Wednesday, September 2, 2009

रक़ीब को दुश्मन न जानिए [विरोधी-2]

पिछली कड़ी- खलीफा, मुखालफत, खिलाफत
...रक़ीब उसे कहा गया गया है; जो खुद भी उसीलैला की चाह रखता है, जिसके पहलू में मजनूं की दुनिया आबाद है...
क ही मूल से उपजे दो शब्दों में अर्थान्तर की मिसाले दुनिया की सभी भाषाओं में मिलती हैं। इसकी वजह समाज का विकास, चीज़ों को देखने का बदलता नज़रिया और उस शब्द का अन्य भाषाओं में विस्तार होना है। उर्दू शायरी में एक शब्द का खूब इस्तेमाल होता वह है रक़ीब। खासतौर पर प्रेम संदर्भों में इसका प्रयोग प्रेमी के प्रतिद्वन्द्वी के तौर पर होता है। प्रचलित अर्थों में दुश्मन, विरोधी, प्रतिवादी, विपक्षी और ईर्ष्यालु की तरह भी इसका इस्तेमाल होता है। मुस्लिम शासनकाल की भू-राजस्व शब्दावली का एक शब्द है रक्बः जिसका हिन्दी रूप है रकबा। यह शब्द भी इसी कड़ी का है। रकीब से ही एक अन्य शब्द बना है रकाबत जिसका अर्थ विरोध या प्रतिद्वन्द्विता होता है।
 pren85lमूलतः रकीब शब्द सेमिटिक भाषा परिवार का है। सेमिटिक धातु रा-क़ाफ़-बा (र-क़-ब rqb) से इसकी व्युत्पत्ति हुई है जिसका मतलब होता है गर्दन, गला या ग्रीवा। वैसे इस धातु की अर्थवत्ता बहुत व्यापक है। इस्लाम में अल्लाह के 99 नामों का उल्लेख है जिनमें एक नाम अर-रकीब या अल-रकीब भी है जिसका मतलब होता है सब कुछ देखनेवाला, सम्यकदृष्टा, सर्वदर्शी। अजीब बात है कि जिस धातु का अर्थ गर्दन है, जिससे बने रकीब शब्द में दुश्मन, विरोधी जैसे भाव समाए हों, उसी शब्द में सर्वदर्शी जैसा भाव भी समाया हुआ है जिसका रिश्ता ईश्वर की महिमा से जुड़ता है।  इन विरोधाभासी भावों की र-क-ब से बड़ी दिलचस्प रिश्तेदारी है। सेमिटिक धातु रा-क़ाफ़-बा (र-क़-ब rqb) में निहित गर्दन या ग्रीवा का अर्थ महत्वपूर्ण है। इससे बने रकीब का मूलार्थ दरअसल किसी ज़माने में सिर्फ पर्यवेक्षक, अवलोकनकर्ता, नज़र रखनेवाला, सर्वदर्शी, समदर्शी आदि था। गौर करें र-क-ब  के निहितार्थ-गर्दन पर। जब हमे अपने चारों ओर के बारे में जानना होता है तो आंखों को सभी दिशाओं में देखने का अवसर गर्दन से ही मिलता है जिसे तीन तरफ घुमाया जा सकता है। संस्कृत में एक शब्द है पर्यवेक्षण जो बना है परि+वीक्षण से। परि उपसर्ग का अर्थ होता है चारों ओर तथा वीक्षण का मतलब है देखना। भाव यही है चारों और देखना। पर्यवेक्षक या सुपरवाईजर शब्द का अर्थ यही है चारो ओर नज़र रखनेवाला।
ल्लाह के 99 नामों में एक रक़ीब में यही भाव है। इस तरह र-क-ब धातु में जो भाव हैं उसमें देखना, सतर्क रहना भी है। प्राचीन पशुपालक समाज के क्रियाकलापों से निकली धातु है र-क-ब। परम्परा से ही पशुपालक वन-प्रांतरों में अपने पशुओं को चरने के लिए खुला छोड़ देते है। उसके बाद वे किसी एक स्थान से ही चारों और गर्दन घुमा-घुमा कर मवेशियों पर नज़र रखते हैं। पर्यवेक्षक और सर्वदर्शी में निगाह रखने भर का भाव नहीं है। पर्यवेक्षक