Thursday, December 20, 2007

गंदुमी रंगत और ज़ायके की बात

रोजमर्रा की जिंदगी में रोटी सबसे ज्यादा पसंद किया जाने वाला खाद्य पदार्थ है और इसमें भी अगर अनाज की बात की जाए तो ज्यादातर लोग गेहूं को पसंद करने वाले मिल जाएंगे।
वैदिक साहित्य में एक शब्द मिलता है गोधूम । इसी से बना है गेहूं । गोधूम यानी गो+धूम यानी गाय को धुंआं देना। स्पष्ट है कि प्राचीनकाल में गेहूं के पौधे का धुंआं गायों को मच्छरों व अन्य कीटों से बचाने के लिये दिया जाता रहा होगा। गौरतलब है कि गांवों में मवेशियों को आज भी सूखे चारे का धुंआं दिया जाता है।
एक अन्य शब्द भी गेहूं के विकल्प के रूप में संस्कृत में मिलता है-बहुदुग्ध । जाहिर है बाद में यही गोधूम यानी गेहूं चारे के रूप में गायों को भी दिया जाने लगा होगा जिसकी पौष्टिकता से उनके दूध में बढ़ोतरी होने पर यह नाम चल पड़ा होगा। जा़हिर है प्राचीन आर्य संस्कृति में गेहूं का उपयोग मनुश्य के लिये कम और पशुओ के लिए ज्यादा था। खाद्यान्नों मे इसे बहुत बाद मे सामाजिक स्वीकृति मिली होगी ।
हिन्दू पूजा विधि-विधानों में जो महत्व जव या जौ और धान यानी चावल का है वह गेंहूं को नहीं मिला है । फारसी में भी यही गोधूम, गंदुम बनकर विद्यमान है। इस शब्द का हिन्दी में भी गेहुंआ रंग के अर्थ में गंदुमी रंग कहकर प्रयोग होता है। जो भी हो, जिस गेहूं अर्थात गोधूम की आज धूम है किसी ज़माने में उससे सिर्फ धुंआं ही किया जाता था।

6 comments:

  1. बताइये - गेहूं का यह अपमान था भूतकाल में।
    कब स्टॉक वैल्यू बढ़ी इस अन्न की विज-अ-विज जौ, और यह मानव का मुख्य खाद्य बना! शायद पिछले कुछ दशकों में ही?

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  2. शुक्रिया इस जानकारी के लिए!!
    नायिका वर्णन के लिए गेहुएं रंगत का भी इस्तेमाल होता रहा है न।

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  3. अभी तक तो गेंहू खाकर ही तृप्त होते थे आज पढ़कर तृप्त हो लिए.
    धन्यवाद

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  4. जानकारी के लिए धन्यवाद
    जहां तक याद पड रहा है कि गौ का प्रयोग शुरुआत में कई चौपाया के लिए होता था बाद में यह रूढ होकर एक ही जानवर का पर्याय बन गया. जाहिर है तब गेहूं सभी जानवरों को धुआं देने के लिए उपयोग में लाया जाता होगा.

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  5. दिलचस्प जानकारी मिली ।

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  6. दो जगह पर गोधूम की व्याख्या में 'गो' का अर्थ धरती बताया है. यह शायद मोनिअर विलियाम्ज़ में है. फारसी में भी एक जगह गेहूं शब्द 'गे' का अर्थ जमीन बताया गया है.

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