
हिन्दी में पुत्र या पुत्री के लिए बेटा या बेटी शब्द का चलन है। यही नहीं बड़ों की ओर से छोटों को स्नेहपूर्वक दिया जाने वाला भी यह एक बेहद लोकप्रिय संबोधन है। इस बेटा और बेटी पर जब लाड़-प्यार-वात्सल्य की चाशनी ज्यादा चढ़ा दी जाती है तब बिट्टू, बिटवा ,बिटिया, बिट्टी,बिट्टन जैसे कई गाढ़े और प्यारे रूप देखने को मिलते हैं।
ये सभी शब्दरूप संस्कृत के वटु: से बने हैं । संस्कृत मे इसी शब्द के तीन अन्य रूप - वटुक: , बटु: और बटुक भी हैं। इन तमाम शब्दरूपों के दो ही अर्थ हैं पहला - ब्रह्मचारी, दूसरा- छोकरा, लड़का या किशोर। वटु: या बटुक से अपभ्रंश रूप में बेटा शब्द बना जिसका चलन पुत्र के अर्थ में होने लगा। बाद में पुत्री की तर्ज पर इससे बेटी शब्द भी बना लिया गया मगर मूलत: यह पुरुषवाची शब्द ही था।
प्राचीनकाल में गुरुकुल के विद्यार्थी के लिए ही आमतौर पर वटु: या बटुक शब्द प्रयोग किया जाता था। राजा-महाराजाओं और श्रीमन्तों के यहां भी ऋषि-मुनियों के साथ ये वटु: जो उनके गुरुकुल में अध्ययन करते थे, जाते और दान पाते।
बजरबट्टू भी बटुक से ही बना। बजरबट्टू आमतौर पर मूर्ख या बुद्धू को कहा जाता है। जिस शब्द में स्नेह-वात्सल्य जैसे अर्थ समाए हों उससे ही बने एक अन्य शब्द से तिरस्कार प्रकट करने वाले भाव कैसे जुड़ गए ?
आश्रमों में रहते हुए जो विद्यार्थी विद्याध्ययन के साथ-साथ ब्रह्मचर्यव्रत के सभी नियमों का कठोरता से पालन करता उसे वज्रबटुक कहा जाने लगा। जाहिर है वज्र यानी कठोर और बटुक मतलब ब्रह्मचारी/विद्यार्थी। ये ब्रह्मचारी अपने गुरू के निर्देशन में वज्रसाधना करते इसलिए वज्रबटुक कहलाए। मगर सदियां बीतने पर जब गुरुकुल और आश्रम परम्परा का ह्रास होने लगा तब इन बेचारे बटुकों की कठोर वज्रसाधना को भी समाज ने उपहास और तिरस्कार के नजरिये से देखना शुरू किया और अच्छा खासा वज्रबटुक हो गया बजरबट्टू यानी मूर्ख।
अजित जी
ReplyDeleteआपका प्रशंसक हूँ. बजरबट्टू से ध्यान आया.
बुद्धिहीन, मंदबुद्धि, कुंदबुद्धि, जड़बुद्धि, बुद्धिवंचित तो समझ में आते हैं लेकिन बुद्धू समझ में नहीं आता. बुद्धू में बुद्धि के कम होने का संकेत कहीं नहीं है. क्या गौतम बुद्ध के शिष्यों का उपहास करने के लिए हिंदू ब्राह्मणों ने बुद्धिमान के पर्यायवाची को व्यंग्य कर करके बुद्धू बना दिया...ज़रा रोशनी डालिए
बहुत अच्छा लगता है आपका ब्लाग पढ़ना!
ReplyDeleteवटु से बेटा तो ठीक है.. मगर मैंने पाया है कि बजरबट्टू शब्द का लोकप्रिय प्रयोग बुरी नज़र से बचाने वाले एक पत्थर के अर्थ के बतौर है.. रामशंकर शुक्ल 'रसाल' के भाषा शब्द कोष में भी बजरबट्टू का अर्थ है- एक पेड़ का बीज जिसे दृष्टि दोष से बचने के लिए बच्चों को पहनाते हैं.. बजर तो साफ़ साफ़ वज्र का तद्भव है.. मगर बट्टू क्या है..? क्या वट? क्या वटन? या वटक?
ReplyDeleteमुझे तो लगता है कि यहाँ वटक ही सही है क्योंकि वटक मायने है छोटा पत्थर का ढेला..उसकी उत्पत्ति वट धातु से ही है जिसका अर्थ है.. बाँटना.. विभाजित करना.. ध्यान दीजिये.. बाँटना वट से ही आ रहा है.. तो वटक बना वो बाँट..जो चीज़ों को तौलने यानी विभाजित करने में काम आये.. जिसके लिए छोटे पत्थर के ढेलों का ही उपयोग होता रहा होगा.. और कालान्तर में हर छोटा पत्थर वटक कहलाया जाने लगा होगा.. जिसे आज हम बटा या बटिया कहते हैं.. ध्यान दें.. एक बटा दो.. और दो बटा तीन..वाला बटा भी यहीं से उपज रहा है.. तो आपके बजरबट्टू वह छोटा पत्थर है जो नज़र बचाने के काम आता है..
मगर रसाल का शब्दकोष कह रहा है कि वह एक बीज है.. अब देखिये नेट पर क्या क्या सूचना उपलब्ध है..
सूचना १) एक प्रकार के पाम या ताड़ के पेड़ का नाम भी बजर बट्टू है.. जिसके पत्तो से लोग अपने झोपड़ों की छत बनाते हैं.. और पेड़ में ३० से ८० साल बाद जब एक ही बार फल आता है,, और उसके बाद पेड़ मर भी जाता है.. ये फल ३-४ सेंटीमीटर बड़ा होता है और इसके अन्दर एक ही बीज होता है..
सूचना २) इस बीज का इस्तेमाल कुछ जनजातियां गले का हार बनाने में करती हैं..
सूचना ३) बच्चों के गले में पहनाया जाने वाला छत्तीसगढ़ का एक महत्वपूर्ण आभूषण ‘बजरबट्टू’ है..
और फिर आखिर में रसाल जी के शब्दकोष का अर्थ पुनः याद किया जाय कि बजरबट्टू, बच्चों को नज़र लगने से बचाने का एक पत्थर है..
रह गई बात पत्थर और बीज की तो हर छोटे पत्थर को वटक या बटा कहना और हर पत्थर नुमा बीज को भी बटा कह देना शब्द की यात्रा के पड़ाव माने जा सकते हैं..
तो मित्र अजित जी.. मेरा ख्याल है कि बजरबट्टू का बट्टू.. वटुक से नहीं बल्कि वटक से आ रहा है..