tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post9007357720005640115..comments2024-01-18T18:37:01.064+05:30Comments on शब्दों का सफर: शिवजी की ससुराल तो ऊटी में !!! [बकलमखुद-22]अजित वडनेरकरhttp://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comBlogger23125tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-56116258968393813982008-05-01T22:10:00.000+05:302008-05-01T22:10:00.000+05:30अरे वाहं मै तो सोच रही थी की शिव जी पढे लिखे सोझि...अरे वाहं मै तो सोच रही थी की शिव जी पढे लिखे सोझिया बुझिया है पर यह प्रमिला जी का किस्सा असली किस्सा है ...।एक प्रगतिशील शिव जी से मिली शुक्रियाआभाhttps://www.blogger.com/profile/04091354126938228487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-1770704195471863602008-04-30T00:20:00.000+05:302008-04-30T00:20:00.000+05:30शिव जी बहुत मजेदार विवरण चल रहा है। लेकिन हम भी सब...शिव जी बहुत मजेदार विवरण चल रहा है। लेकिन हम भी सबसे सहमत हैं जरा ज्यादा विस्तार से लिखिए, ये क्या बस एक पिक्चर देखी और शादी भी हो गयी।Anita kumarhttps://www.blogger.com/profile/02829772451053595246noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-69876486228223287582008-04-29T10:10:00.000+05:302008-04-29T10:10:00.000+05:30देर से आने के लिये माफ़ी , लेकिन ये ऊटी मे जब आप हम...देर से आने के लिये माफ़ी , लेकिन ये ऊटी मे जब आप हमसे पंगा लिये थे,वो कहानी काहे नही सुनाई :) और शादी कैसे हूई कहा हूई, जरा तफ़सील से बताये ताकी नये वालो का साहस बढ सके :)Arun Arorahttps://www.blogger.com/profile/14008981410776905608noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-24912204059123889192008-04-29T06:35:00.000+05:302008-04-29T06:35:00.000+05:30बहुत सुन्दर! आगे का इंतजार है। जरा विस्तार से लिखा...बहुत सुन्दर! आगे का इंतजार है। जरा विस्तार से लिखा जाये। बहुत सरपट विवरण दे रहे हैं जी।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-57776964857514421032008-04-29T03:33:00.000+05:302008-04-29T03:33:00.000+05:30तारकेश्वरजी जैसे मित्र हों तो अक्सर काम आ जाते हैं...तारकेश्वरजी जैसे मित्र हों तो अक्सर काम आ जाते हैं । अभी पिछ्ले महीने ही हमारे ६ फ़ुट ३ इंची और ११० किग्रा वजनी मित्र ने एक पब में हमारे एक दूसरे मित्र का साथ निभाया था :-)<BR/><BR/>अभी तो कहानी चल रही है, आगे और मजा आयेगा । थोडा विस्तार से लिखें ।Neeraj Rohillahttps://www.blogger.com/profile/09102995063546810043noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-66784996249404084172008-04-29T02:33:00.000+05:302008-04-29T02:33:00.000+05:30शिव भाई, हमारे मन में तो मुन्ना पाण्डेय, मैना सिंह...शिव भाई, हमारे मन में तो मुन्ना पाण्डेय, मैना सिंह, मुन्ना सिंह, बिरेंदर सिंह, प्रेम बहादुर सिंह के नाम सुन और पढ़ कर भी बड़े अच्छे-अच्छे भाव आ रहे हैं. हमारे एक मित्र हैं हवलदार दुबे. वह शायर भी हैं और महानगरपालिका में इंजीनियर भी. नाम में क्या रखा है? <BR/><BR/>लेकिन हाँ, तारकेश्वर मिश्रा जी का वर्णन सुनकर जरूर हाथ-पाँव फूल रहे हैं.विजयशंकर चतुर्वेदीhttps://www.blogger.com/profile/12281664813118337201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-50648129235631735512008-04-29T02:24:00.000+05:302008-04-29T02:24:00.000+05:30शिव जीलेखन गंगा बहाये रखिये. पावन डुबकी का आनन्द उ...शिव जी<BR/><BR/>लेखन गंगा बहाये रखिये. पावन डुबकी का आनन्द उठा रहे हैं हम. साथ में अजित भाई की जय भी करते जा रहे हैं.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-54641598453269247672008-04-29T01:43:00.000+05:302008-04-29T01:43:00.000+05:30आय हाय - "दिल" चस्प लिखे रहें - [ आशिक आवारा सुना...