tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post9162330243512501629..comments2024-01-18T18:37:01.064+05:30Comments on शब्दों का सफर: नेताजी, बहुत पाल्टिक्स हो गई…[लोकतंत्र-7]अजित वडनेरकरhttp://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-62884861025739113672011-10-26T23:42:34.287+05:302011-10-26T23:42:34.287+05:30वैसे खिलचीपुर इतना अनजान भी नहीं।वैसे खिलचीपुर इतना अनजान भी नहीं।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-70742699616252122392009-05-17T14:45:00.000+05:302009-05-17T14:45:00.000+05:30सच कहा आपने
अवमूल्यन तो हुआ ही है.
लेकिन पॉलिटिक्...सच कहा आपने <br />अवमूल्यन तो हुआ ही है.<br />लेकिन पॉलिटिक्स अहम हिस्सा है जिंदगी का,<br />इससे इनकार संभव नहीं....और हिमांशु जी,<br />अपने मुक्तिबोध जो कहा करते थे न<br />पार्टनर अपनी पोलिटिक्स तय करो<br />वह लेखन की रीत-नीत और<br />विचारधारा से जुडी बात है.<br />=====================<br />बढ़िया पोस्ट....आभार.<br />डॉ.चन्द्रकुमार जैनDr. Chandra Kumar Jainhttps://www.blogger.com/profile/02585134472703241090noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-88366856557542985252009-05-16T20:37:00.000+05:302009-05-16T20:37:00.000+05:30आख़िर जुड़ ही गए पुलिस और बमपुलिस आपस में! :)आख़िर जुड़ ही गए पुलिस और बमपुलिस आपस में! :)इष्ट देव सांकृत्यायनhttps://www.blogger.com/profile/06412773574863134437noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-17807359959334856122009-05-16T14:19:00.000+05:302009-05-16T14:19:00.000+05:30रोचक शब्द यात्रा को पर्याप्त मनोरंजक भी बना दिया आ...रोचक शब्द यात्रा को पर्याप्त मनोरंजक भी बना दिया आपने......इतने प्रचलित शब्द पुलिस के व्युत्पत्ति के बारे में जानना बड़ा ही अच्छा लगा....<br /><br />आभार आपका.रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-51158658116200674712009-05-16T11:58:00.000+05:302009-05-16T11:58:00.000+05:30@RD1)रमेंश भाई, खिलचीपुर का खिलजियों से संबंध मेरा...<B>@RD</B>1)रमेंश भाई, खिलचीपुर का खिलजियों से संबंध मेरा अनुमान है। यह तथ्य नहीं है। पुर की प्राचीनता खिलजी शब्द के साथ जुड़ने में कहां बाधक है? सभी वे नाम जिनके साथ पुर जुड़ा है, अत्यधिक प्राचीन हैं ऐसा कतई नहीं हैं। उदाहरण के लिए जयपुर को ही लीजिए। महज़ कुछ सदी पुराना शहर है। अलबत्ता मुस्लिम नामों के साथ 'आबाद'लगाने की परंपरा रही है। <br />2)कोड वर्ड के अर्थ में कूट भी इसी मूल का है। मूलतः कुट् में वक्रता का ही भाव है जो आश्रय से जुड़ता है। आश्रय यानी आवरण। कुट् का अगला विकास है कूट जिसमें स्थायित्व, छल, छद्म, जालसाजी जैसे भाव जुड़ते हैं। ये सभी टेढ़ी राहे हैं। बिना टेढ़ा वक्री हुए ये प्रयोजन सिद्ध नहीं होते। कूटनीति में कूट की वक्रता प्रभावी है। कूट परीक्षणवाला कूट भी इसी मूल का है। झूठ की पड़ताल, जालसाजी का परीक्षण, बारीकी से जांच जैसे अर्थ स्पष्ट हैं। कुट् की वक्रता मूलतः शहतीरों, मेहराबों से संबंधित है जो भवन निर्माण के मुख्य आधार होते हैं। 160 डिग्री पर मुड़ी दो भुजाएं, जिनपर छत डाली जाती है। आश्रय का प्राचीनतम रूप है छप्पर जो टहनियों को मोड़कर, उसपर पत्ते बिछाकर बनाया जाता है।अजित वडनेरकरhttps://www.blogger.com/profile/11364804684091635102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-37492534819720689492009-05-16T10:33:00.000+05:302009-05-16T10:33:00.000+05:30शतरंज की सब चाल, वक्रता जिनमें रमी हुई हैं।
