...रक़ीब उसे कहा गया गया है; जो खुद भी उसीलैला की चाह रखता है, जिसके पहलू में मजनूं की दुनिया आबाद है...
ए क ही मूल से उपजे दो शब्दों में अर्थान्तर की मिसाले दुनिया की सभी भाषाओं में मिलती हैं। इसकी वजह समाज का विकास, चीज़ों को देखने का बदलता नज़रिया और उस शब्द का अन्य भाषाओं में विस्तार होना है। उर्दू शायरी में एक शब्द का खूब इस्तेमाल होता वह है रक़ीब। खासतौर पर प्रेम संदर्भों में इसका प्रयोग प्रेमी के प्रतिद्वन्द्वी के तौर पर होता है। प्रचलित अर्थों में दुश्मन, विरोधी, प्रतिवादी, विपक्षी और ईर्ष्यालु की तरह भी इसका इस्तेमाल होता है। मुस्लिम शासनकाल की भू-राजस्व शब्दावली का एक शब्द है रक्बः जिसका हिन्दी रूप है रकबा। यह शब्द भी इसी कड़ी का है। रकीब से ही एक अन्य शब्द बना है रकाबत जिसका अर्थ विरोध या प्रतिद्वन्द्विता होता है।
अल्लाह के 99 नामों में एक रक़ीब में यही भाव है। इस तरह र-क-ब धातु में जो भाव हैं उसमें देखना, सतर्क रहना भी है। प्राचीन पशुपालक समाज के क्रियाकलापों से निकली धातु है र-क-ब। परम्परा से ही पशुपालक वन-प्रांतरों में अपने पशुओं को चरने के लिए खुला छोड़ देते है। उसके बाद वे किसी एक स्थान से ही चारों और गर्दन घुमा-घुमा कर मवेशियों पर नज़र रखते हैं। पर्यवेक्षक और सर्वदर्शी में निगाह रखने भर का भाव नहीं है। पर्यवेक्षक को आशावान भी होना चाहिए साथ ही सावधान भी। रक़ाबत में सुरक्षा, रखवाली, देखरेख का भाव भी शामिल है। रक़ीब में जिज्ञासा और सबकुछ जानने की इच्छा भी होनी चाहिए। वह एक गुप्तचर की भूमिका में भी रहता है जिससे छोटी से छोटी बात भी छुपी न रहे। र-क-ब में उम्मीद, आशा जैसे भाव भी हैं। सर्वदर्शी में सिर्फ नज़र भर रखने का भाव शामिल नहीं है बल्कि उसमें सकारात्मकता अर्थात आशावादिता भी होनी चाहिए। यानी सब कुछ ठीक चल रहा है या नहीं। राह पर लाना और राह दिखाना भी रकीब का कर्तव्य है। गौर करें कि एक पशुपालक में ये सारे गुण होते हैं। पशुपालन व्यवस्था से जुड़ा यह शब्द कालांतर में प्रशासनिक सामाजिक व्यवस्था का शब्द बना। इसमें वो सारे भाव समाहित हुए जिनका रिश्ता एक शासक, प्रशासक और अधिकारी के कर्तव्यों से है।
एक पर्यवेक्षक अर्थात रक़ीब जहां तक निगाह रखता है, जिस क्षेत्र को जेरे-नज़र या दृष्टिगत रखता है वह समूचा क्षेत्र रक़बा कहलाता है। आमतौर पर रक़बा का मतलब इलाका, भूखण्ड, भूक्षेत्र, ज़
मीन का टुकड़ा आदि होता है। रक़बा इसी रा-क़ाफ़-बा (र-क़-ब rqb) धातु से बना है। रकबा को ज़मीन के परिमाप के अर्थ में लिया जाता है। भू-राजस्व से जुड़ी शब्दावली में रकबा शब्द शामिल है जिसका प्रयोग प्रायः काश्तकारी ज़मीन और गै़र काश्त ज़मीन के तौर पर होता है। अरबी में इसका रूप रक़्बः है जिसे उर्दू, फारसी और हिन्दी में रकबा कहा जाता है। किसी ज़माने में रक़बा वह पूरा इलाका होता था जो किसी का कार्यक्षेत्र हो। मुंशी, अमीन, जागीरदार, ज़मींदार से लेकर इसमें बादशाह के नायब और खुद शहंशाह भी आ जाते हैं। इस मायने में रक़बा का मतलब राज्यक्षेत्र या समूची अमलदारी हो जाता है।