आय हाय - "दिल" चस्प लिखे रहें - [ आशिक आवारा सुना था यहाँ अजित जी के वास्ते आशिक अकाउनटेंट से भी साक्षात्कार हो गया - ऊटी - आपकी ससुराल- उम्दा जगह है - हम भी एक समय हो आए थे [देर आयद ]Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/08624620626295874696noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-51064966676063967802008-04-29T00:01:00.000+05:302008-04-29T00:01:00.000+05:30पामिला जी से मिलवाया आपने इसकी खुसी है उन्हेँ मेरी...पामिला जी से मिलवाया आपने इसकी खुसी है उन्हेँ मेरी हेल्लो और नमस्ते कहियेगा.<BR/>आपके परिवार के सभी की तस्वीर बडी सहज व आत्मीय सी लगी -<BR/>आप के ओस्तो<BR/> के बारे मेपहकर खूब हँसी आयी.<BR/> आगे भी पढना चाहेँगेँ आप लिखियेगा.<BR/>अजित भाई को पुन: बधाई उन्के एस स्तँभ व प्रयास के लिये.<BR/>- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-25573787195475015712008-04-28T23:21:00.000+05:302008-04-28T23:21:00.000+05:30एसा लग रहा है कि गाड़ी बहुत तेजी से दौड़ रही है।एसा लग रहा है कि गाड़ी बहुत तेजी से दौड़ रही है।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-16836364482019583972008-04-28T22:44:00.000+05:302008-04-28T22:44:00.000+05:30lage rahen muisir ji jay holage rahen muisir ji jay hoबोधिसत्वhttps://www.blogger.com/profile/06738378219860270662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-52390019013470512102008-04-28T22:25:00.000+05:302008-04-28T22:25:00.000+05:30अजित जी,सफ़र के इस प्रतिष्ठित स्थल पर मैं सभी सम्म...अजित जी,<BR/>सफ़र के इस प्रतिष्ठित स्थल पर <BR/>मैं सभी सम्मानित सहयाती मित्रों को <BR/>सादर सूचित करना चाहता हूँ कि <BR/>मसि कागद मेरा एक और नया ब्लॉग है <BR/>जिसका लिंक मैने ऊपर अपने संदेश में दिया है .<BR/>===============================<BR/>धन्यवाद <BR/>डा.चंद्रकुमार जैनDr. Chandra Kumar Jainhttps://www.blogger.com/profile/02585134472703241090noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-22357128739584316802008-04-28T20:58:00.000+05:302008-04-28T20:58:00.000+05:30तारकेश्वर मिेश्र से दोस्ती करनी है। कहां मिलेंगे?तारकेश्वर मिेश्र से दोस्ती करनी है। कहां मिलेंगे?Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-89136169129198533402008-04-28T19:47:00.000+05:302008-04-28T19:47:00.000+05:30पिछ्ली कड़ियाँ छूट गयी थीं - अभी पढ़ीं -धुनायी,पढ़ाई ...पिछ्ली कड़ियाँ छूट गयी थीं - अभी पढ़ीं -धुनायी,पढ़ाई और सगाई -शिव जी, अच्छा लगा-सफ़र जारी रक्खें :}}पारुल "पुखराज"https://www.blogger.com/profile/05288809810207602336noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-83794908801920785942008-04-28T19:30:00.000+05:302008-04-28T19:30:00.000+05:30प्रियंकर और नीरज गोस्वामी एकदम सही कह रहे हैं। मैं...प्रियंकर और नीरज गोस्वामी एकदम सही कह रहे हैं। मैं दोनों साथियों की बात से सौ फीसद सहमत हूं। दरअसल ये पहल हुई इसीलिए थी कि सभी ब्लागर साथी सचमुच एकदूसरे से जुड़ाव का स्थायी आधार पा सकें। इसके लिए ब्लागर की उस शख्सियत को जानना निहायत ज़रूरी था जो उसके ब्लाग से हटकर है और सचमुच है। मुझे खुशी है कि आप सबके सहयोग से ये पहल रंग ला रही है। <BR/>शब्दों का सफर चलता रहेगा। <BR/>शुक्रिया साथियों.....अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-13124280540197977292008-04-28T19:07:00.000+05:302008-04-28T19:07:00.000+05:30बहुत अच्छा लिखा है . किसी भी सिद्ध लिक्खाड़ को टक्क...