
आंख शब्द बना है संस्कृत के अक्षि से जिसका मतलब होता है नेत्र, आंख की पुतली, दो की संख्या अथवा दृश्यमान। अक्षि शब्द की मूल धातु है अश्। इसका मतलब है पहुंचना, व्याप्त होना, संचित होना अथवा पैठना। गौर करें कि जगत में जो कुछ भी दृश्यमान है, जिसका निश्चित आकार-प्रकार में भौतिक अस्तित्व है वह सब नेत्रों में व्याप्त हो जाता है,संचित हो जाता है इसीलिए अश् से बने अक्षि शब्द में नेत्र का भाव सार्थक है। संस्कृत का अक्षि ही अपभ्रंश में आक्खि-आखि होते हुए हिन्दी में आंख हुआ। इसी का एक रूप नज़र आता है रूद्राक्ष में । चौपड़ के खेल में पांसों को भी अक्ष ही कहा जाता है। दरअसल रुद्राक्ष बना है रुद्र + अक्ष से मिलकर। पुराणों में रुद्र एक गणदेवता का नाम है । इसी तरह शिव के उग्र रूप को भी रुद्र कहते हैं । गौरतलब है कि रुद्र से ही बना है रौद्र अर्थात उग्र। जब कोई व्यक्ति गुस्से में होता है तो उसकी आंखें लाल हो जाती हैं। यही है रुद्राक्ष का अर्थ। रौद्ररूप शिव के नेत्र। गुस्से की अभिव्यक्ति का मुहावरा भी हैं आंख दिखाना ,आंखें तरेरना या आंखें चढ़ाना ! यूं रुद्राक्ष एक वृक्ष है जो पहाड़ी क्षेत्र में होता है और इसके बीजों की माला बनाई जाती है जिसे अक्षसूत्र भी कहते हैं और इसे पवित्र माना जाता है। शैव परंपरा में रुद्राक्ष का बड़ा महत्व है। शिव का एक नाम अक्षमालिन् भी इसी वजह से है। महर्षि वसिष्ठ की पत्नी का नाम भी अक्षमाला है।

आभार इस ज्ञान के लिये..एक्सिस की उत्पत्ति ऐसे हुई है यह तो कभी सपने में भी नहीं आता.
ReplyDeleteआप शब्द ज्ञान पर बहुत श्रम कर रहे हैं। आपका ब्लाग बहुत पसंद आया।
ReplyDeleteनूर मोहम्मद खान
शुक्रिया। आपसे हर पोस्ट में बहुत कुछ सीखने को मिलता है।
ReplyDeleteमैंने अपनी ज़िन्दगी में कभी ऐसा श्रेष्ठ ब्लॉग नही देख; आपका शब्द उत्पत्ति ज्ञान व प्रस्तुतीकरण गज़ब का है।
ReplyDeleteइसे कभी बंद मत करियेगा plzzzzzzzz
मैं इससे बहुत सीख रहा हूँ।
आपको धन्यवाद!!!!