Wednesday, April 16, 2008

डैनों में छिपा उड़ान का तिलिस्म

उड़ने-उड़ाने की बातें

वाबाजी के लिए उड़ना, उड़ाना या उड़ान जैसे शब्द हिन्दी में बहुत आम हैं बल्कि यूं कहें कि बोलचाल की हिन्दी में मनुश्य या पक्षी के हवा में गति करने वाली अवस्था के लिए उड़ान शब्द के अलावा वैकल्पिक शब्द ही बहुत कम हैं और सहजता से जो शब्द दिमाग़ में आता है वह उड़ने-उड़ाने के इर्द-गिर्द ही होते हैं।

इंडो यूरोपीय भाषाओं में शब्द वायु और जल दोनों से संबंधित है और इससे कई शब्द बने हैं जिससे प्रवाह, गति जैसे अर्थ उजागर होते हैं। संस्कृत में वः का अर्थ होता है वायु। हवाबाजी मे शामिल हवा शब्द इससे ही जन्मा है ( अलबत्ता वः यानी वह के हवा बनने में वर्णविपर्यय का सिद्धांत लागू हो रहा है)। मूलतः यह फारसी का शब्द है जो बरास्ता उर्दू हिन्दी में भी दाखिल हो गया । हवा में फारसी के प्रत्यय लगने से बने कई शब्द आज हिन्दी में भी प्रचलित हैं मसलन हवाई, हवाबाजी, हवाबाज, हवाखोर, हवाखोरी, हवादार , हवाई जहाज आदि।
हरहाल बात उड़ने-उड़ाने की हो रही थी।उड़ने – उड़ाने की शब्दावली ने कई मुहावरों को भी जन्म दिया है जैसे ऊंचे उड़ना यानी बहुत ज्यादा महत्वाकांक्षी होना। हवा से बातें करने के अर्थ में उड़ चलना भी एक मुहावरा है। इसी तरह चंपत होने के लिए उड़न-छू होना , अफ़वाह के लिए उड़ती ख़बर, किसी के खात्मे के लिए उड़ाना या उड़ा देना, या हाथ साफ़ करने के अर्थ में उड़ाना जैसे शब्द-युग्म मुहावरों के तौर पर प्रचलित हैं।
ड़ने-उड़ाने से जुड़े शब्दों के मूल मे दरअसल संस्कृत की डी धातु छुपी हुई है जिसके मायने होते हैं हवा से होकर गुज़रना, ऊपर उठना, उड़ना आदि। इससे बने डीन शब्द का मतलब होता है पक्षी की उड़ान। प्राचीन भारतीय मनीषियों की हवाबाजी के कौशल में कितनी दिलचस्पी थी यह इस तथ्य से पता चलता है कि उन्होने पक्षियों की आसमानी कलाबाजियों का अध्ययन कर 101 तरह की उड़ानों का उल्लेख किया है जैसे अवडीनम् , उड्डीनम् , प्रडीनम् , विडीनम् आदि। डीन यानी उड़ना या उड़ा हुआ से अब साफ है कि पंख के लिए डैना शब्द भी इसी डी की देन है। ओरछा में जन्मे प्रसिद्ध रीतिकालीन कवि केशवदास का यह दोहा तो उक्ति की तरह प्रसिद्ध है –

सूर सूर तुलसी ससी, उडुगन केसवदास।
अबके कवि खद्योत सम, जहं-तहं करहिं प्रकास॥


स दोहे में जो उडुगन (उडुगण) शब्द आया है उसका मतलब है नक्षत्र, तारे आदि। यह बना है उडु+गण से । स्पष्ट है कि उडु शब्द भी डी से ही बना है जिसमें हवा में गति की बजाय अंतरिक्ष में स्थिति की बात प्रमुख हो गई है।
हवाबाजी के सरकारी महकमें अर्थात सिविल एविएशन मिनिस्ट्री को आज हम दो नामों से जानते पहला है नागर विमानन मंत्रालय । दूसरा ज़रा कठिन है नागरिक उड्डयन मंत्रालय । मगर डी का रहस्य खुलने के बाद उड्डयन जैसा शब्द उतना कठिन नहीं रह गया होगा। जाहिर है कि उड़ान का संबंध उड्डयन से , उडुगण से और उड़ने – उड़ाने से यूं ही नहीं है।

[आपकी चिट्ठियों का हाल अगले पड़ाव पर ]

11 comments:

  1. ajit
    atisundar
    kai din baad pad paya hoon
    Bakalamkhud bahut uttam prayas hei
    badhai
    tumhari tasveeron aur email pate ke intzaar mein hoon.
    mera lekhan kuch dheema hei
    akhil

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  2. इससे बने डीन शब्द का मतलब होता है पक्षी की उड़ान।

    तभी विश्वविद्यालयों में में डीन लोग उडते ही रहते हैं - अहं की उड़ान पर!

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  3. हाड़ौती और शायद मालवा में भी एक शब्द है "डियाँ" जिस का अर्थ है- आँख, है, इस का कोई सम्बन्ध आप के ङी से?

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  4. अजित जी,
    ये तो बस कमाल है साहब !
    इतने सुंदर चित्र !
    इतने अर्थ -गर्भ शब्द-चित्र !!
    आज की सुबह ने डैनों को जैसे
    डीन की नई सौगात बख़्श दी है .

    उडुगन के अर्थ को प्रसिद्ध दोहे से
    आपने परमार्थ प्रदान कर दिया .

    बोध के अनिर्मित पथ पर उड़ान की
    ज़मीनी जानकारी दी है आपने.

    और हाँ ..... हवाबाज़ी के सरकारी महकमे
    जैसा प्रयोग !! शरद जोशी और परसाई जी
    की याद बरबस आ गई.

    सच कहूँ ,ब्लॉग-जगत का सूर और ससी ही
    है शब्दों का सफ़र . बधाई.... अंतर्मन से .
    डा.चंद्रकुमार जैन

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  5. और उड़न तश्तरी पर प्रकाश?????

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  6. हवा-हवाई बातों को सरस रफ्तार आपके शब्द ही दे सकते हैं। कहना चाहिए...वाह।

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  7. और लौट कर 'नीड़' में पहुँचते हैं ? उलट-पुलट का भी नाता है या नहीं?

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  8. डॉ. जैन की टिप्पणी से मै पूरी तरह सहमत हूँ ।
    पिछली पोस्ट उदार वाली भी पसंद आयी , बकलमखुद में मीनाक्षी जी के बारे में विस्तार से जानने को मिल रहा है ... सो मजा आ रहा है ...अगली कड़ी का इंतजार है।

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  9. और हवलदार शब्द।

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  10. अजित जी हमेशा की तरह बहुत रोचक । मराठी का उडी शब्द भी शायद भी शायद सी डी से जुडा हुआ है।

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  11. अजित जी बहुत अच्छी जानकरी दी आपने... "मन पंख लगाकर उड़ने लगा" बधाई स्वीकारें...

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