बहुत अच्छा लिखा है . किसी भी सिद्ध लिक्खाड़ को टक्कर देती शिव की शैली बहुत सधी हुई है . नीरज भाई की तरह मुझे भी शिव के प्रशंसकों में गिन लीजिए . मैं उनके लिखे में अपना बचपन ढूंढ रहा हूं .Priyankarhttps://www.blogger.com/profile/13984252244243621337noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-56824438218544207462008-04-28T18:03:00.000+05:302008-04-28T18:03:00.000+05:30क्या बात है विवाह वाला मामला भी आपका खूब रहा...अच्...क्या बात है विवाह वाला मामला भी आपका खूब रहा...अच्छा लग रहा है आपको जानना.....अगली कड़ी का इंतज़ार रहेगा..VIMAL VERMAhttps://www.blogger.com/profile/13683741615028253101noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-35587459170188745092008-04-28T17:20:00.000+05:302008-04-28T17:20:00.000+05:30अजित जी ,पतंग वाली पोस्ट में आपकी शुभकामना पढ़ीं....अजित जी ,<BR/>पतंग वाली पोस्ट में <BR/>आपकी शुभकामना पढ़ीं.<BR/>मुझे सिर्फ़ ये मालूम है कि <BR/>इस सफ़र ने मुझे हमराह ही नहीं <BR/>दीवाना भी बना दिया है .<BR/>बड़ी मिन्नतों के बाद भी अच्छी बातों का <BR/>ऐसा सुंदर ठौर-ठिकाना कहाँ मिलता है ?<BR/>===========================<BR/>रहा सवाल टिप्पणियों का तो <BR/>उसकी पसंदगी की वज़ह भी आप ही हैं .<BR/>.....और दीवानों को हर दौर में थोड़ी या अधिक दीवानगी <BR/>दुनिया की भी मिल ही जाती है न ?<BR/>वही अपने हिस्से आ रही होगी .<BR/>लिहाज़ा शुक्रिया उनका भी <BR/>जिन्हें अच्छे को ....अच्छे से.... अच्छा कहना......अच्छा लगता है !<BR/>===========================================<BR/>...और शिव जी की जीवन यात्रा स्वयं कह रही हॅ <BR/>कि कठिन परिश्रम का विकल्प नहीं है .<BR/><BR/>आभार .<BR/>डा.चंद्रकुमार जैनAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-78186290106222966082008-04-28T16:23:00.000+05:302008-04-28T16:23:00.000+05:30शिव जी के बारे मे पढ़कर उनका एक अलग ही रूप सामने आ...शिव जी के बारे मे पढ़कर उनका एक अलग ही रूप सामने आ रहा है।mamtahttps://www.blogger.com/profile/05350694731690138562noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-64645490612090090332008-04-28T16:02:00.000+05:302008-04-28T16:02:00.000+05:30सचमुच मजा आ रहा है पढ़कर !सचमुच मजा आ रहा है पढ़कर !रवीन्द्र प्रभातhttps://www.blogger.com/profile/11471859655099784046noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-56649356224613819682008-04-28T15:24:00.000+05:302008-04-28T15:24:00.000+05:30अजित जीआप ने हमारे ब्लॉग मित्रों को जिनसे शब्दों य...अजित जी<BR/>आप ने हमारे ब्लॉग मित्रों को जिनसे शब्दों या अधिक से अधिक ध्वनी से नाता था नए अंदाज़ में मिलवाने का जो काम किया है उसके लिए उपयुक्त शब्द ढ़ूढ़ने पड़ेंगे. आप शब्दों के चितेरे हैं आप ही बतईये आप की प्रशंशा कैसे करूँ?<BR/>शिव के बारे में जितना पढता हूँ उसके प्रति प्रेम उतना ही बढ़ता है.सिर्फ़ शब्दों और ध्वनी का ही उनसे नाता है लेकिन लगता ही नहीं की उनसे कभी नहीं मिला हूँ. विलक्षण प्रतिभा के धनि हैं वो. कभी लगता है मेरा ही छोटा भाई है जो शायद कभी कुम्भ के मेले में बिछुड़ गया होगा, लेकिन माता जी बताती हैं की वो कभी कुम्भ गयी ही नहीं, फ़िर भी उनके संस्मरण पढ़के खूब आनंद आ रहा है. इश्वर उन्हें हमेशा खुश रखे.<BR/>नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-41279449219279875102008-04-28T14:37:00.000+05:302008-04-28T14:37:00.000+05:30आपके मित्रों को हमने भी पहचान लिया. मजा आ रहा है प...आपके मित्रों को हमने भी पहचान लिया. <BR/><BR/>मजा आ रहा है पढ़कर.काकेशhttps://www.blogger.com/profile/12211852020131151179noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-37742479557018200492008-04-28T14:13:00.000+05:302008-04-28T14:13:00.000+05:30:)और विस्तार से लिखे भाई।:)<BR/><BR/>और विस्तार से लिखे भाई।Pankaj Oudhiahttps://www.blogger.com/profile/06607743834954038331noreply@blogger.com