आ वारगी या बेबसी के आलम में डोलते फिरने के लिए एक कहावत मशहूर है- गली गली फिरना या गलियों की खाक छानना। गली कहते हैं उस पतले, संकरे रास्ते को जो आबादी की भीतरी बसाहट में मकानों की दो कतारों के बीच की राह होती है। यह रास्ता आमतौर पर मुख्य मार्ग पर खुलता है। आबादी सड़कों पर नहीं, गलियों में बसती है सो भटकन अगर गलियों में है तो समझ लें कि भटकनेवाला पूरे शहर से रूबरू हो रहा है क्योंकि चंद सड़कों की खाक छानने से उसका मसला हल होने वाला नहीं। आजकल एक मुहावरा और प्रचलित है-पतली गली से निकलना जिसका मतलब हुआ लोगों की निगाह से बचना या छुपने की कोशिश करना। इसमें कोई ताज्जुब नहीं कि गलियां राहगुज़र के साथ साथ छुपने-छुपाने का जरिया भी हैं। समाज की भटकन, समस्याएं, असंतुलन, कुरूपता सबकुछ गलियों में पनाह पाता है। गली का चरित्र और रूप चाहे राह का है मगर इसके गुणसूत्रों में छुपने का भाव है।
गली/गला
हिन्दी का गली शब्द बना है संस्कृत की गल् धातु से जिसका अर्थ है टपकना, चुआना, रिसना, पिघलना आदि। गौर करें इन सब क्रियाओं पर जो जाहिर करती हैं कि कहीं कुछ खत्म हो रहा है, नष्ट हो रहा है। यह स्पष्ट होता है इसके एक अन्य अर्थ से जिसमें अन्तर्धान होना, गुजर जाना, ओझल हो जाना या हट जाना जैसे भाव हैं। कोई वस्तु अनंत काल तक रिसती नहीं रह सकती। स्रोत कभी तो सूखेगा अर्थात वहां जो पदार्थ है वह अंतर्धान होगा। गल् धातु से ही बना है संस्कृत का गलः जिसका मतलब होता है कंठ, ग्रीवा, गर्दन आदि। इन शब्दों के लिए हिन्दी में गला शब्द सर्वाधिक प्रचलित है जो गल् धातु से बने गलः का ही अपभ्रंश रूप है। गला हमारे आहारतंत्र का महत्वपूर्ण अंग है। हिन्दी में गले से जुड़े कई महावरे प्रसिद्ध हैं जैसे गला पकड़ना यानी जबर्दस्ती किसी बात के लिए उत्तरदायी बनाना, गला छुड़ाना यानी पीछा
छुड़ाना, गला फाड़ना यानी ऊंचे सुर में बोलना, गले न उतरना यानी किसी बात को स्वीकार न कर पाना, गले उतारना यानी अनिच्छापूर्वक किसी बात पर राजी होना आदि।
मुंह में जो कुछ भी डाला जाता है वह गले में जाते ही अंतर्धान हो जाता है, गायब हो जाता है। किसी चीज़ की बरामदगी के लिए हलक से निकलवाना जैसा मुहावरा इसीलिए कहा जाता है क्योंकि गायब करने के लिए पेट से बढ़कर और कोई गुप्त जगह नहीं। आज भी शातिर लोग कीमती चीज़ों को हलक में डाल लेते हैं। निगलना शब्द इसी मूल से बना है। गले की आकृति पर ध्यान दें। यह एक अत्यधिक पतला, संकरा, संकुचित रास्ता होता है। गली का भाव यहीं से उभर रहा है। कण्ठनाल की तरह संकरा रास्ता ही गली है। गली से ही बना है गलियारा जिसमें भी तंग, संकरे रास्ते का भाव है। गल् में निहित गलन, रिसन के भाव का अंतर्धान होने के अर्थ में प्रकटीकरण अद्भुत है। कुछ विद्वान गलियारे की तुलना अंग्रेजी शब्द गैलरी gallery से करते हैं। मगर ज्यादातर इसे ध्वनिसाम्य का शब्दकौतुक ही मानते हैं। इसकी व्युत्पत्ति अज्ञात है। गैलरी शब्द के प्राचीन रूप और अर्थ संदर्भ गल्, गलः और गली से मेल नहीं खाते। इसके प्राचीन अर्थों में चर्च का पोर्च जैसा भाव था जिसमें संकरापन ढूंढना मुश्किल है। यूं भी यूरोपीय चर्च अपनी विशालता और भव्यता के लिए ही मशहूर हैं।
सड़क
संस्कृत में एक क्रिया है सृ जिसका मतलब होता है जाना, तेज-तेज चलना, धकेलना, सीधा वगैरह। हिन्दी का सड़क शब्द भी सृ से ही जन्मा है। सृ के गति वाले भाव से संबंधित सड़क शब्द मूल रूप से संस्कृत में सरक: के रूप में मौजूद है जहां इसका मतलब राजमार्ग, सीधा चौड़ा रास्ता है। संस्कृत, हिन्दी, बांग्ला रास्ते या राह के लिए सरणि शब्द भी यहीं से पैदा हुआ। यही नहीं किसी राह या रास्ते पर चलना, किसी के पीछे चलना जैसे भावों को उजागर करने वाले सरण, अनुसरण जैसे शब्दों में भी संस्कृत मूल का सृ शब्द है।
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भाई हम तो आपके गले ही पड़ेंगे!!
ReplyDeleteगली निकालना भी एक मुहावरा है। हम वकीलों का हुनर भी।
ReplyDeleteआपके शब्दों का ज्ञान देखकर हम तो पतली गली निकल लेते है .
ReplyDeleteतस्वीर भी सुन्दर और मालूमात तो मिलती जाती है..मुहावरों को लेके, उसका उगम जानना अच्छा लग रहा है...बहुतसे मुहावरों के उगम नही पता थे...जैसे 'पतली गली से....'
ReplyDeleteशुक्रिया!
री !
ReplyDeleteगले लगने गली आए तुम्हारी
गैलरी छोड़ आए सपनों की सारी
नली फूँको -कि 'गल' गई छूट
सूनी सड़क के राग हुए कूट।
गली शब्द की जानकारी .उसका उद्भव हमारे तो गले उतर गया |
ReplyDeleteव्रन्दावन की कुञ्ज गलिया जग प्रसिद्ध है |और हाँ क्रिकेट में भी तो अक गली होती है |
बढिया पोस्ट
गलियों मी घूमना भी बहुत अच्छा लगा धन्यवाद
ReplyDeleteपतली और सकरी गली से निकलना ये मुहावरे आम बोल चाल की भाषा में प्रायः उपयोग किये जाते है . मुहावरे युक्त पोस्ट प्रस्तुति के लिए आभार
ReplyDelete@गिरिजेश राव
ReplyDeleteसूनी सड़क के राग हुए कूट।
वाह क्या बात है। सारे शब्द-सूत्रों को पकड़ कर आपने रच दिया कूट-संसार।
पतली गली की गैलरी से गुजरना,
ReplyDeleteइस गली से सभी कभी ल कभी तो
अवश्य ही गुजरे होंगे।
गली और गला - क्या सोचा था इनका एक ही स्रोत ! एकदम नहीं ।
ReplyDeleteगजब की सैर है यह । नित नूतन अनुभव ।आभार ।