Wednesday, September 24, 2008

फ़िरंगी का फ़ीका रंग गाढ़े पर भारी...

 गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी  दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थीSuperStock_1746-369 

दिल्ली की गलियों में 1857 की क्रांति  के दौरान यह आम नज़ारा था। इतिहास की किताबों में इसे सिपाही विद्रोह भी कहा जाता है फोटो सौजन्य-http://www.superstock.com/

ज़ादी के क़िस्से कहानियों में अक्सर अंग्रेजों के लिए फ़िरंगी शब्द पढ़ने - सुनने को मिलता रहा है. यह एक ऐसा शब्द है जो अंग्रेजों की एक खास छवि पेश करता है यानी जबरिया घुसपैठ कर आए विदेशी की। इसमें नापसंदगी का भाव समाया हुआ है । रीतिकाल के प्रसिद्ध कवि पद्माकर भट्ट की निम्नलिखित पंक्तियां अत्यंत प्रसिद्ध हैं -
बांका तृप दौलत अलीजा महाराज कबौ, सजि दल पकरि फिरंगिन दबावैगो. दिल्ली दहपट्टि पटना हू को झपट्ट करि, कबहूंक लत्ता कलकत्ता को उड़ावैगो ..
सुंदरलाल की पुस्तक 'भारत में अंग्रेजी राज' में अंतिम मुगल सम्राट बहादुर शाह जफर द्वारा 8 जून 1857 जारी एलान का उद्धरण मिलता है जिसमें भारतीयों का आह्वान करते हुए कहा गया है-
'हिंदुस्तान के हिंदुओं और मुसलमानों उठो. भाइयों, उठो! खुदा ने जितनी बरकतें इनसान को अता की हैं, उनमें सबसे कीमती बरकत 'आजादी' है. क्या वह जालिम नाकस, जिसने धोखा दे - देकर यह बरकत हमसे छीन ली है, हमेशा के लिए हमें उससे महरूम रख सकेगा? ... नहीं, नहीं. फिरंगियों ने इतने जुल्म किए हैं कि उनके गुनाहों का प्याला लबरेज हो चुका है'
भारत में फिरंगी शब्द का प्रयोग चाहे अंग्रेजो के लिए नस्ली आधार पर किया जाता रहा हो मगर यह तथ्य भी दिलचस्प है कि अंग्रेजों से पहले ही भारत में इस शब्द की आमद हो चुकी थी। बरास्ता अरबी-फारसी , फिरंगी शब्द भारत में जिन लोगों के साथ दाखिल हुआ वे खुद भी सदियों तक भारत में विदेशी ही समझे जाते रहें मगर यह शब्द जुड़ा अंग्रेजों से। फिरंगी मूलतः अरबी भाषा का माना जाता है मगर अरबी में इसकी आमद मिस्र से हुई है। फिरंगी शब्द अरबों और यूरोपीयों के बीच चले क्रूसेड यानी धर्मयुद्ध की देन है जब ईसाइयों ने ग्यारहवीं सदी में यरूशलम पर पुनः कब्जे के लिए अरबों के साथ खूनी संघर्ष किया। मिस्र के रास्ते ही ज्यादातर आक्रमण हुए। क्रूसेड से पहले भी फ्रांस वाले मिस्र में विदेशियों के तौर पर जाने जाते थे।
यूरोप के विभिन्न इलाकों के लड़ाकों की शिनाख्त मिस्री समाज ने फ्रैंक यानी फ्रांसीसियों के रूप में ही की । फ्रैंक का उच्चारण मिस्री में हुआ फिरंज और अरबी में यह हो गया फिरंग । इसके फिरंगिया अथवा फिरंजिया रूप भी हैं।  अरबी से यह फारसी में भी चला आया। शुरूआत में अरब में फिरंग शब्द यूरोपीयों के लिए प्रयुक्त होता रहा मगर बाद में व्यापक रूप से इसमें विदेशी का भाव समा गया। पूर्वी एशियाई देशों में भी जहां जहां पुर्तगाली, फ्रांसीसी और अंग्रेजी उपनिवेश बसे वहां विदेशी के तौर पर फिरंगी शब्द का चलन बढ़ता चला गया। थाईलैंड, मलेशिया, श्रीलंका आदि तमाम देशों में यह प्रचलित है। श्रीलंका में फिरंगी को परंजियर बोला जाता है क्योंकि तमिल भाषा में का लोप हो जाता है। मज़ेदार बात यह है कि मलेशिया में यूरोपीयों के साथ साथ अफ्रीकियों को भी फिरंग ही कहा जाता है अर्थात फिरंगी का विदेशी के अर्थ में सही सही इस्तेमाल होता है।
फिरंगी की एक और रोचक उत्पत्ति बताई जाती है । चूंकि यूरोपीयों का रंग एशियाई लोगो के गाढ़े रंग की तुलना में हल्का होता है सो फारसी में उन्हें ‘फीका रंग’ कहा गया जो फिरंग में बदल गया ।  जो भी हो, अभिप्राय तब भी यूरोपीयो और ऐशियाइयों के बीच नस्ली फर्क महसूस करने का ही था। फीके रंग वाला यह मामला ठीक वैसा ही है जैसा अग्रेजों के लिए हिन्दी में गोरा शब्द चल पड़ना। खास बात यह कि फीके रंग वाले फिरंगियों का रंग गाढ़े रंग वाले हिन्दुस्तानियों पर कुछ ऐसा चढ़ा है कि उनसे पीछा छुड़ाने के बावजूद बोली,खाना और बाना पर उनका असर अब भी सिर चढ़ कर बोल रहा है।भारत में रंग के आधार पर नाम रखने का रिवाज़ रहा है। गोरे रंग के प्रति ललक तो खास देखी जाती है। पुराने ज़माने में जिन बच्चों का उजला रंग होता था उनका नाम भी फिरंगीमल या फिरंगीलाल भी रखा जाता रहा है। इलाकों और इमारतों के नामों के साथ भी यह शब्द जुड़ा रहा जैसे फिरंगी चाल, फिरंगी छावनी या फिरंगी महल आदि। अब नामों पर जोर नहीं रहा वर्ना किसी मायने में हम फिरंगियों से कम हैं ?

