं...शायद.sanjay vyashttps://www.blogger.com/profile/12907579198332052765noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-44777419021633094432009-02-27T11:19:00.000+05:302009-02-27T11:19:00.000+05:30आपके यहाँ तो हमेशा ही कुछ नया पढने को मिलता है जिस...आपके यहाँ तो हमेशा ही कुछ नया पढने को मिलता है जिससे ज्ञान वर्धन भी होता है ।mamtahttps://www.blogger.com/profile/05350694731690138562noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-61147772180439761992009-02-27T08:15:00.000+05:302009-02-27T08:15:00.000+05:30बहुत महत्वपूर्ण जानकारी है और बहुत शोधपरक भी। आप क...बहुत महत्वपूर्ण जानकारी है और बहुत शोधपरक भी। आप को एक भार और दे रहा हूँ। एक शब्द कुछ शोध चाहता है। <BR/><BR/>राजस्थान में कलाल जाति के कुछ समुदाय अपने नाम के आगे पारेता शब्द का उपयोग करते हैं। इतिहास के एक शोधकर्ता का कथन है कि यह शब्द किसी राष्ट्रीयता का द्योतक होना चाहिए अर्थात किसी समय में किसी क्षेत्र विशेष में बसे हुए लोगों के लिए प्रयुक्त होने वाला जैसे मारवाड़ी, मालवी, या भोजपुरी शब्द हैं। पारेता शब्द की उत्पत्ति पर कुछ प्रकाश मिले तो कुछ गुत्थियाँ हल हो जाएंगी।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-89962735933511946592009-02-27T08:03:00.000+05:302009-02-27T08:03:00.000+05:30बेहद बढिया जानकारी दी आपने.रामराम.बेहद बढिया जानकारी दी आपने.<BR/><BR/>रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-5737608911361584242009-02-27T07:44:00.000+05:302009-02-27T07:44:00.000+05:30अच्छी जानकारी है. इस जाति के सदस्य उत्तर से दक्षिण...अच्छी जानकारी है. इस जाति के सदस्य उत्तर से दक्षिण, सारे भारत में व्याप्त हैं, बिल्कुल वैसे ही जैसे की स्वयं मदिरा. <BR/><BR/> इस लिंक पर कलारों के हर उपवर्ग की जानकारी है.<BR/><BR/>http://en.wikipedia.org/wiki/Ahluwaliaab inconvenientihttps://www.blogger.com/profile/16479285471274547360noreply@blogger.com