रक़ीब में नकारात्मक भाव आमतौर पर प्रेमी के प्रेमिका के रिश्तों के संदर्भ में आता है। जब रकीब में निहित पर्यवेक्षक के भाव को सापेक्ष देखा जाएगा तब यक़ीनन इसमें नकारात्मक तत्व भी देखे जाएंगे। मसलन पशुओं के रेवड़ पर नज़र रखना ग्वालों के लिए सकारात्मक बात है मगर पशुओ को यह बात शायद पसंद न आती हो कि उन्हें हांका जाए। रक़ीब शब्द का बहुत से भावों के समावेश के साथ ही दुश्मन या विरोधी के रूप में अर्थविस्तार इसी तरह हुआ। प्रेम संबंधों को सभ्य समाज ने हमेशा शक की निगाहों से देखा है। अविवाहित युवक-युवती के अनुरागपूर्ण संबंधों पर आज भी बवाल होता है। अरब समाज में ऐसे ही संबंधों का शक होने पर प्रेमी जोड़े पर निगाह रखनेवाले व्यक्ति को रक़ीब कहा जाने लगा। जाहिर है प्रेमी जोड़े के परिजनों के लिए रक़ीब की भूमिका सकारात्मक है मगर प्रेमियों के लिए रक़ीब किसी दुश्मन से कम नहीं। लिहाजा़ धीरे-धीरे रक़ीब में विरोधी, शत्रु जैसे भाव जुड़ गए। कालांतर में रक़ीब को प्रेमी का प्रतिद्वन्द्वी समझा जाने लगा। यानी ऐसा व्यक्ति जो खुद भी उसी लैला की चाह रखता है जिसके पहलू में मजनूं की दुनिया आबाद है।
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ये एक नई बात चली..अब सोच सुधारेंगे.
ReplyDeleteवाह, गर्दन से पर्यवेक्षक और फिर प्रतिद्वंदी और विरोधी या दुश्मन रकब ka ये सफ़र काफी ऊपर से नीचे आया है.
ReplyDeleteशब्द एक रकीब और मतलब कई . अल्लहा से लेकर मोहब्बत के दुश्मन तक को रकीब कहना कमाल है
ReplyDeleteकोई दोस्त है, न रकीब है
ReplyDeleteतेरा शहर कितना अजीब है,
मैं किसे कहूं मेरे साथ चल
यहाँ हर सर पर सलीब है...
ऐसा सुघर विश्लेषण दुर्लभ है । मैं तो ’चकित चितव’ शब्दों का अर्थ-व्यापार ही निरखता हूँ । धन्यवाद ।
ReplyDeleteबस छा गए .......! एक शेर कुछ याद सा आ रहा है
ReplyDeleteखुदा करे दर्दे मुहब्बत न हो किसी को नसीब
रोया मेरा रकीब भी गले लगा के मुझे !
हिन्दी में रकीब का समानार्थी भी बताएं !
आज कल आप के चित्र ही अटका देते हैं।
ReplyDeleteरकीब से रकबा - बढ़िया जानकारी।
सतर्कता से शत्रुता और फिर प्रतिद्विन्दिता - खूब रही।
'प्रतिद्विन्दी' होता है या 'प्रतिद्वन्द्वी' - मैं भी भ्रमित हो रहा हूँ। सहेवे पाठ बताएँ।
वाह !
ReplyDeleteअच्छा लगा
बधाई !
वाह.. वाह...!
ReplyDeleteवडनेकर जी।
आज तक हम इस राज से अनभिज्ञ थे।
अच्छी जानकारी दी है आपने।
आभार!
रक़ीब का शायरी से बड़ा ताल्लुक है। शायद ही कोई शायर हो जिसने अपनी पहली बीस रचनाओँ में इस शब्द का प्रयोग नहीं किया हो। रक़ीब अफ़साना निगारों को भी पसंद है उस के बिना अफ़सानों में जान नहीं आती। वह सब्जी में नमक की तरह है। वह कण-कण में व्याप्त भी है वर्ना अल्लाह सा निगेहबान और जासूस कैसे होता?
ReplyDeleteरोचक!
ReplyDeleteरकीबों से हबीबों से तमाम आलम से मिलियेगा,
ReplyDeleteकभी फ़ुर्सत मिले इनसे तो आकर हम से मिलियेगा.
जाना पहचाना सा लगता था, पर इतने सारे गूढ़ अर्थ छिपे होंगे रकीब शब्द में, ये कभी नहीं सोचा था. जानकारी कमाल की. धन्यवाद.
