
मैं छत्तीसगढ़ की साहित्यिक सांस्कृतिक संस्था सृजन-सम्मान का आभारी हूं कि उन्होने हिन्दी ब्लागिंग को एक घटना के रूप में देखा और उसे सम्मान-मान्यता दिलाने के लिए प्रतीक स्वरूप हर वर्ष कुछ नाम तय करने का काम शुरू किया है। संयोग से इस वर्ष मेरा नाम भी इसमें है। इसके लिए सृजन-सम्मान के नियामकों, निर्णायकों और सबसे ऊपर समूचे ब्लाग जगत का मैं आभारी हूं जिसने बमुश्किल छह महिने पहले शुरू हुए शब्दों के सफर की जबर्दस्त हौसला अफज़ाई की। निर्णायक श्री रविरतलामी जी ने एकदम सही कहा है कि-
हर चिट्ठाकार और उसका हर चिट्ठा महत्वपूर्ण है।वो हर मामले में परिपूर्ण होता है। कोई भी पुरस्कार या प्रशस्ति उसकी परिपूर्णता में बालबराबर भी इजाफ़ा नहीं कर सकती।
बालेंदुजी और रविजी ने चयनित तीनों ब्लागों का जिस आत्मीयता से परिचय दिया है उससे भी मैं अभिभूत हूं। मुझसे कोई बातचीत , पूर्वपरिचय हुए बिना जिस तरह से इन्होंने शब्दो के सफर के बारे में बातें कहीं हैं, वो सब जैसे मेरे ही मन की बातें हैं। संयोजक जयप्रकाश मानस को इस आयोजन के लिए बधाई।
वाद-विवाद होते रहेंगे। ये ज़रूरी भी है चीज़ों को सही परिप्रेक्ष्य में समझे जाने के लिए। मगर सृजन-सम्मान के उद्धेश्य में कोई खोट ढूंढना या निर्णायकों के परिश्रम में शॉर्टकट तलाशना बहुत ग़लत बात होगी।

शब्दों का सफर शुरू करने से पहले मैने नहीं सोचा था कि लोगों को इतना पसंद आएगा अलबत्ता इतना ज़रूर पता था कि यह लंबा चलेगा क्यों कि अपने काम के आकार का मुझे अंदाजा अब पहले से था।
सफर के एकदम शुरुआती दौर में मेरे साथियों अनूप शुक्ला , अभय तिवारी अनामदास, अविनाश, संजीत , हरिराम , शास्त्री जेसी फिलिप,और उड़नतश्तरी ने ( कुछ नाम छूट भी गए हों तो क्षमा करेंगे ) मेरी जबर्दस्त हौसलाअफ़जाई की जिसकी वज़ह से हर हफ्ते एक पोस्ट लिखने का मंसूबा बांधकर ब्लागिंग करने निकला यह यायावर बीते छह महिनों से क़रीब करीब रोज़ ही एक पोस्ट लिखने की हिम्मत जुटा सका है। आगे ये क्रम कब तक जारी रहेगा , कह नहीं सकता , मगर सफर तो चलता रहेगा। अनूप जी और ममता जी को भी मेरी ओर से हार्दिक बधाइया।
एक बार फिर आप सबका शुक्रिया.....
अजित भाई
ReplyDeleteढेर सारी बधाइयाँ, नया साल आपके कठिन परिश्रम और लगन के लिए एक प्रोत्साहन लेकर आया है, आपका काम अनमोल है इसमें किसी शक की गुंजाइश नहीं है, जिसने भी आपकी हौसलाअफ़ज़ाई की है उसका आभार प्रकट करने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि हम सब आपके सच्चे आभारी हैं शब्दों की गिरह खोलने और उनके तार जोड़ने के लिए, वह भी इतने सुंदर तरीक़े से. एक बार फिर ढेर सारी शुभकामनाएँ, अभी तक शब्दों का सफ़र शुरू ही हुआ है..चलते चलिए, हम साथ हैं.
