Friday, April 25, 2008

धोती खुल गई भैया !!

धोती एक बहुत आम भारतीय पहनावा है जो स्त्री और पुरुष दोनो ही धारण करते हैं फर्क सिर्फ इतना है की धोती जब स्त्री पहनती है तो यह उसके समूचे शरीर को ढकने वाली पोशाक बन जाती है जबकि पुरुष इसे सिर्फ अधोवस्त्र के रूप में ही धारण करते हैं। धोती चूंकि एक परिधान है इसलिए इसके उतारे जाने के भाव से जुड़े मुहावरे भी चल पड़े हैं जैसे सीधे-सादे या स्त्रैण के अर्थ में किसी व्यक्ति को धोती छाप कहना अथवा छक्के छूटने या भयभीत हो जाने के अर्थ मे धोती खुलना या धोती छूटना आदि।

रअसल कुछ विद्वान अधोवस्त्र से ही धोती का जन्म मानते हैं। धोती की व्युत्पत्ति पर भाषाशास्त्री एकमत नहीं हैं । अगर इसे कमर से नीचे के हिस्से को ढकने वाले परिधान के तौर पर देखा जाए तब तो यह व्युत्पत्ति सही नज़र आती है। संस्कृत के अधोवस्त्रिका > अधोतिका > धोतिका > धोती के विकासक्रम पर अगर गौर करें तो धोती की व्युत्पत्ति एकदम सही है। मगर ध्यान दें कि धोती भारतीय महिलाएं भी धारण करती हैं । साड़ी के वैकल्पिक शब्द के रूप में नारी परिधान के तौर पर ही धोती का इस्तेमाल ज्यादा होता है। धोती अपने आप में महिलाओं के लिए पूरी देह के आवरण का काम करती है इसलिए अधोवस्त्रिका के रूप में इस शब्द की व्युत्पत्ति को कुछ भाषाशास्त्री सही नहीं मानते हैं।

संस्कृत के एक अन्य शब्द धौत में भी धोती का जन्म तलाशा जाता है। धौत का अर्थ होता है धोया हुआ , चमकाया हुआ, उज्जवल, चमकदार, सफेद आदि। गौर करें कि आमतौर पर धोती शुभ्र-धवल ही होती है । खासतौर पर पुरुषों के अधोवस्त्र के रूप में तो धोती हमेशा ही सफेद रंग की होती है । महिलाओं की धोती कई रंगों और रूपों में होती है। भारतीय समाज में धोती को आमतौर पर धार्मिक अवसरों पर ही धारण करने की परिपाटी रही है। इसके आनुष्ठानिक महत्व पर ध्यान दें तो धुलाई, उज्जवल, धवल आदि शब्दों में छिपे पवित्रता और निर्मलता के भाव स्पष्ट ही धौत से धोती की उत्त्पत्ति सिद्ध करते हैं। धौत शब्द बना है संस्कृत धातु धाव् से । मूलतः यह गति वाचक धातु है । इसका मतलब है दौड़ना, भागना।

प्राचीन काल से ही जल भी गति का प्रमुख प्रतीक रहा है इसलिए धाव् में बहना, प्रवाहित होना, टकराना आदि सभी अर्थ भी निहित हैं। अब पुराने ज़माने से ही धुलाई की क्रिया जलस्रोतों पर ही की जाती थी जहां पानी का प्रवाह वस्त्रों को निर्मल करने में सहायक होता था। कपड़ों को पत्थर पर पछीटने का भाव भी इसमें शामिल है। धाव् से ही बने धावकः शब्द से ही बना है हिन्दी का धोबी शब्द जिसका अर्थ होता है कपड़ों की धुलाई करनेवाला । कालांतर में इस शब्द जातिसूचक अर्थ भी ग्रहण कर लिया। धाव् शब्द मराठी शब्द धाव में जस का तस दौड़ने , भागने के अर्थ में नज़र आता है। धाव् के धा में शामिल धारा वाला प्रवाही अभिप्राय तो स्वतः स्पष्ट है।

7 comments:

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  2. धोती शब्द की व्युत्पत्ति पर धौत प्रकाश
    आभार...अगली कड़ी का रहेगा इंतज़ार
    ===========================
    AJIT JI,
    I ALSO AGREE WITH THE VIEWS
    OF Davidoff Cigarettes who
    has rightly admired your
    contribution. ITS A MATTER
    OF PRIDE FOR ALL OF US!

    Yours
    DR.CHANDRAKUMAR JAIN

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  3. आज बहुत दिनों बाद आपके ब्लॉग पर आना हुआ लेकिन पिछली सारी कसर निकालते हुए छूटी हुई सारी पोस्ट एक बार में ही पढ़ डाली। हमेशा की तरह ही बहुत आनंद आया पढ़ने में। उम्मीद कर रही हूं कि इतने पढ़े में से कुछ तो गुना ही जाएगा। धन्यवाद इतनी शोधपरक जानकारी के लिए।

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  4. समयाभाव में पहले की कुछ पोस्ट पढ़ नहीं पाई लेकिन आज सभी एक साथ पढ़ डालीं. धोती के विकासक्रम की कड़ी रोचक लगी और आगे की कड़ी का इंतज़ार है.

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  5. अभी तो धोती शुरू हुई है, आगे चलेगी। मेरे ज्ञान में धोती केवल पुरुषों का ही वस्त्र था। भारत में महिलाएं औढ़नी पहना करती थी जिस की लम्बाई बहुत कम होती थी। धोती जितनी लम्बी साड़ी भारत में यूनान से आई, और लम्बाई और पहनावे की समानताओं के कारण इसे वैकल्पिक रूप से धोती कहा जाने लगा।

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  6. धोती का एक और आशय सामाजिक स्तर से भी जुड़ा रहा है - छोटी धोती या बड़ी धोती पहनने वाले पूर्व काल में अलग अलग जाने जाते रहे - manish

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  7. dhoti jisse hum bhool gaye hain, par itni rochk jaankaari... bahut interesting laga ! pehli baar aapke blog par aaya aur apka pankha (Fan) ho gaya !

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