tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post8851393839032413129..comments2024-01-18T18:37:01.064+05:30Comments on शब्दों का सफर: इनकी रामायण, उनका पारायण!!!अजित वडनेरकरhttp://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comBlogger21125tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-49631050450348752112010-06-01T15:02:50.231+05:302010-06-01T15:02:50.231+05:30पारायण तो बहुत देखे परंतु मर्म तक पहुंचते बिरले ही...पारायण तो बहुत देखे परंतु मर्म तक पहुंचते बिरले ही मिले । माला कहे ये काठ की, तू क्यों फेरे मोय, मन का मनका फेर ले, तुरत मिला दूं तोय !! जिसने समझा, वो ही दीवाना, बावरा और (पार) पहुंचा हुआ ! <br /><br />आज, पारायण की मायने ही बदल गये । नया घर, नई बहू कहीं आफत न बन जाये इस भय से पारायण । पार उतरने का, अनुगमन करने का बोध ही किसे ? तभी तो नारायण का उच्चार ही लानत का पर्याय बन गया है । बालपन में भोर बेला में हृदय के कपाट खोल से देते थे ये स्वर – भजमन्नारायण नारायण नारायण ; सुमिर सुमिर भव पारायण .. !!RDShttps://www.blogger.com/profile/14134695386879343906noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-60775803813756455502010-06-01T00:52:31.636+05:302010-06-01T00:52:31.636+05:30@gs
ताज्जुब है कि शब्दों का सफर में एक ऐसा पाठक भी...@gs<br />ताज्जुब है कि शब्दों का सफर में एक ऐसा पाठक भी है जो राजगढ़ के पारायण चौक को याद कर रहा है। भाई, अपनी पहचान गुप्त न रखें कम से कम मुझ राजगढ़ी के सामने। मेरा व्यक्तिगत मेल आईडी मेरे प्रोफाईल में दर्ज है। कृपया सम्पर्क करें।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-53924136962174196002010-05-31T11:47:27.100+05:302010-05-31T11:47:27.100+05:30आपकी इस पोस्ट ने राजगढ़ के पारायण चौक की याद दिला...आपकी इस पोस्ट ने राजगढ़ के पारायण चौक की याद दिला दी.शोभाhttps://www.blogger.com/profile/12010109097536990453noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-21864214978200863582010-05-27T23:46:12.323+05:302010-05-27T23:46:12.323+05:30अय् से बने अयनम् में जब पारः जुड़ता है तब बनता है ...अय् से बने अयनम् में जब पारः जुड़ता है तब बनता है पारायणम् जिसका भावार्थ हुआ किसी एक बिन्दु से यात्रा शुरू कर धीरे-धीरे विस्तार में जाना और उसे सम्पन्न कर अंतिम बिन्दु तक पहुंचना। <br />बेहद रोचक शब्दों की ये जानकारी आभारविधुल्लताhttps://www.blogger.com/profile/15471222374451773587noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-26687045348963918032010-05-27T15:34:16.367+05:302010-05-27T15:34:16.367+05:30बलजीत भाई,
या धातु में गति, जाना, आना, घूमना, टहलन...बलजीत भाई,<br />या धातु में गति, जाना, आना, घूमना, टहलना जैसे भाव है। यान, यात्री जैसे कई शब्द इससे बने हैं। अय् की इससे रिश्तेदारी है, पर अर्थवत्ता कहीं व्यापक है।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-41859127912572477312010-05-27T10:43:27.257+05:302010-05-27T10:43:27.257+05:30@ मंसूर अली साहब
अजित भाई के लिए एक क्लू दे रहा ह...@ मंसूर अली साहब <br />अजित भाई के लिए एक क्लू दे रहा हूँ कभी फुर्सत से निपटाइयेगा.... :) <br /><br />टीप को पीट के वो कह उट्ठे <br />लानत है लानत है लानत हैउम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-77934027853953056562010-05-27T10:20:48.626+05:302010-05-27T10:20:48.626+05:30@ अजित भाई
ये क्या गज़ब किया आपने मंसूर अली साहब ...@ अजित भाई <br />ये क्या गज़ब किया आपने मंसूर अली साहब के लिखे में , <br />छुपा कर रखी गई ध्वनियां रिकार्ड कर लीं ...... :)उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-86683968420255823242010-05-27T08:29:06.408+05:302010-05-27T08:29:06.408+05:30क्या 'अय् धातु' 'या' धातु से अलग ह...क्या 'अय् धातु' 'या' धातु से अलग है जिस से बने हैं जलयान, शयनयान,महायान आदि? अर्थ कुछ मिलते जुलते हैं.Baljit Basihttps://www.blogger.com/profile/11378291148982269202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-15815878131459414772010-05-27T06:43:25.894+05:302010-05-27T06:43:25.894+05:30इसे इस तरह कहना ज़्यादा उचित रहेगा..
