दिल में बिराजेगा राग जब खेलेंगे होरी
रंग-पर्व होली पर शब्दों के सफर में कुछ
राग-रंग की बात हो जाए। होली से रंगों का जो नाता है उससे कहीं कमतर नहीं है राग का रिश्ता। बल्कि होली मूलतः राग यानी लगाव का ही त्योहार है। मन में जब तक राग यानी संगीत और राग यानी लगाव नहीं बिराजेगा कोई रंग इस पर्व की मूल भावना को अभिव्यक्त नहीं कर सकता। यानी मन के राग के बिना होली पर सातों रंग फीके। इसीलिए
बिरज में होली के मौके पर चाहे बनवारी की
बरजोरी गोपियों पर चल जाती थी मगर आज के दौर में रंगों की बरजोरी तब तक किसी से न करें जब तक दिल में इसका राग न पैदा हो जाए।
चेहरे की रंगत बताए कि खेलें होली बहरहाल बात राग-रंग की हो रही थी। होली के ये दोनो यार
[raag और rang] दरअसल सगे भाई हैं।

दोनो की उत्पत्ति एक ही मूल से हुई है। दोनों का अर्थ भी समान है। बस , खासियत अलग अलग है। कोई किसी भाव में धनी है तो कोई किसी में। दोनों शब्दों का जन्म हुआ है संस्कृत धातु
रंज् [ranj]से । मूलतः रंज् का मतलब होता है लाल रंग या रंगे जाने योग्य। लाल होना ,चमकना, प्रसन्न होना, संतुष्ट होना। अब गौर करें कि चेहरे की चमक आमतौर पर उसके रक्ताभ होने से ही झलकती है और चेहरा तभी चमकेगा जब मन में प्रसन्नता होगी,सो प्राचीनकाल में मुख्य रंग के तौर पर लाल की ही प्रधानता मानी गई। उगते और डूबते सूर्य के रंग भी यही हैं जिनसे प्रकृति की चमक उजागर होती है। रंज का अर्थ भक्तिभाव भी होता है।
अनुरंजन शब्द के यही मायने हैं।
मनोरंजन का अर्थ भी स्पष्ट है। नील के पौधे को संस्कृत में
रंजनी कहा जाता है।
रंगरेज को हिन्दी में
रजक भी कहते हैं जो इसी कड़ी का शब्द है। रंज् से बने
रंगः में रंगने का मसाला, वर्ण , मनोरंजन स्थल, रंगशाला, नाट्यशाला, महावर आदि कई अर्थ शामिल हो गए है। यही रंग
फ़ारसी में भी जस का तस मौजूद है और फारसी के प्रत्ययों, उपसर्गों के ज़रिये कई नए शब्द बन गए हैं जितने हिन्दी में भी नहीं बने । इनमें से ज्यादातर आम बोलचाल में प्रचलित हैं मसलन-
रंगीन, रंगत, रंगदार , रंगबरंग, रंगरेज, रंगसाज़, रंगारंग, रंगीनमिजाज़, रंगों बू, रंगरोगन वगैरह।
गुस्सा तो शामिल है राग में भी और रंग में भी जहां तक
रागः का सवाल है राग का मतलब भी वर्ण, रंग, लालिमा, अबीर-गुलाल, महावर आदि होता है मगर इसका अर्थ खुशी, आनंद , उल्लास के साथ साथ एकदम विपरीत
क्रोध और रोष भी होता है।

मराठी में गुस्से के लिए बहुप्रचलित शब्द
राग ही है। भारतीय शास्त्रीय संगीत की विभिन्न
स्वरसंगतियों को भी राग ही कहा जाता है और हर तीज त्योहार व मांगलिक अवसरों पर राग-रागिनियों को गाने की परंपरा आज भी है।
[ इस विषय पर विस्तार से फिर कभी बात होगी] होली पर भी
