
संस्कृत का आराम: भी मूलत: रम् धातु से बना है जिसका अर्थ है सुहावना, आनंदजनक या संतोषप्रद। रम् में आ उपसर्ग लगने से बना आराम:। रम् से हिन्दी के कई अन्य शब्द भी बने हैं जैसे रमण । इसके कई अर्थ हैं जैसे सुहावना, मनोहर, आनंदप्रद आदि। इसके अतिरिक्त प्रेमी, पति, और कामदेव भी होता है। रमण का एक और भी अर्थ है जो चौंकानेवाला है – गधा। मगर कलियुगी यथार्थ पर अगर प्रेमी या पति को देखें तो रमण का पर्याय गधा कुछ ग़लत भी नहीं है। जिन्हें संदेह है वे वाशि आपटे का शब्दकोश देख सकते हैं। इसी तरह रमणी के मायने हुए पत्नी, प्रेयसी या सुंदरी। लक्ष्मी का एक नाम रमा भी इसी से बना है। इसीलिए विष्णु के लिए रमाकांत, रमानाथ और रमापति जैसे नाम भी चल पड़े। रम्य , सुरम्य, मनोरम जैसे शब्द भी इसी कड़ी में आते है
प्राचीनकाल में बौद्ध भिक्षुओं के संघ जिन मठों,
विहारों या उद्यानों में विश्राम करते उसे संघाराम ही कहा जाता था। नालंदा विश्वविद्यालय का संघाराम तत्कालीन भारत का सबसे विशाल संघाराम था ऐसा छठी सदी में भारत आए चीनी यात्री

प्राचीन फारसी यानी अवेस्ता ने आरामः को को ज्यों का त्यों अपना लिया । फिर ये आधुनिक फारसी में भी जस का तस रहा। फारसी से ही ये उर्दू में भी आराम आया। यहां इस शब्द का अर्थ बाग-बगीचा न होकर शुद्ध रूप से विश्राम के अर्थ में है। हिन्दी में भी आराम शब्द का प्रयोग विश्राम के अर्थ में ही होता है। फारसी में तो इससे कई शब्द भी बन गए जैसे आरामतलब, आरामगाह, आरामकुर्सी, आरामपसंद, आरामदेह वगैरह वगैरह। खास बात ये कि ये तमाम शब्द हिन्दी में भी खूब इस्तेमाल किये जाते हैं।
रमण का अर्थ गधा भी होता है-अद्भुत ज्ञान.
ReplyDeleteबहुत आभार इस ज्ञानसरिता को बहाने का. जारी रखें.
प्यारी पोस्ट..
ReplyDeleteवाह!!
ReplyDeleteयह नई मिली कि रमण का एक अर्थ गधा भी होता है!!
ज्ञानवर्धक, आभार!