को आशावान भी होना चाहिए साथ ही सावधान भी। रक़ाबत में सुरक्षा, रखवाली, देखरेख का भाव भी शामिल है। रक़ीब में जिज्ञासा और सबकुछ जानने की इच्छा भी होनी चाहिए। वह एक गुप्तचर की भूमिका में भी रहता है जिससे छोटी से छोटी बात भी छुपी न रहे। र-क-ब में उम्मीद, आशा जैसे भाव भी हैं। सर्वदर्शी में सिर्फ नज़र भर रखने का भाव शामिल नहीं है बल्कि उसमें सकारात्मकता अर्थात आशावादिता भी होनी चाहिए। यानी सब कुछ ठीक चल रहा है या नहीं। राह पर लाना और राह दिखाना भी रकीब का कर्तव्य है। गौर करें कि एक पशुपालक में ये सारे गुण होते हैं। पशुपालन व्यवस्था से जुड़ा यह  शब्द कालांतर में प्रशासनिक सामाजिक व्यवस्था का शब्द बना। इसमें वो सारे भाव समाहित हुए जिनका रिश्ता एक शासक, प्रशासक और अधिकारी के कर्तव्यों से है।
क पर्यवेक्षक अर्थात रक़ीब जहां तक निगाह रखता है, जिस क्षेत्र को जेरे-नज़र या दृष्टिगत रखता है वह समूचा क्षेत्र रक़बा कहलाता है। आमतौर पर रक़बा का मतलब इलाका, भूखण्ड, भूक्षेत्र, ज़yorkshire-landscape-11.2मीन का टुकड़ा आदि होता है। रक़बा इसी रा-क़ाफ़-बा (र-क़-ब rqb) धातु से बना है। रकबा को ज़मीन के परिमाप के अर्थ में लिया जाता है। भू-राजस्व से जुड़ी शब्दावली में  रकबा शब्द शामिल है जिसका प्रयोग प्रायः काश्तकारी ज़मीन और गै़र काश्त ज़मीन के तौर पर  होता है। अरबी में इसका रूप रक़्बः है जिसे उर्दू, फारसी और हिन्दी में रकबा कहा जाता है। किसी ज़माने में रक़बा वह पूरा इलाका होता था जो किसी का कार्यक्षेत्र हो। मुंशी,  अमीन, जागीरदार, ज़मींदार से लेकर इसमें बादशाह के नायब और खुद शहंशाह भी आ जाते हैं। इस मायने में रक़बा का मतलब राज्यक्षेत्र या समूची अमलदारी हो जाता है।
क़ीब में नकारात्मक भाव आमतौर पर प्रेमी के प्रेमिका के रिश्तों के संदर्भ में आता है। जब रकीब में निहित पर्यवेक्षक के भाव को सापेक्ष देखा जाएगा तब यक़ीनन इसमें नकारात्मक तत्व भी देखे जाएंगे। मसलन पशुओं के रेवड़ पर नज़र रखना ग्वालों के लिए सकारात्मक बात है मगर पशुओ को यह बात शायद पसंद न आती हो कि उन्हें हांका जाए। रक़ीब शब्द का बहुत से भावों के समावेश के साथ ही दुश्मन या विरोधी के रूप में अर्थविस्तार इसी तरह हुआ। प्रेम संबंधों को सभ्य समाज ने हमेशा शक की निगाहों से देखा है। अविवाहित युवक-युवती के अनुरागपूर्ण संबंधों पर आज भी बवाल होता है। अरब समाज में ऐसे ही संबंधों का शक होने पर प्रेमी जोड़े पर निगाह रखनेवाले व्यक्ति को रक़ीब कहा जाने लगा। जाहिर है प्रेमी जोड़े के परिजनों के लिए रक़ीब की भूमिका सकारात्मक है मगर प्रेमियों के लिए रक़ीब किसी दुश्मन से कम नहीं। लिहाजा़ धीरे-धीरे रक़ीब में विरोधी, शत्रु जैसे भाव जुड़ गए। कालांतर में रक़ीब को प्रेमी का प्रतिद्वन्द्वी समझा जाने लगा। यानी ऐसा व्यक्ति जो खुद भी उसी लैला की चाह रखता है जिसके पहलू में मजनूं की दुनिया आबाद है।

