Wednesday, March 11, 2009

हमने भी मना ली होली…

 HOLI09 019ऊपर- चलिये कुछ स्माइल हो जाए…

दाएं- राधिका बुधकर, स्मिता वडनेरकर, माला तैलंग, दिनकर तैलंग(दीदी व जीजाश्री), अबीर वडनेरकर और प्रयूष ताटके(भांजा)HOLI09 051सुनील, अभिराम बुधकर (कजिन) व पिताजी के साथ
HOLI09 027
HOLI09 022अभिराम-प्रयूष-अजित HOLI09 023अजित –स्मिता-दिनकरजी-माला
HOLI09 030  HOLI09 034 दाएं- राधिका अभिराम. ऊपर - प्रयूष(भतीजा) के साथ नन्ही आरोही और अंकिता (भतीजी

नीचे- बस, कुल जमा इतने ही लोग थे हम…
HOLI09 047HOLI09 055 ऊपर-माताजी के साथ मैं और अंकिता
नीचे- आरोही के साथ अबीर
HOLI09 042

बु धवार को होली खेलने का कोई मूड नहीं था। हमेशा की तरह सुबह तीन से चार बजे की बीच सोए थे और बारह बजे तक उठने का मूड था कि जगा दिये गए। बताया गया कि बड़ौदा से अभिराम और राधिका आए हैं। अभिराम हमारा छोटा भाई है-हरिद्वार वाले मामाश्री का बेटा। राधिका बुधकर उसकी जीवनसंगिनी है.. वीणा साधिका।  … अभिराम का होली पर भोपाल आने का कोई कार्यक्रम नहीं था। ऐसा कभी नहीं हुआ कि वो होली पर भोपाल आए। यूं राधिका और अभिराम का भोपाल आना-जाना लगा ही रहता है। राधिका के वीणा वादन के सिलसिले में या अन्य पारिवारिक आयोजन में। राधिका ग्वालियर निवासी हैं और जब भी बड़ौदा से ग्वालियर जाती हैं, तब हमेशा अभिराम उन्हें भोपाल तक छोड़ जाते हैं और यहां से वे शताब्दी एक्सप्रेस में बैठ जाती हैं। सुबह आने और दोपहर को जाने के बीच के अंतराल का लाभ हम सब परिजनों को मिलता है। अभि-राधिका और इनकी प्यारी सी बिटिया अरु यानी आरोही से मिलने की इच्छा सभी की रहती है।
अभिराम इस बार भी होली के निमित्त नहीं बल्कि राधिका के छोटे भाई के यज्ञोपवीत कार्यक्रम में शरीक होने ग्वालियर जा रहे थे। उन्हें हमेशा की तरह दोपहर ढाई बजे वाली शताब्दी पकड़नी थी। बस, इस वक्त का लाभ उठाया गया और होली मना ली गई। भोपाल में हमारे कुटुम्ब के तीन प्रमुख परिवार पासपास ही रहते हैं सो सब लोग इकट्ठा हो गए  और रंग जम गया।  कुछ हल्का-फुल्का नाश्ता हुआ और फिर दोपहर को डेढ़ बजे सबने दीदी के घर पर भोजन किया। दम-आलू के साथ पुलाव। दहीबड़े। खाने में देर हो गई। मगर सड़कें खाली थीं। हमने रफ्तार पकड़ी और ट्रेन छूटने के ठीक दो मिनट पहले मेहमानों की सुखद रवानगी करा दी। इस बार जल संकट है। बारिश कम हुई। भोपाल का बड़ा ताल भी सूखता जा रहा है। हर साल सूखी होली की अपील खाली जाती है। मगर इस बार हमें भी लोग पानी की कमी को गंभीरता से लेते नजर आए। इस मौके की कुछ रंगबिरंगी छवियां आपके साथ साझा करने का मन हुआ। आप भी लें आनंद।
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22 comments:

  1. बहुत बहुत शुभकामनाऐं..

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  2. Nice Photos
    Mai to pni photo dikhane layak hi nahi hun
    अंकित

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  3. भाई क्या बात है ..सब पर अच्छा रंग चढा है .....होली की शुभकामनाएं स्वीकार करें

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  4. ......और इस बहाने हम भी आपके परिवार से परिचित हो गए और लगा कि होली भी खेल ली...हां जी, सूखी होली:)

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  5. बहुत खूब. समस्त परिवार को होली पर शुभकामनाएं !