राजनीत...शतरंज की सब चाल, वक्रता जिनमें रमी हुई हैं।<br />राजनीति जंजाल, कुटिलता जिनमें जमी हुई हैं।।डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-19094407147396150982009-05-16T10:14:00.000+05:302009-05-16T10:14:00.000+05:30ईश्वर करे वह दिन जल्दी आये जब राजनीति श्रापमुक्त औ...ईश्वर करे वह दिन जल्दी आये जब राजनीति श्रापमुक्त और स्वच्छ ओढ़ना ओढे !! नेता त्यागी हों | पसीने और मिट्टी की गंध जानते हों | पसीने और मिट्टी को हक और महत्व दिलाना जानते हों | <br /><br />ईश्वर करे वह दिन जल्दी आये जब राजनेता के आने पर हमारे दिल में झरने बह पड़ें ; प्रेम के, आदर के, सत्कार के, सदभाव के ... बिना किसी प्रपंच के, नैसर्गिक ... <br /><br /> ईश्वर करे वह दिन जल्दी आये |RDShttps://www.blogger.com/profile/14134695386879343906noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-84183774272640560702009-05-16T09:57:00.000+05:302009-05-16T09:57:00.000+05:30शोध अत्यंत गहन एवं वंदनीय है | खजाने में वृद्धि कर...शोध अत्यंत गहन एवं वंदनीय है | खजाने में वृद्धि करते रहने के लिए कैसे शुक्रिया कहें ? उदारता के लिए साधुवाद | <br /><br />इस आलेख से ज्ञान में अभिवृद्धि के साथ साथ दो प्रश्न पैदा हुए : <br /><br />(१) आलेख वक्रता को कूट का पर्याय बताता है | अधिकतर 'कूट' शब्द गुप्त एवं छद्म शब्दावली के लिए (code words के रूप में ) प्रयोग किया जाता रहा है | तो कूट का मूल आखिर है क्या ? वक्रता या छद्मता ? और फिर कूट परीक्षण में प्रयुक्त 'कूट' क्या है ? <br /><br />(२) आलेख के अनुसार पुर / पुरी मुस्लिम खिलजियों के नाम से शुरू हुई संभावित है | परन्तु भारतीय पौराणिक ग्रंथों में पुरम / पुर / पुरी शब्द का उल्लेख बहुतायत में मिलता है और ये ग्रन्थ मुस्लिम पंथ के उदय व आगमन के पूर्व से ही प्रादुर्भाव में हैं |सच क्या है ? <br /><br />या मेरी उक्त शंकाएं निर्मूल हैं ?RDShttps://www.blogger.com/profile/14134695386879343906noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-15421510070343643252009-05-16T08:26:00.000+05:302009-05-16T08:26:00.000+05:30अब पोलटिक्स का मतलब है - अपना काम बनता भाड़ में जा...अब पोलटिक्स का मतलब है - अपना काम बनता भाड़ में जाए जनताdhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }https://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-3688069285483423592009-05-16T07:10:00.000+05:302009-05-16T07:10:00.000+05:30सही विश्लेषण .सही विश्लेषण .डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-59099132490482907402009-05-16T07:01:00.000+05:302009-05-16T07:01:00.000+05:30हमारे पुश्तैनी घर के पास भी बम-पुलिस था. दादाजी कह...हमारे पुश्तैनी घर के पास भी बम-पुलिस था. दादाजी कहते थे तो हम बच्चे हंसा करते थे कि ही ही!! बम-पुलिस !!!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-40327734384272860582009-05-16T06:43:00.000+05:302009-05-16T06:43:00.000+05:30सामान्य लोग कूटनीति को ही पोलिटिक्स कहते हैं।
शब्...सामान्य लोग कूटनीति को ही पोलिटिक्स कहते हैं। <br />शब्द निर्माण का काम जनता सतत करती रहती है। गाँव में क्रेन को सहज ही कर्ण कह दिया जाता है और वह प्रचलित हो जाता है। <br />हमारे यहाँ एक शब्द है बगाग्यो। प्रयोग- बैल बगाग्यो!<br />यानी बैल की गुदा मे बग्गी नाम का कीड़ा घुस जाने से उत्पन्न रोग हो गया है। सारे शब्दों का निर्माण परिस्थतियों के अनुकूल जनता ही करती है।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-90127119974585425182009-05-16T05:25:00.000+05:302009-05-16T05:25:00.000+05:30हमारे ’मुक्तिबोध” भी पॉलिटिक्स शब्द का यूँ ही ठाठ ...हमारे ’मुक्तिबोध” भी पॉलिटिक्स शब्द का यूँ ही ठाठ से इस्तेमाल करते थे । <br /><br />सुन्दर प्रविष्टि । आभार ।Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7753883218562979274.post-60004221594714153292009-05-16T04:58:00.000+05:302009-05-16T04:58:00.000+05:30पुनश्च जानकारी में श्री वृद्धि के लिए सादर आभार व...पुनश्च जानकारी में श्री वृद्धि के लिए सादर आभार व धन्यवाद!!प्रवीण त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/02126789872105792906noreply@blogger.com