
वाले कुंदनलाल सहगल के इस मशहूर गीत में बंगला शब्द की जगह अगर कोई दूसरा शब्द होता तो मुमकिन है न तो इस नगमे को न इतनी शोहरत हासिल होती और न ही हिन्दी को रूमानियत और रोबदाब से भरपूर बंगला जैसा लफ्ज मिलता। आखिर ये बंगला या बंगलो आया कहां से? ये हिंदी लफ्ज है या अंग्रेजी का? अंग्रेजी और हिन्दी में मिलते-जुलते उच्चारण वाला ये शब्द मूलत:अंग्रेजी का है मगर जन्मा भारत में ही है और बंगाल से इसका गहरा रिश्ता है। बंगले के पीछे जो शख्स खड़ा नजर आता है वह है जाब चार्नक । गौरतलब है कि सन 1615 में इंग्लैंड के राजा जेम्स प्रथमने मुगल बादशाह जहांगीर के दरबार में सर टामस रो को राजदूत बना कर भेजा जो तीन साल यहां रहा मगर भारत से कारोबारी रिश्ते बनाने की काबिलियत न दिखा सका। इससे पहले तक अंग्रेजों को देश के दक्षिण-पश्चिमी तट के रजवाडे़ ही व्यापार की सीमित अनुमति देते रहे। टामस रो, जहांगीर को चाहे प्रभावित न कर पाया हो मगर उसके बेटे शहजादा खुर्रम (शाहजहां) से सूरत औरत भरुच का कारोबारी फरमान लेने में सफल रहा । खुर्रम उन दिनों गुजरात का सूबेदार था। इसके बाद अंग्रेजों ने पूर्वी तट पर अपनी निगाहें जमाई जहां उनसे काफी पहले ही डच लोगों ने अपनी धाक जमा रखी थी।
ईस्ट इंडिया कंपनी यहां भी कामयाब रही और 1651 तक हुगली, मुर्शिदाबाद , ढाका और कासिम बाजार तक उसकी व्यापारिक कोठियां खड़ी हो गई। करीब साढ़े तीन सौ साल पहले ईस्ट इंडिया कंपनी की इसी कासिम बाजार कोठी का फर्स्ट आफिसर था जाब चार्नक जो बाद में कंपनी एजेंट बना। इसी आदमी ने 1690 के आसपास सूतानटी नामक जगह पर कोलकाता की नींव डाली और कंपनी के अफसरों-कारिंदों के लिए खास शैली के मकान बनवाए। जैसे-जैसे बंगाल में कंपनी बहादुर का कामकाज जमता गया वैसे-वैसे कंपनी के

क्या बात है...
ReplyDeleteबंगला शब्द के पीछे यह कहानी भी दिलचस्प रही।
आपके हेडर की तस्वीर बहुत पसंद आई । लालच हुआ कि जब बंगला बनेगा न्यारा तो ऐसी ही कितनी आलमारियाँ सजी किताबें होंगी ।
ReplyDeleteबंगले का रोचक इतिहास दिलचस्प लगा. सपना तो ऐसे ही बंगले का है वह भी पहाड़ की चोटी पर.
ReplyDeleteहमेशा की तरह इस बार भी शानदार, ज्ञानवर्धक
ReplyDeleteदिलचस्प!!
ReplyDeleteसूतानटी नाम की जगह का उल्लेख अक्सर पुराने बंगाली लेखकों के उपन्यासों मे मिलता है।
अपने राम को बंगले की जरूरत नहीं क्योंकि सारा जहां हमारा. खाली हाथ आए सो खाली हाथ जाने का प्लान है.... पीछे कुछ भी नहीं छूटेगा. मजा आया पढ़ कर.
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