(निजी माफ़ीनामा अलग से भेजा जा रहा है)
बधाई। वाकई आप इस सम्मान के योग्य हैं। निरन्तर एक महत्व के काम को करना आसान नहीं है। आप ने कर दिखाया। इस काम को जारी रखिए। इस काम की कोई सीमा नहीं हैं। जब तक मानव है शब्द सफर करते रहेंगे। आप भी थकें नहीं और अधिक ऊंचाइयां छुऐं, यही कामना है।
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई मित्र।
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई सर. शब्दों का सफर यूँ ही चलता रहे, यही कामना है.
ReplyDeleteसृजन सम्मान के लिए आपको बहुत-बहुत बधाई और अब तो जश्न होना ही चाहिऐ।
ReplyDeleteअजित सर को मेरी ओर से हार्दिक बधाई। अच्छे कामों का हमेशा अच्छा परिणाम होता है, एक बार फिर से बधाई, पार्टी लेने कब मुझे भोपाल आना है बताईए
ReplyDeleteआपका
आशीष
अजित भाई,ब्लॉगजगत में वाकई विशिष्ट कार्य के लिये आपका नाम हमेशा प्रमुखता से लिया जायेगा,इस अनूठे ब्लॉग से जुड़ हम भी सम्मानित महसूस करते हैं,जन्मदिन पर मेरी बधाई स्वीकार करें ॥
ReplyDeleteआपकी पोस्ट पढ़ते हुए हम समझ नही पाए थे कि आपने हमे क्यों बधाई दी थी पर जब अपना ई मेल देखा तो समझ मे आया कि आप ने हमे क्यों बधाई दी थी।
ReplyDeleteआपतो बधाई स्वीकारें और पार्टी-शार्टी की व्यवस्था करें. :)
ReplyDeleteबधाईयां स्वीकार करे!
ReplyDeleteब्लॉग जगत में अक्सर हम या और कोई भी शब्दों से खेलते या खेलने की कोशिश करते दिख ही जातें हैं। पर आपने तो शब्दों से खेलते हुए ही इन्ही शब्दों की व्युत्पत्ति या चलन पर लिखा। इस पर आधारित आपका यह ब्लॉग अपनी विशेषताओं के कारण अन्य ब्लॉग्स से भिन्न है और जो भिन्न होता है उसकी पहचान अलग ही बनती है।
मेरी यह कविता आपको समर्पित क्योंकि यह कविता शायद आप पर ही खरी उतरती है।
शब्द और मैं
शब्दों का परिचय
जैसे आत्म परिचय
शब्द!
मात्र शब्द नही हैं
शब्दों में
मैं स्वयं विराजता हूं
बसता हूं।
मैं ही शब्द हूं
शब्द ही मैं हूं।
नि:संदेह!
मैं शब्द का पर्याय हूं
शब्दों की यथार्थता पर
लगा प्रश्नचिन्ह
मेरे अस्तित्व को
नकारता है
मेरे अस्तित्व की
तलाश
मानो
शब्द की ही
खोज है।
शुभकामनाएं
बधाई ! सभी विजेताओं को बहुत-बहुत बधाई !
ReplyDeleteहमारी बधाई स्वीकार कीजिए. सभी विजेताओं को ढेरो शुभकामनाएँ
ReplyDeleteअजित भाई, मेरी तरफ भी ढेर सारी बधाइयां स्वीकार करें।
ReplyDeleteआभारी तो हम सब आपके हैं कि शब्दों के ऐसे रोचक सफर पर हमें सहयात्री बनाया । सभी विजेताओं को बधाई ।
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई!!
ReplyDeleteबहुत-बहुत बधाईयाँ , चलता रहे किसी न किसी बहाने शब्दों का यह सफर !
