
चूसना एक बहुत आम शब्द है और दिनभर में हमें कई बार इसके भाषायी और व्यावहारिक क्रियारूप देखने को मिलते है। कहने का तात्पर्य यह कि आए दिन चूसने की क्रिया देखने में भी आती है और सुनने-बोलने में भी। यही बात चखना शब्द के बारे में भी
सही बैठती है। ये दोनो लफ्ज भारतीय ईरानी मूल के शब्द समूह का हिस्सा हैं और संस्कृत के अलावा फारसी , हिन्दी और उर्दू के साथ ज्यादातर भारतीय भाषाओं में बोले-समझे जाते हैं।
चूसना शब्द बना है संस्कृत की चुष् या चूष् धातु
से । इस धातु का अर्थ है पीना , चूसना । इससे ही बना है चषक शब्द जिसका मतलब होता है प्याला, कप, मदिरा पात्र, सुरा पात्र अथवा गिलास। एक खास किस्म की शराब के तौर पर भी चषक का उल्लेख मिलता है। इसके अलावा मधु अथवा शहद के लिए भी चषक शब्द है। इसी शब्द समूह का हिस्सा है चष् जिसका मतलब होता है खाना। हिन्दी में प्रचलित चखना इससे ही बना है जिसका अभिप्राय है स्वाद लेना । इसके अन्य अर्थों में है चोट पहुंचाना, क्षति पहुंचाना अथवा मार डालना।
चुष् से ही बना है चोष्यम् जिसके मायने भी चूसना ही होते हैं। मूलत: चूसने की क्रिया में रस प्रमुख है। अर्थात जिस चीज को चूसा जाता वह रसदार होती है। जाहिर है होठ और जीभ के सहयोग से उस वस्तु का सार ग्रहण करना ही चूसना हुआ। अब इस अर्थ और क्रिया पर गौर करें तो इस लफ्ज के कुछ अन्य मायने भी साफ होते हैं और कुछ मुहावरे नजर आने लगते हैं जैसे कंजूस मक्खीचूस अथवा खून चूसना वगैरह। किसी का शोषण करना , उसे खोखला कर देना, जमा-पूंजी निचोड़ लेना जैसी बातें भी चूसने के अर्थ में आ जाती हैं।
इसके कई रूप हिन्दी में प्रचलित हैं मसलन चस्का या चसका। गौरतलब है कि किसी चीज का मजा लेने , उसे बार-बार करने की तीव्र इच्छा अथवा लत को भी चस्का ही कहते हैं और यह बना है चूसने अथवा स्वाद लेने की क्रिया से । बर्फ के गोले और चूसने वाली गोली के लिए आमतौर पर चुस्की शब्द प्रचलित है। बच्चों के मुंह में डाली जाने वाली शहद से भरी रबर की पोटली

यही चुष् फारसी में भी अलग अलग रूपों में मौजूद है मसलन चोशीद: या चोशीदा अर्थात चूसा हुआ। इससे ही बना है चोशीदगी यानी चूसने का भाव और चोशीदनी यानी चूसने के योग्य। अगर चूसने पर आ जाएं तो सारे ही आम चूसे जा सकते हैं मगर आम की एक खास किस्म के चौसा नामकरण के पीछे क्या इसी शब्द की रिश्तेदारी है ?
भयंकर ज्ञान!!
ReplyDeleteअनुसंधान पर आधारित इस जानकारी के लिये आभार -- शास्त्री जे सी फिलिप
ReplyDeleteहिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है
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