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  6. होली की शुभकामनाएं

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  7. बहुत खूब! शानदार! ९५% और ५% वाली फोटो भी लगानी चाहिये भाई!
    माताजी की चोट जल्दी से ठीक होने की शुभकामनायें!

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  8. होली के पावन पर्व पर पूरे परिवार के लिए मंगलकामना...सभी चित्र स्नेह के सतर्ंगी रूप से सजे हुए..

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  9. परिवार को एक साथ देख कर बहुत प्रसन्नता हुई! सभी को होली पर बहुत बहुत शुभकामनाएँ।

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  10. Holi ke Rang saje sub ke ang ang
    aur man mei chayee Umang :-)
    Nice pictures
    Radhika ji & Smita ji's Smiles
    make the pictures Lively !!
    I'm sure,you enjoyed Holi.

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  11. अच्छी लगी इस पारिवारिक होली
    में सफ़र की सहभागिता. अजित जी,
    सभी सदस्यों को हमारी शुभकामनाएँ.
    पू.माता जी को प्रणाम निवेदित कीजिए.
    =============================
    डॉ.चन्द्रकुमार जैन

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  12. रंगीन होली की रंगीन शुभकामनाएं और घणी रामराम.

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  13. वाह,होली हो तो ऐसी,होली की बधाई आपको और आपके परिवार को।

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  14. वाह जी आपकी होली तो बढ़िया हो ली.. बहुत शुभकामनाए

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  15. मनाई आपने, देखी हमने और हो ली हमारी भी होली।
    सुन्‍दर चित्र। आपके रंग हमारे आंगन तक बिखर आए।

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  16. अरे वाह.......इन फोटुओं को देखकर और और आपके शब्दों को पढ़ते हुए ऐसा लगा की मैं भी आप ही लोगों के बीच हूँ.....आपलोगों के होली मनाते हुए वाकई मज़ा ही आ गया....आपलोगों को मैं दिख नहीं पाया....सो बात अलग है.....इन फोटुओं में मैं भी हूँ....बेशक आप सब देख ना सकें....भूत जो हूँ.....!!

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  17. ये ब्लॉग,जिसका नाम शब्दों का सफ़र है,इसे मैं एक अद्भुत ब्लॉग मानता हूँ.....मैंने इसे मेल से सबस्क्राईब किया हुआ है.....बेशक मैं इसपर आज तक कोई टिप्पणी नहीं दे पाया हूँ....उसका कारण महज इतना ही है कि शब्दों की खोज के पीछे उनके गहन अर्थ हैं.....उसे समझ पाना ही अत्यंत कठिन कार्य है....और अपनी मौलिकता के साथ तटस्थ रहते हुए उनका अर्थ पकड़ना और उनका मूल्याकन करना तो जैसे असंभव प्रायः......!! और इस नाते अपनी टिप्पणियों को मैं एकदम बौना समझता हूँ....सुन्दर....बहुत अच्छे....बहुत बढिया आदि भर कहना मेरी फितरत में नहीं है.....सच इस कार्य के आगे हमारा योगदान तो हिंदी जगत में बिलकुल बौना ही तो है.....इस ब्लॉग के मालिक को मेरा सैल्यूट.....इस रस का आस्वादन करते हुए मैं कभी नहीं अघाया......और ना ही कभी अघाऊंगा......भाईजी को बहुत....बहुत....बहुत आभार.....साधुवाद....प्रेम......और सलाम.......!!

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  18. बहुत बधाई जी होली की।

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  19. बहुत कलात्मक ढंग से होली खेली गई है। यहाँ तो फोटो खींचने का कोई मतलब नहीं होता। लोग पहचाने नहीं जाते।
    घुघूती बासूती

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  20. bahut badhiya!
    sabhi se parichay acchaa lagaa!

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  21. achaa lagaa apkoo aur apke parivaar ko dekh kar.

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  22. अजित जी, अपनी होली के उत्सव को साझा करने का आभार। आपकी यह चित्रमय प्रस्तुति और संयोजन भी सुरुचिपूर्ण रहा।

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