
संस्कृत में दीनार का उल्लेख दीनारः के रूप में मिलता है। भारतीय संस्कृति में दीनार किस हद तक रची-बसी थी इसका उल्लेख आठवी सदी में लिखे गए दशकुमारचरित में मिलता है जिसमें द्यूतक्रीड़ा (जूआ) के संदर्भ में उल्लेख है कि १६००० दीनारों की बाजी में द्यूत अध्यक्ष के निर्णयानुसार आधी राशि जीतनेवाले को और बाकी आधी राशि द्यूत अध्यक्ष व द्यूतसभा के कर्मचारी आपस में बांट सकते हैं।

`दीनार´ के रूप में लंबे अर्से तक लेन-देन का जरिया बनी रही। 98ई.में कनिष्क के जमाने का एक रोमन उल्लेख गौरतलब है:- भारत वर्ष हर साल रोम से साढ़े पांच करोड़ का सोना खींच लेता है । जाहिर है यह आंकड़ा रोमन स्वर्ण मुद्रा दिनारियस के संदर्भ में बताया जा रहा। अपने रोमन रूप में दीनार का मूल्य क़रीब साढ़े चार ग्राम स्वर्ण के बराबर था। आज दुनिया के तमाम मुल्कों में दीनार धातु की मुद्रा की बजाय कागज के नोट के रूप में डटी हुई है।
बाद के सालों में रोम से ऐसे ही कारोबारी रिश्तों के चलते दीनार ईरान और कुछ अरब मुल्कों में भी प्रचलित हुई और अब तक डटी हुई है। यही नहीं अरब मुल्कों समेत दीनार सर्बिया, युगोस्लाविया ,बोस्निया-हर्जेगोविना, अल्जीरिया, यमन, ट्यूनीशिया, सुडान और मोंटेनेग्रो जैसे देशों की भी राजकीय मुद्रा है।
दीनार रोमन शब्द है यह आज पता चला!
ReplyDeleteबेहतरीन जानकारी...वैसे हमारे पास दीनार धरोहर के रुप में है कई पुश्तों से पास ऑन हो रही है. :)
ReplyDeleteधन्यवाद पसंद बनाने के लिये भी और इतनी अच्छी जानकारी के लिये भी.
ReplyDeleteअच्छी जानकारी, आभार इसे बांटने के लिए।
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