ध्रुपद, धमार, ठुमरी गायी जाती है। राग की रिश्तेदारी इस रंगपर्व से इतनी गहरी है कि एक गायन शैली का नाम ही
होरी या होली हो गया है। कव्वाली भी इस अवसर पर गाई जाती है। राग यानी लगाव के विपरीत अर्थ वाला शब्द है विराग जिसका मतलब होता है विरक्त। विराग से ही बना है बैराग या बैरागी। दिलचस्प बात ये कि वैराग्य का जहां पर्व त्योहार से कोई रिश्ता नहीं वहीं बैरागियों की जमात में न सिर्फ धूमधाम से रासलीला होती है बल्कि रंग भी खेले जाते हैं।
राग-रंग की महिमा न्यारी रंज् शब्द की महिमा से हिन्दी को कई नाम भी मिले है जैसे
रंजन, मनोरंजन, रंजना, रंजिनी, अनुरंजिनी , रंगनाथ , रागेश, रागश्री, रागिनी आदि। रंग शब्द ने कई मुहावरे भी बनाए है जैंसे
रंगबाजी, रंगदारी, रंग दिखाना, रंग उड़ना, रंग जमाना, रंग बदलना, रंग में आना, रंगा सियार और रंगे हाथों पकड़ना आदि। जाहिर है कि समाज मे जिस शब्द की अर्थवत्ता जितनी प्रभावी होगी उसके प्रयोग भी उस भाषा में उतने ही बहुरंगी होते जाएंगे। राग-रंग के साथ यही हो रहा है। अब राग और रंग दोनो मिलकर जब
राग-रंग के तौर पर इस्तेमाल होते हैं तो भाव विलासिता का ही उभरता है।
होली मुबारक हो...
चौकस रंगबाजी है। होली मुबारक।
ReplyDeleteअजीत जी, आप की यह पोस्ट पढ़ कर बहुत अच्छा लगा। आप को भी और आपके परिवार को इस होली के पावन त्योहार की ढ़ेरों शुभकामनायें . ऐसे ही लिखते रहिये और हम सब को प्रेरित करते रहिये।
ReplyDeleteउम्दा पोस्ट. आप को भी सपरिवार होली की शुभकामनाएं. राग - रंग के साथ मनाएँ होली.
ReplyDeleteआपको और आपके परिवार को बहुत मुबारक हो होली!
ReplyDeleteरंगारंग पोस्ट है अजित जी !
ReplyDeleteइन्द्रधनुष है शब्द-सफ़र यह,
सतरंगी इसकी छवियाँ हैं.
सातों दिन इसके प्रदीप्त हैं ,
मनमोहक इसकी महिमा है.
राग,रंग का नया ढंग यह,अजित,विरल,अद्भुत,अविराम
अक्षर-अक्षर रहे निरंतर
प्रतिदिन,प्रतिपल,आठों याम !
शुभकामना अंतर्मन से
डा.चंद्रकुमार जैन
ओडिया में भी 'राग' के माएने मराठी वाले ही हैं।
ReplyDeleteहोली शुभ हो।
बहुत अच्छा लगा पढ़कर सो कुछ शब्द गुलाल अबीर से उड़ने लगे .--
ReplyDeleteराग-रंग की महिमा न्यारी पढ़ी जो हमने आज
चेहरे पे सतरंगी आभा, दिल में बिराजा राग !! आपको और पूरे परिवार को होली मुबारक
-मीनाक्षी
आपको भी होली मुबारक हो!!
ReplyDeleteहोली की बधाई !
ReplyDeleteआशा है, होली की छुट्टी मजे से बीती होगी !
स्नेह सहित,
- लावण्या
राग रंग शब्द के बारे में इतनी गहराई से तो कभी सोचा ही नहीं था। इतने सहज व सुंदर तरीके से रंग बिखेरे हैं अपने इस आलेख में कि पढ कर आनंद आ गया। बने रहें। उम्मीद है होली खूब रंगमयी रही होगी।
ReplyDeleteवाह........
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