Thursday, January 24, 2008

...मैं पीता नहीं हूं, पिलाई गई है


पीना-पिलाना चाहे एक शब्द हो मगर इसमें दो क्रियाएं शामिल है और दोनों के अर्थ जुदा हैं इसी का फायदा उठाते हुए तो मयकशी के शौकीन बारहा अपने बचाव में कहते हैं -मैं पीता नहीं हूं, पिलाई गई है । गौरतलब है कि भाषा विज्ञान के नज़रिये से भी पीना और पिलाना शब्द अलग अलग मूल के हैं। पीने पर फिर कभी बात होगी फिलहाल पिलाने की बात करते हैं। इस सिलसिले में सभी जानते हैं कि पीने वाला कई बार आऊट हो जाता है क्योंकि पिलाने वाले की तरफ से ओवरफ्लो रहता है। ओवरफ्लो को बाढ़ यानी फ्लड भी कह सकते हैं।
अंग्रेजी में बाढ़ के लिए फ्लड शब्द आमतौर पर काम में लिया जाता है। यह शब्द भारत में भी खासकर हिन्दी में भी खूब प्रचलित है। फ्लड शब्द इंडो-यूरोपीय भाषा परिवार का शब्द है और इसकी उत्पत्ति भारोपीय परिवार की धातु pleu से हुई है। संस्कृत में भी बहना, तैरना , जलप्रलय होना, बाढ़ आना, जल-थल होना जैसे अर्थ प्रकट करने वाली एक धातु है प्लु । इससे ही बना है प्लुत। इससे फ्लड की समानता पर गौर करें। इसका मतलब भी है बाढ़ या जलमय, जलमग्न होना।
गौर करें pleu और प्लु ध्वनि और उच्चारण में लगभग एक हैं और इनसे बने क्रमशः फ्लड और प्लुत में निहित अर्थसाम्य पर। प्लुत से ही बना है प्लव शब्द जिसका मतलब है तैरता हुआ , बहता हुआ, उछलना, कूदना आदि। इसी से बना है प्लावनम् यानी बाढ़ आना। बाढ़ को जल प्लावन भी कहते हैं। प्लव से ही बने है पिलाना या पिलवाना (पीना नहीं) जैसे शब्द। खेती किसानी की शब्दावली में एक शब्द है पलेवा। बुवाई से पहले मिट्टी में पर्याप्त नमी होना आवश्यक है ताकि बीजों का अंकुरण सही हो सके । इसके लिए खेतों में नहरों अथवा कुओं से पानी छोड़ा जाता है जिसे पलेवा कहते हैं। यह पलेवा भी इसी प्लु से जन्में प्लावन का ही देशज रूप है।
इसी श्रंखला मे आता है अंग्रेजी का फ्लो ( flow) शब्द । इसका मतलब है बहाव, प्रवाह, तैरना आदि। संस्कृत धातु प्लु में भी यही सारी बातें शामिल है। प्लु से जुडे हुए कई शब्द यूरोपीय भाषाओं में प्रचलित हैं,मसलन । ग्रीक फ्लुओ (बहना), लैटिन फ्लुविउस (नदी ) जर्मन फ्लुट (बाढ़) आदि रूप बने हैं। आज रोजमर्रा की हिन्दी में फ्लाइट, फ्लाइंग, फ्लाईओवर, फ्लो जैसे शब्द खूब बोले जाते हैं जो इसी इसी मूल से जन्मे है।
आपकी चिट्ठी
सफर के पिछले पड़ाव अवधू, माया तजि न जाई... तरूण, पंकज सुवीर, संजय , अभय तिवारी, ममता, संजीत त्रिपाठी, संजीव तिवारी, पंकज मुकाती, आशा जोगलेकर और अरूण आदित्य की प्रतिक्रियाएं मिली। साथियों , शुक्रिया खूब खूब। बनें रहें साथ इस आनंद के सफर में।
अभय भाई, अगर मैं यह कहूं कि मुझे पता था आप इसे पकड़ेंगे तो ताज्जुब न करिएगा। क्या बताएं , समय का ऐसा तोड़ा है और सफर की धुन भी सवार है। अवधूत शब्द कल दिमाग़ में ऐसा चढा कि फिर सब्र नहीं हुआ । आनन फानन में लिख डाला। मुझे भी धत्, धतकरम, दुत्कार वाले संदर्भों से इसे शुरू न कर पाने का मलाल है। यह बाद में याद आया। शुक्रिया याद दिलाने के लिए । इसे बाद में संशोधित कर नया रूप दे दूंगा।
अरूण आदित्य जी, आप का साथ तो पहले भी था मगर ब्लागदुनिया में आपको कहीं ज्यादा नज़दीक पा रहा हूं। ये माया हमसे तब तक नहीं छूटेगी जब तक आप रमें रहेंगे। आभार ।

6 comments:

  1. आप पियें या आपको पिलाया जायें - आपकी मर्जी। पर यह पोस्ट आपने हमें बढ़िया पिलाई। धन्यवाद।

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  2. क्‍या बात है अजीत भैया पीने पिलाने की बातें हो रही हैं... मौसम का असर हुआ दिखे है. ये कद्दू कितना खॉफनाक लग रहा है...

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  3. समय की कमी से अवधूत को आज पढ़ पाया। पिलाना पसंद आया। हमारे यहाँ हाड़ौती में अचानक बाढ़ आ जाने को पला (पळा)आना कहते हैं। लिखते रहिए, ऐसे ही। कसर तो जीवन में बनी ही रहती है।

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  4. ओह हो यहां तो सुबह-सुबह ही पीने पिलाने की बात हो रही है। :)

    खैर फ्लड शब्द की जानकारी अच्छी रही।

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  5. सर,

    मतलब यह कि बहाने बनाने के लिए उचित शब्द का होना अति आवश्यक है......:-)

    बहुत बढ़िया पोस्ट है सर.

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  6. वाह वाह!! इस सीज़न में पहली बार रायपुर में आज बदली छाई हुई है सुबह से सूरज नही दिखा, एकदम सेक्सी मौसम है और उपर से आपकी यह धांसू पोस्ट। मन तो हो रहा है कि जग्गू अंकल की गज़ल सुनी जाए " छाई घटा जाम उठा………" और कहा जाए कि " ला पिला दे साकिया………"
    पर अफ़सोस कि इधर किधर भी साकी नई है ;)

    शुक्रिया !

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