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30 comments:

  1. ये एक नई बात चली..अब सोच सुधारेंगे.

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  2. वाह, गर्दन से पर्यवेक्षक और फिर प्रतिद्वंदी और विरोधी या दुश्मन रकब ka ये सफ़र काफी ऊपर से नीचे आया है.

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  3. शब्द एक रकीब और मतलब कई . अल्लहा से लेकर मोहब्बत के दुश्मन तक को रकीब कहना कमाल है

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  4. कोई दोस्त है, न रकीब है
    तेरा शहर कितना अजीब है,
    मैं किसे कहूं मेरे साथ चल
    यहाँ हर सर पर सलीब है...

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  5. ऐसा सुघर विश्लेषण दुर्लभ है । मैं तो ’चकित चितव’ शब्दों का अर्थ-व्यापार ही निरखता हूँ । धन्यवाद ।

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  6. बस छा गए .......! एक शेर कुछ याद सा आ रहा है
    खुदा करे दर्दे मुहब्बत न हो किसी को नसीब
    रोया मेरा रकीब भी गले लगा के मुझे !
    हिन्दी में रकीब का समानार्थी भी बताएं !

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  7. आज कल आप के चित्र ही अटका देते हैं।

    रकीब से रकबा - बढ़िया जानकारी।
    सतर्कता से शत्रुता और फिर प्रतिद्विन्दिता - खूब रही।
    'प्रतिद्विन्दी' होता है या 'प्रतिद्वन्द्वी' - मैं भी भ्रमित हो रहा हूँ। सहेवे पाठ बताएँ।

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  8. वाह !
    अच्छा लगा
    बधाई !

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  9. वाह.. वाह...!
    वडनेकर जी।
    आज तक हम इस राज से अनभिज्ञ थे।
    अच्छी जानकारी दी है आपने।
    आभार!

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  10. रक़ीब का शायरी से बड़ा ताल्लुक है। शायद ही कोई शायर हो जिसने अपनी पहली बीस रचनाओँ में इस शब्द का प्रयोग नहीं किया हो। रक़ीब अफ़साना निगारों को भी पसंद है उस के बिना अफ़सानों में जान नहीं आती। वह सब्जी में नमक की तरह है। वह कण-कण में व्याप्त भी है वर्ना अल्लाह सा निगेहबान और जासूस कैसे होता?

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  11. रकीबों से हबीबों से तमाम आलम से मिलियेगा,
    कभी फ़ुर्सत मिले इनसे तो आकर हम से मिलियेगा.

    जाना पहचाना सा लगता था, पर इतने सारे गूढ़ अर्थ छिपे होंगे रकीब शब्द में, ये कभी नहीं सोचा था. जानकारी कमाल की. धन्यवाद.

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  12. हिन्दी में रकीब के समानार्थी को लेकर हमारी बात पहले भी हो चुकी है :-)
    वही जवाब यहाँ लिख दीजिये अरविन्द जी के लिए ..वैसे आइडिया बुरा नही है ..मुझे इन्तिज़ार रहेगा.

