
इंडो यूरोपीय भाषाओं में व शब्द वायु और जल दोनों से संबंधित है और इससे कई शब्द बने हैं जिससे प्रवाह, गति जैसे अर्थ उजागर होते हैं। संस्कृत में वः का अर्थ होता है वायु। हवाबाजी मे शामिल हवा शब्द इससे ही जन्मा है ( अलबत्ता वः यानी वह के हवा बनने में वर्णविपर्यय का सिद्धांत लागू हो रहा है)। मूलतः यह फारसी का शब्द है जो बरास्ता उर्दू हिन्दी में भी दाखिल हो गया । हवा में फारसी के प्रत्यय लगने से बने कई शब्द आज हिन्दी में भी प्रचलित हैं मसलन हवाई, हवाबाजी, हवाबाज, हवाखोर, हवाखोरी, हवादार , हवाई जहाज आदि।
बहरहाल बात उड़ने-उड़ाने की हो रही थी।

उड़ने-उड़ाने से जुड़े शब्दों के मूल मे दरअसल संस्कृत की डी धातु छुपी हुई है जिसके मायने होते हैं हवा से होकर गुज़रना, ऊपर उठना, उड़ना आदि। इससे बने डीन शब्द का मतलब होता है पक्षी की उड़ान। प्राचीन भारतीय मनीषियों की हवाबाजी के कौशल में कितनी दिलचस्पी थी यह इस तथ्य से पता चलता है कि उन्होने पक्षियों की आसमानी कलाबाजियों का अध्ययन कर 101 तरह की उड़ानों का उल्लेख किया है जैसे अवडीनम् , उड्डीनम् , प्रडीनम् , विडीनम् आदि। डीन यानी उड़ना या उड़ा हुआ से अब साफ है कि पंख के लिए डैना शब्द भी इसी डी की देन है। ओरछा में जन्मे प्रसिद्ध रीतिकालीन कवि केशवदास का यह दोहा तो उक्ति की तरह प्रसिद्ध है –
सूर सूर तुलसी ससी, उडुगन केसवदास।
अबके कवि खद्योत सम, जहं-तहं करहिं प्रकास॥
इस दोहे

हवाबाजी के सरकारी महकमें अर्थात सिविल एविएशन मिनिस्ट्री को आज हम दो नामों से जानते पहला है नागर विमानन मंत्रालय । दूसरा ज़रा कठिन है नागरिक उड्डयन मंत्रालय । मगर डी का रहस्य खुलने के बाद उड्डयन जैसा शब्द उतना कठिन नहीं रह गया होगा। जाहिर है कि उड़ान का संबंध उड्डयन से , उडुगण से और उड़ने – उड़ाने से यूं ही नहीं है।
[आपकी चिट्ठियों का हाल अगले पड़ाव पर ]
ajit
ReplyDeleteatisundar
kai din baad pad paya hoon
Bakalamkhud bahut uttam prayas hei
badhai
tumhari tasveeron aur email pate ke intzaar mein hoon.
mera lekhan kuch dheema hei
akhil
इससे बने डीन शब्द का मतलब होता है पक्षी की उड़ान।
ReplyDeleteतभी विश्वविद्यालयों में में डीन लोग उडते ही रहते हैं - अहं की उड़ान पर!
हाड़ौती और शायद मालवा में भी एक शब्द है "डियाँ" जिस का अर्थ है- आँख, है, इस का कोई सम्बन्ध आप के ङी से?
ReplyDeleteअजित जी,
ReplyDeleteये तो बस कमाल है साहब !
इतने सुंदर चित्र !
इतने अर्थ -गर्भ शब्द-चित्र !!
आज की सुबह ने डैनों को जैसे
डीन की नई सौगात बख़्श दी है .
उडुगन के अर्थ को प्रसिद्ध दोहे से
आपने परमार्थ प्रदान कर दिया .
बोध के अनिर्मित पथ पर उड़ान की
ज़मीनी जानकारी दी है आपने.
और हाँ ..... हवाबाज़ी के सरकारी महकमे
जैसा प्रयोग !! शरद जोशी और परसाई जी
की याद बरबस आ गई.
सच कहूँ ,ब्लॉग-जगत का सूर और ससी ही
है शब्दों का सफ़र . बधाई.... अंतर्मन से .
डा.चंद्रकुमार जैन
और उड़न तश्तरी पर प्रकाश?????
ReplyDeleteहवा-हवाई बातों को सरस रफ्तार आपके शब्द ही दे सकते हैं। कहना चाहिए...वाह।
ReplyDeleteऔर लौट कर 'नीड़' में पहुँचते हैं ? उलट-पुलट का भी नाता है या नहीं?
ReplyDeleteडॉ. जैन की टिप्पणी से मै पूरी तरह सहमत हूँ ।
ReplyDeleteपिछली पोस्ट उदार वाली भी पसंद आयी , बकलमखुद में मीनाक्षी जी के बारे में विस्तार से जानने को मिल रहा है ... सो मजा आ रहा है ...अगली कड़ी का इंतजार है।
और हवलदार शब्द।
ReplyDeleteअजित जी हमेशा की तरह बहुत रोचक । मराठी का उडी शब्द भी शायद भी शायद सी डी से जुडा हुआ है।
ReplyDeleteअजित जी बहुत अच्छी जानकरी दी आपने... "मन पंख लगाकर उड़ने लगा" बधाई स्वीकारें...
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