ReplyDeleteभाई साहब दो तीन बातें कहनी हैं बधाई से पेले । एक तो जे के आप अपन के भो-पाल से इत्ता अच्छा काम कर रए हो, दूसरी जे के आपमें वो भोपाली जुनून है जो सबमें होना चाहिए,पर होता नहीं । वरना ऐसई कोई इत्ता अच्छा काम कर सकता हे, तो हाथ मिलाके बधाई ले लो ज़रा । भो-पाल आए तो इसकी एक वजह आप भी होंगे । अपन आपके चिटठे पर अकसर तफरीह करने आते हैं । जाजम बिठाकर बेठते हैं और ज्ञान बिड़ी पीते हैं । बहुत धन्यवाद बधाई और शुभकामनाएं ।
ReplyDeleteजमाये रहियेजी।
ReplyDeleteदिल्ली कब आ रहे हैं जी।
प्रिय अजित
ReplyDeleteआपके चिट्ठे को जो सम्मान मिला है उसके बारे में मुझे कोई ताज्जुब नहीं है. चिट्ठे का सामाजिक योगदान ही इतना अधिक है.
क्या आपने नोट किया कि आप सारथी को, ज्ञान जी को, एवं ऐसे कई लोगों को पीछे छोड गये जो आपसे ज्येष्ठ हैं. इसका एक मुख्य कारण है विषयाधारित चिट्ठों की शक्ति. अन्य चिट्ठों की तुलना में विषयाधारित चिट्ठों का योगदान अधिक होता है. बधाई हो कि आप इस छोटे से समय में इतने आगे निकल गये. अब दुगने समर्पण के साथ शब्दव्युत्पत्ति की साधना करते रहें.
हर लेख की दो प्रति अलग अलग सुरक्षित रखें. यह अमूल्य निधि है, एवं जो निधि को पहचानता है वह उसकी सुरक्षा भी करेगा.
बोलो अजित भाई की जय.....
ReplyDeleteआप खुश हुए, बधाई, महाराज..
ReplyDeleteवाह.. आप हैं ही इस योग्य.. बहुत बहुत बधाई.. मुझे खुशी है कि मैं आप का उत्साह बनाए रखने में सहयोग कर सका!
ReplyDeleteलिखते रहिये.. आगे मंज़िलें और भी हैं!
अजीत जी बधाइयों के गुलदस्ते में एक फूल मेरी ओर से भी खोंस दें। शब्दों का सफर जारी रहे.
ReplyDeleteअरुण
मैने ये पोस्ट शब्दों के सफर के सभी मेहरबान साथियों और ब्लागजगत को समर्पित की थी। इतने सारे सहयात्री शुभकामनाओं और आशीर्वचनों के साथ
ReplyDeleteमेरे नज़दीक हैं , देख कर खुशी से कुप्पा हो गया हूं। इतनी खुशियां देने के लिए आभार । आपको देने के लिए यही है कि शब्दों का सफर जारी रहे, आगे प्रभु मदद करेंगे। आमीन....
अजित जानो या न जानो बधाई तो ले लो। पहचानो या न पहचानो तो भी मिलते रहना। एक अंगुली से इससे अधिक लिखा नहीं जा सकता।
ReplyDeleteआपके कारण शब्दों के प्रति विशेष खोजपूर्ण लगाव पैदा हो रहा है। आपकी मेहनत, लगन और अध्यवसाय हम सब के लिए अनुकरणीय है। पुरस्कार और सम्मान की सार्थकता आप जैसे निष्काम कर्मयोगियों को महत्व देकर ही सिद्ध होती है।
ReplyDeleteआपको बहुत-बहुत बधाई। निर्णायकों के विवेक की तारीफ करनी होगी।
बहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteमुझे तो पूरा विश्वास था कि एक दिन ये होना ही है ,मगर इतनी जल्दी होगा ये सोचा न था लेकिन पुलाव से मन पुलकित हो दुआऐ जरुर दे रहा था .. ढेरों बधाइयाँ ......... लगे रहो ।
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