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  13. बहुत अच्छी जानकारी है भास्कर का इस हफ्ते का आलेख भी रात मे ही पढ पाई [सब का भाग्यविधाता कौन ] बहुत बडिया सफर लगता है इन शब्दों के साथ बधाई

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  14. आप जितनी सूक्ष्मता से शोध करते हैं, वह बेमिसाल है |
    इस लेख के सम्बन्ध में मुझे बस एक छोटी सी बात यह कहनी है कि कहीं न कहीं यह अंग्रेजी, फ्रेंच और स्पेनी के RIVAL से भी सम्बन्ध है...देखिये न कितना मिलता जुलता है...,

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  15. वाह ! वाह ! वाह ! अजीत भाई वाह...बेमिसाल जानकारी दी आपने...इतने रोचक ढंग से आपने शब्दों की विवेचना की है कि यह अध्याय सहज ही विस्मृत न हो पायेगा...

    बहुत बहुत आभार..

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  16. वही तेवर,पर अधिक धारदार,
    आप शब्दों के प्रभाव से जिंदगी के
    अर्थ उद्घाटित कर देते हैं....सफ़र में होना
    दरअसल हर बार जीवन के नए रंग के
    साथ होने का अहसास दिलाता है....
    आपकी
    निरंतरता...निष्ठा...नव्यता
    को नमन अजित जी.
    ================================
    साभार
    डॉ.चन्द्रकुमार जैन

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  17. अमिताभ श्रीवास्तवSeptember 2, 2009 at 6:42 PM

    रकीब को इतने विस्तार से पढ़कर मैं खुश हुआ। धन्यवाद

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  18. @गिरिजेश राव
    द्वन्द्व ही सही होता है बंधु

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  19. बन्धु न हो भ्रमित -प्रतिद्वंद्वी ही हैं कुपित !

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  20. @अरविंद मिश्र
    सही है डाक्टर साहब। कोई भ्रम नहीं है जी। मैं तो यही सोच रहा था कि आपने यह जिज्ञासा क्यों जताई:) वैसे रक़ीब की जस की तस अर्थवत्ता वाला कोई और शब्द हिन्दी में तो मुझे नज़र नहीं आता। उसके निकटतम किन्ही भावों के लिए प्रतिद्वन्द्वी शब्द को चुना जा सकता है।

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  21. रकीब शब्द का असली मिनिग हम कोलेज में ही जान पाए थे अजित जी ...सो आज तक भूले नहीं है

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  22. हम तो केवल इतना जानते ठ की एक ही प्रेमिका को चाहने वाले दो पुरुष आपस में रकीब कहलाते है आपने तो पूरी थ्योरी पेश कर दी :)

    बहुत अच्छा लगा पढ़ कर
    निरिख शब्द के बारे में भी कुछ बताइए

    वीनस केसरी

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  23. वाह! हमारे रकीब हमसे पहले इत्ता सारा टिपिया गये।

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  24. Marvellous etymology bahut shodh kiya hoga aapne....

    ...vishwaas kijiye bahut accha laga....
    kalantar main kis tarah bhashaoon aur arthon ka roop badalta hai...

    ..iske kai udharan hai.

    ek to "dinner" hi hain Dinner: Din ka bhojan.

    dev ka arth hindi aur urdu main alag alag hi nahi balkin bilkul viprit hai....

    nukte ke her pher se khuda bhi zuda ho hjata hai saheb..

    phir ye to same words hain jinka laghbafh viprit arth hai...

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  25. ये नयी जानकारी मिली आज एक और. आज तो हमने अपने ऑफिस में पूछ लिया रकीब का मतलब :)

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  26. अभिषेक कहीं आपने अपने रकीब से ही तो नहीं पूछ लिया यह सवाल -आप भोले मनुष्य कुछ भी कर सकते हैं !

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  27. वाह जी वाह..
    आजा मेरे रकीब तुझे गले लगा लूं
    मेरा इश्क बेमजा था तेरी दुश्मनी के पहले

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  28. क्या बात बहुत सुन्दर व उपयोगी

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