tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post9073023680377937456..comments2024-01-18T18:37:01.064+05:30Comments on शब्दों का सफर: चौमासे में चौकन्ना चौकीदार [ चौक 1]अजित वडनेरकरhttp://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-19545144420720168832009-02-17T22:57:00.000+05:302009-02-17T22:57:00.000+05:30@दिनेशराय द्विवेदी- एकदम सही कहा आपने, चूक हुई। जल...@दिनेशराय द्विवेदी- एकदम सही कहा आपने, चूक हुई। जल्दबाजी में मुख्य बात रह गई, सहायक संदर्भ स्थान पा गया। ध्यान दिलाने के लिए आभारी हूं। चौका-बासन के साथ साथ चौका-बरतन भी खूब चलता है। चौका-बरतन समेटना जैसा प्रयोग भी किया जाता है। बासन भी वस् धातु से बना है जिसका अर्थ बर्तन, धोने की जगह, रसोई-उपकरण आदि ही होता है सो जिस अर्थ में हमने चौका-बासन का प्रयोग किया है अर्थात भोजनोपरांत चौका बुहारना, वह भी सही है।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-73762962057511057182008-04-07T10:16:00.000+05:302008-04-07T10:16:00.000+05:30अजित जी ,बहुत सुंदर-सधा हुआ पोस्ट.चौमासे में हमारे...अजित जी ,<BR/>बहुत सुंदर-सधा हुआ पोस्ट.<BR/>चौमासे में हमारे यहाँ साधक <BR/>आत्मा के चौकस चौकीदार बन जाते हैं.<BR/>------------------------------------------<BR/>साधु-संत चौकी पर बैठकर <BR/>चौकन्ना रहकर जीने का <BR/>चारू -उपदेश देते हैं.<BR/>------------------------------------------<BR/>और हाँ ! चौका-बासन पर विचार करते हुए <BR/>निदा फ़ाज़ली साहब की पंक्तियाँ याद आ गईं -<BR/><BR/>बेसन की सौंधी रोटी पर <BR/>खट्टी चटनी जैसी माँ <BR/>याद आती है चौका-बासन <BR/>चिमटा, फुंकनी जैसी माँ .<BR/><BR/>मातृ-शक्ति की आराधना के पर्व की <BR/>मंगल-कामनाओं सहित<BR/>आपका<BR/>डा.चंद्रकुमार जैनDr. Chandra Kumar Jainhttps://www.blogger.com/profile/02585134472703241090noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-83466757155455804492008-04-07T02:11:00.000+05:302008-04-07T02:11:00.000+05:30चउ-कस [ अरबी में चार को अरबा कहते हैं - और अरबाब ...चउ-कस [ अरबी में चार को अरबा कहते हैं - और अरबाब big boss की तरह प्रयुक्त होता है!! ]Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/08624620626295874696noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-67638742215788740832008-04-06T11:22:00.000+05:302008-04-06T11:22:00.000+05:30शुक्रिया!!कबीरपंथ का अध्ययन करने के दौरान मैं परिच...शुक्रिया!!<BR/><BR/>कबीरपंथ का अध्ययन करने के दौरान मैं परिचित हुआ "चौका-आरती" शब्द से, अब इस आरती के साथ चौका का संयोग कैसे हुआ यह समझ में नही आया!! क्या यहां पर चौका से तात्पर्य रंगोली जैसे किसी आकृति बनाने से है।<BR/>अगर शंका निवारण हो सके तो अति-उत्तम!!Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-40737773580939258282008-04-06T08:56:00.000+05:302008-04-06T08:56:00.000+05:30आलेख की अंतिम पंक्ति में गड़बड़ हो गई। बासन शब्द ब...आलेख की अंतिम पंक्ति में गड़बड़ हो गई। बासन शब्द बरतन का पर्याय है। चौका-बासन करना अर्थात भोजन निर्माण के लिए तैयारी संम्पूर्ण है। यह शब्द-युग्म भोजनोपरांत चूल्हे को ठंडा करके उसे मिट्टी या गोबर लीप कर, तथा बरतनों को धो-माँज कर अगले भोजन निर्माण के लिए तैयार रख छोड़ने की क्रिया के लिए है। विवाह के पूर्व कुम्हार के घर से मिट्टी के बरतन लाना एक परंपरा है जिसे बासन लाना कहते हैं। इस बासन का वास शब्द से दूर का भी संबंध दिखाई नहीं पड़ता। हाँ गर्म चूल्हे पर मिट्टी का लीपना लगने पर जो गंध (वास) उड़ती है उस का जवाब नहीं। आप की बात पढ़ कर लगा जैसे अभी तक बचपन में उस पुराने चूल्हे से निकली वह गंध अभी तक मेरे नथुनों में बसी है।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-80305170359234020192008-04-06T06:57:00.000+05:302008-04-06T06:57:00.000+05:30बहुत चउचक लिखा है जी।बहुत चउचक लिखा है जी।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.com