हिन्दी में रकीब के समानार्थी को लेकर हमारी बात पहले भी हो चुकी है :-)
ReplyDeleteवही जवाब यहाँ लिख दीजिये अरविन्द जी के लिए ..वैसे आइडिया बुरा नही है ..मुझे इन्तिज़ार रहेगा.
बहुत अच्छी जानकारी है भास्कर का इस हफ्ते का आलेख भी रात मे ही पढ पाई [सब का भाग्यविधाता कौन ] बहुत बडिया सफर लगता है इन शब्दों के साथ बधाई
ReplyDeleteIsi bahaane bahut kuchh jaane ko mil raha hai.
ReplyDelete( Treasurer-S. T. )
आप जितनी सूक्ष्मता से शोध करते हैं, वह बेमिसाल है |
ReplyDeleteइस लेख के सम्बन्ध में मुझे बस एक छोटी सी बात यह कहनी है कि कहीं न कहीं यह अंग्रेजी, फ्रेंच और स्पेनी के RIVAL से भी सम्बन्ध है...देखिये न कितना मिलता जुलता है...,
वाह ! वाह ! वाह ! अजीत भाई वाह...बेमिसाल जानकारी दी आपने...इतने रोचक ढंग से आपने शब्दों की विवेचना की है कि यह अध्याय सहज ही विस्मृत न हो पायेगा...
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार..
वही तेवर,पर अधिक धारदार,
ReplyDeleteआप शब्दों के प्रभाव से जिंदगी के
अर्थ उद्घाटित कर देते हैं....सफ़र में होना
दरअसल हर बार जीवन के नए रंग के
साथ होने का अहसास दिलाता है....
आपकी
निरंतरता...निष्ठा...नव्यता
को नमन अजित जी.
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साभार
डॉ.चन्द्रकुमार जैन
रकीब को इतने विस्तार से पढ़कर मैं खुश हुआ। धन्यवाद
ReplyDelete@गिरिजेश राव
ReplyDeleteद्वन्द्व ही सही होता है बंधु
बन्धु न हो भ्रमित -प्रतिद्वंद्वी ही हैं कुपित !
ReplyDelete@अरविंद मिश्र
ReplyDeleteसही है डाक्टर साहब। कोई भ्रम नहीं है जी। मैं तो यही सोच रहा था कि आपने यह जिज्ञासा क्यों जताई:) वैसे रक़ीब की जस की तस अर्थवत्ता वाला कोई और शब्द हिन्दी में तो मुझे नज़र नहीं आता। उसके निकटतम किन्ही भावों के लिए प्रतिद्वन्द्वी शब्द को चुना जा सकता है।
रकीब शब्द का असली मिनिग हम कोलेज में ही जान पाए थे अजित जी ...सो आज तक भूले नहीं है
ReplyDeleteहम तो केवल इतना जानते ठ की एक ही प्रेमिका को चाहने वाले दो पुरुष आपस में रकीब कहलाते है आपने तो पूरी थ्योरी पेश कर दी :)
ReplyDeleteबहुत अच्छा लगा पढ़ कर
निरिख शब्द के बारे में भी कुछ बताइए
वीनस केसरी
वाह! हमारे रकीब हमसे पहले इत्ता सारा टिपिया गये।
ReplyDeleteMarvellous etymology bahut shodh kiya hoga aapne....
ReplyDelete...vishwaas kijiye bahut accha laga....
kalantar main kis tarah bhashaoon aur arthon ka roop badalta hai...
..iske kai udharan hai.
ek to "dinner" hi hain Dinner: Din ka bhojan.
dev ka arth hindi aur urdu main alag alag hi nahi balkin bilkul viprit hai....
nukte ke her pher se khuda bhi zuda ho hjata hai saheb..
phir ye to same words hain jinka laghbafh viprit arth hai...
ये नयी जानकारी मिली आज एक और. आज तो हमने अपने ऑफिस में पूछ लिया रकीब का मतलब :)
ReplyDeleteअभिषेक कहीं आपने अपने रकीब से ही तो नहीं पूछ लिया यह सवाल -आप भोले मनुष्य कुछ भी कर सकते हैं !
ReplyDeleteवाह जी वाह..
ReplyDeleteआजा मेरे रकीब तुझे गले लगा लूं
मेरा इश्क बेमजा था तेरी दुश्मनी के पहले
क्या बात बहुत सुन्दर व उपयोगी
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