
औरत शब्द को मैं भी अश्लील ही मानती रही हूं। इसे हमारे समाज में शादीशुदा महिला के सन्दर्भ में माना जाता रहा है। जैसे उप्र में बाई शब्द निचले दर्जे का माना जाता है तो महाराष्ट्र में महिला शिक्षक को भी बाई कहते हैं। जैसा हमें बचपन से बताया गया या पढ़ा है उससे भी बात मस्तिष्क में जम जाती है। जिससे परंपराओं को समझने या बदलने मे थोड़ी दिक्कत तो आती है। सुरेन्द्र वर्मा के उपन्यास मुझे चांद चाहिए में नायिका वर्षा , हर्षवर्धन से एकाकार होने के बाद अपनी मित्र दिव्या से ये क्यों कहती है कि मैं अब औरत हो गयी हूं । -अश्मिता
औरत शब्द हिन्दी में बरास्ता फारसी, उर्दू से आया। इसका अर्थ है

इस्लामी नज़रिये से औराह का मतलब सिर्फ सिर्फ स्त्री से नहीं है बल्कि इसमें पुरुष भी शामिल हैं। शरीर के गुप्त अंगों को छुपाने की क्रिया ही औराह कहलाती है । अलबत्ता स्त्री और पुरुषों के लिए अलग-अलग व्यवस्थाएं हैं। मसलन मर्द के लिए नाभि से घुटनों तक बदन को ढक कर रखना ज़रूरी है जबकि महिलाओं को चेहरे को छोड़करसिर से पैर तक शरीर को ढके रहना ज़रूरी है । इस्लामी व्यवस्थाओं में इस सिलसिले में हिजाब, निक़ाब और बुर्का जैसी विभिन्न व्यवस्थाएं दी हुई हैं। मगर औराह के मूल में शरीर को ढकने की ही बात है। स्त्रियों के लिए चूंकि अरबी समाज में सिर से पैर तक

नारीवादी सोच के लोगों की निगाह में यह शब्द खराब इसलिए है क्योंकि इसके मूल अर्थ में औरत को कमज़ोर, अपूर्ण मानने जैसी बातें भी निहित हैं। मैं इससे सहमत नहीं हूं। औरत शब्द में कहीं भी ओछापन, सस्तापन या पुरुषवादी अहंकार वाली बात कम से कम उर्दू-हिन्दी की सरज़मीं इस हिन्दुस्तान में तो नज़र नहीं आती ।यह शब्द भी उतनी ही मर्यादा अथवा शालीनता रखता है जितनी कि महिला या स्त्री शब्द। अलबत्ता जैसा कि अश्मिताजी ने मुझे चांद चाहिए के किसी प्रसंग का उदाहरण दिया है । उसका तो इस

पता नहीं औरत शब्द में किसे और क्यों अश्लीलता नजर आती है? ऐसा तो नहीं लगा कभी कि यह शब्द अश्लील है. जिस टिप्पणी को आपने उद्धृत किया वह तो असंदर्भित सी दिखती है. अश्लीलता तो एक भाव से संबद्ध है, शब्द में कहां से आएगी? जब हम किसी शब्द को इस नजरिए से ही देखते हैं, तभी उसमें अश्लीलता दिखती है.
ReplyDeleteदिलचस्प!
ReplyDeleteवाकई दिलचस्प..........
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