
रावण शब्द का कलरव से क्या रिश्ता हो सकता है ? कलरव बहुत सुंदर शब्द है जिसका मतलब है मधुर आवाज़। चिड़ियों का चहचहाना। पक्षियों की कूजनध्वनि । कल यानी चिड़िया और रव यानी ध्वनि, आवाज़। रव बना है संस्कृत की ‘रु’

‘रु’ में शोर मचाना, चिंघाड़ना, दहाड़ना आदि भी शामिल है। इससे ही बना है संस्कृत शब्द रावः जिसका मतलब है भयानक ध्वनि करना। चीत्कार करना। चीखना-चिल्लाना। हू-हू-हू जैसी भयकारी आवाज़ें निकालना आदि। रावः से ही बना है रावण जिसका अर्थ हुआ भयानक आवाजें करने वाला, चीखने-चिल्लाने वाला, दहाड़ने वाला। ज़ाहिर है यह सब संस्कारी मानव के सामान्य क्रियाकलापों में नहीं आता। किसी मनुश्य का अगर

ऐसा स्वभाव होता है तो उसे हम या तो पशुवत् कहते हैं या राक्षस की उपमा देते हैं। ज़ाहिर है कि रावण तो जन्मा ही राक्षस कुल में था इसलिए रावण नाम सार्थक है।
एक दिलचस्प संयोग भी है। रावण को रुद्र यानी शिव का भक्त बताया जाता है और रुद्र की कृपादृष्टि के लिए रावण द्वारा घनघोर तपस्या करने का भी उल्लेख है। रुद्र यानी एक विशेष देवसमूह जिनकी संख्या ग्यारह है। भगवान शिव को इन रुद्रों का मुखिया होने से रुद्र कहा जाता है। रुद्र भी बना है रुद् धातु से जिसका मतलब भयानक ध्वनि करना भी है। इससे रुद्र ने भयानक, भयंकर, भीषण, डरावना वाले भाव ग्रहण किए । यानी रावण और रुद्र दोनों शब्दों का मूल और भाव एक ही हैं। भयानक – भीषण जैसे भावों को साकार करने वाला रौद्र शब्द इसी रुद्र से बना है। रावण ने रुद्र की तपस्या कर किन्ही शक्तियों के साथ रौद्र भाव भी अनायास ही पा लिया। कथाओं में रावण की विद्वत्ता की बहुत बातें कही गई हैं । बताया जाता है कि कृष्णयजुर्वेद रावण द्वारा रचित वेदों पर टिप्पणियों का ग्रंथ है। इसमें इंद्र के स्थान पर रावण ने अपने आराध्य रुद्र की महिमा गाई है। इस ग्रंथ की सामग्री बाद में यजुर्वेद से जुड़ गई जिन्हें शतरुद्री संहिता कहा गया और तभी से रुद्र के साथ शिव नाम भी प्रचलित हुआ।
मेरा मित्र है - राव। बहुत टांय-टांय बोलता है। अब समझ में आया कि वह यथा नाम तथा गुण है!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया रोचक
ReplyDeleteरोचक-ज्ञान जी भी अपने मित्र को पहचान पाये. आप सबकी कितनी साहयता करते हैं, आभार.
ReplyDeletebahut khoob. shabdo ke samundar se moti nikale jo ham jaise ke liye badi thathi hai. aap dhanya hai..manvo ke ram
ReplyDeletevinod