"जीवन ...इसे इस तरह कहना ज़्यादा उचित रहेगा..<br /><br />"जीवन की पुस्तक का, कर गहरा अध्ययन ,<br />नारायण-नारायण, नारायण-नारायण".<br /><br />गुज़ारिश है कि इसका अर्थ तो positive लिया जाए.Mansoor ali Hashmihttps://www.blogger.com/profile/09018351936262646974noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-36301593283170357002010-05-27T01:37:22.750+05:302010-05-27T01:37:22.750+05:30जीवन है संयोजन, मृत्यु है विसर्जन,
नारायण-नारायण, ...जीवन है संयोजन, मृत्यु है विसर्जन,<br />नारायण-नारायण, नारायण-नारायण.<br /><br /><br />नारायण की टेर खूब उठाई आपने....<br />इसमें सिर्फ- <br /><br />लानत है, लानत है ही ध्वनित होता है:)अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-63903863535358908162010-05-26T23:39:24.597+05:302010-05-26T23:39:24.597+05:30आपसे रामायण और अली भाई से नारायण मिलने पर यूं रचित...आपसे रामायण और अली भाई से नारायण मिलने पर यूं रचित हुआ:-<br /><br />हाथो में रामायण, होंठों पे पारायण,<br />नारायण-नारायण, नारायण-नारायण.<br /><br />शब्दों में योगासन, अर्थो में प्राणायाम, ,<br />नरायन-नारायण, नारायाण-नारायण.<br /><br />बग़ल में रामायण, मधुशाला ग्च्छाय्म,<br />नारायण-नारायण, नारायण-नारायण.<br /><br />पित्राज्ञा पालन को, भटके वो वन दर वन,<br />नारायण-नारायण, नारायण-नारायण.<br /><br />जीवन की पुस्तक पढ़,कर गहरा अध्ययन,<br />नारायण-नारायण, नारायण-नारायण.<br /><br />जीवन है संयोजन, मृत्यु है विसर्जन,<br />नारायण-नारायण, नारायण-नारायण.<br /><br />धरती धधक उठी, आएगा कब सावन,<br />नारायण-नारायण, नारायण-नारायण.Mansoor ali Hashmihttps://www.blogger.com/profile/09018351936262646974noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-8486901324168192432010-05-26T20:40:29.785+05:302010-05-26T20:40:29.785+05:30ज्ञानवर्धक,जानकारीपूर्ण विवेचनाज्ञानवर्धक,जानकारीपूर्ण विवेचनाRahttps://www.blogger.com/profile/08726389437723424230noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-53944796718007454942010-05-26T20:13:42.820+05:302010-05-26T20:13:42.820+05:30शानदार अजित भैय्या !!शानदार अजित भैय्या !!Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-85120948484468653542010-05-26T17:15:49.292+05:302010-05-26T17:15:49.292+05:30आद्योपांत पारायण ज्ञानवर्धक !!
निशंक पारायण का भाव...आद्योपांत पारायण ज्ञानवर्धक !!<br />निशंक पारायण का भाव अनुगमन वा अनुकरण ही गति लिए हुए है. जैसे पति-पारायण, चरित्र-पारायण,Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-47570840895339630412010-05-26T17:13:27.869+05:302010-05-26T17:13:27.869+05:30ज्ञानवर्धक पोस्ट!ज्ञानवर्धक पोस्ट!Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-65556540745184743272010-05-26T16:47:44.162+05:302010-05-26T16:47:44.162+05:30अजित भाई
टिप्पणी देने के ख्याल से आये थे पर पोस्...अजित भाई <br />टिप्पणी देने के ख्याल से आये थे पर पोस्ट लिखने के ख्याल से लौट दिए अब वो पोस्ट आपको समर्पित है !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-91753871376709038252010-05-26T09:58:56.476+05:302010-05-26T09:58:56.476+05:30रामायण और पारायण
दोनों की जानकारीपूर्ण विवेचना, अ...रामायण और पारायण <br />दोनों की जानकारीपूर्ण विवेचना, अच्छी लगी।नीरज मुसाफ़िरhttps://www.blogger.com/profile/10478684386833631758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-57609905390134456162010-05-26T09:31:11.021+05:302010-05-26T09:31:11.021+05:30परायणता यात्रा है ।परायणता यात्रा है ।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-22515432163042417282010-05-26T08:44:31.794+05:302010-05-26T08:44:31.794+05:30शब्दो का परायणम करवाते है आप , धन्यवादशब्दो का परायणम करवाते है आप , धन्यवादdhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }https://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-42956999512000312852010-05-26T06:58:43.446+05:302010-05-26T06:58:43.446+05:30आनंद आ गया ....रामायण का अर्थ कुछ विद्वानों ने राम...आनंद आ गया ....रामायण का अर्थ कुछ विद्वानों ने राम का वन गमन भी बाताया है -मगर राम की राह पर चलना ज्यादा जंच रहा है -रामचरित मानस का वाक्यांश यहाँ अनावश्यक सा लग रहा है -उस पर पृथक चर्चा की दरकार है ....Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-60635022201480850902010-05-26T05:29:44.570+05:302010-05-26T05:29:44.570+05:30पारायण के विषय में विस्तार से जानना ज्ञानवर्धक रहा...पारायण के विषय में विस्तार से जानना ज्ञानवर्धक रहा. आभार!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.com