10 comments:

  1. बहुत सही, महााज..गहरा कुँआ कुछ भरे होने का अहसास देता सा लगता है..जानता हूँ मिथ्या ही है अभी तक!!

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  2. बाहर से आते थे पहले, अब खूब उगा करते हैं अपनी बगिया में फिरंगी।

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  3. हम तो बस इतना जानते हैं कि हमारे कालेज में कोई भी विदेशी दिख जाये, हम तो बस उसे फिरंगी ही कहते थे.. वैसे आजकल चीन के छात्र बहुतायत में पाये जाते है मेरे कालेज में.. मगर मेरे जूनियर उन्हें भी चिंकी ही कहते हैं..
    कभी इस शब्द पर भी गौर फरमायें.. :)

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  4. अब समझ में उतरी ये बात कि
    पाश्चात्य चमक-दमक की
    दुनिया का रंग
    बुनियाद में फीका ही है !

    अजित जी,
    फिरंगी के फीकेपन के बहाने
    सफ़र में आज फिर
    आपने सरस और तीखी जानकारी का
    उपहार दिया है.........आभार.
    =============================
    डॉ.चन्द्रकुमार जैन

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  5. रोचक और ज्ञानवर्धक जानकारी.

    ये पीडी जी क्या कह रहे हैं? बहुत सारे "चीनी छात्र" भारत में क्षिक्षा के लिए आते हैं, ये हमारी जानकारी में नहीं था. लेकिन अगर इनका आशय पूर्वोत्तर भारत के छात्रों से है तो इनकी टिप्पणी बेहद अफ़सोसजनक है.

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  6. रोचक लगी यह फिरंगी जानकरी

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  7. फीका रंग -> फिरंग जमा मुझे तो... भले मिस्र वाला ज्यादा शोधपरक और सच हो !

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  8. अजीत जी इतिहास से मास्टर डिग्री ले ली पर फिरंगी का असल तथ्यात्मक रंग तो अपने बताया..धन्यवाद.!! ऐसे ही चलता रहे कारवाँ.

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  9. दाना-ए-फ़िरंग--फ़िरोजा?इन पर भी प्रकाश ड़ालें।कहीं कहीं बात बात पर मुकरनें वाले, पूर्व कथन से पलट जानें वालों को भी फ़िरंगी कहनें का प्रचलन है।

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