
रोमांच की अवस्था या खुशी के संचार को मुहावरेदार भाषा में नस फड़कना कहा जाता है। नस शब्द से जुड़े कई और भी मुहावरे है मसलन नस पहचानना, नस ढीली पड़ना, नस-नस में समाना आदि। शरीर की रक्त वाहिकाओं के लिए संस्कृत - हिन्दी में स्नायु, नस, नाड़ी या शिरा शब्द हैं जिनमें से नस का प्रयोग आमतौर पर होता है। अरबी-फारसी के नब्ज और रग जैसे लफ्ज भी इन्हीं अर्थों में इस्तेमाल किए जाते हैं। अंग्रेजी में देखें तो इनके लिए नर्व, नर्वस जैसे शब्द चलन में हैं। खास बात ये कि नस या स्नायु और nerve, nervous जैसे शब्द एक ही मूल से जन्में है। इंडो-यूरोपीय भाषा परिवार के ही एक शब्द sneu से ही इनका उद्गम माना जाता है। इसी से बना है संस्कृत का स्नु शब्द और स्नु से ही निकले हैं स्नायु और नस। वर्ण विपर्यय सिंद्धांत अर्थात अक्षरों का क्रम बदलने से स्नायु हो गया नस। यह वैसे ही है जैसे लखनऊ खांटी लखनवी में हो जाता

कब याद में तेरा साथ नहीं,कब हाथ में तेरा हाथ नहीं
सद शुक्र कि अपनी रातों में,अब हिज्र की कोई रात नहीं
इसका एक शेर है-
मैदाने-वफ़ा दरबार नहीं,यां नामो-नसब की पूछ कहां
आशिक तो किसी का नाम नहीं,कुछ इश्क किसी की ज़ात नहीं
इसमें नाम ओ नसब शब्द पर गौर करें। खानदान ,जाति, कुल या गोत्र दरअसल एक परंपरा है। गौर करें कि परंपरा का कोई न कोई स्रोत होता है जो बना है संस्कृत की स्रु धातु से जिसमें बहना, गिरना, धारा बहाना आदि भाव हैं। । नदी का पर्यायवाची शब्द सरिता भी इसी स्रोत की उपज है। स्रोत से ही जन्मा है हिन्दी का शब्द सोता जिसका मतलब जलस्रोत,छोटा नाला,बहाव आदि होता है। बहाव में गति है, विकास है। कुल, गोत्र , खानदान या वंश-परंपरा भी लगातार गतिशील रहती है। इसमें भी बहाव का ही भाव है। अरबी ज़बान के लफ्ज नसब का मतलब भी कुल या गोत्र ही है। निखालिस हिन्दुस्तानी बोलने वाले आज भी खानदान

आपकी चिट्ठियां-
तीन पड़ावों से आपके ख़तों का जवाब भी नहीं दिया गया और न ही ज़िक्र् हुआ। ये सब अगली बार। शुक्रिया।
नामो नसब की पूछ कहां... शानदार. शेर भी जानदार चुना अपनी बात कहने के लिए. बहुत ही बढि़या जानकारी है इस बार भी.
ReplyDeleteआपने एक जगह निखालिस हिंदुस्तानी लिखा है.. तो खालिस क्या?
शब्द-स्रोत और सरिता, मजा आ गया।
ReplyDeletebahut kuch nai jankari di is post ne naseem yani subah subah ki hava!! vah!!
ReplyDeleteह्म्म, ज्ञानवर्धक!!
ReplyDeleteआभार
bahut he khush hun aaj kyoun ki aaj mainee kai aalag aalag aur pehli baar hindi mein blog dekha hun
ReplyDelete