हि न्दी समेत कुछ बोलियो में बातूनी व्यक्ति के लिए लबार, लबाड़ी, लबारी या लबासी जैसा शब्द खूब प्रचलित है। लबाड़ना एक क्रिया है जिसका अर्थ है लूटना-खसोटना, ठगना वगैरह। लबारी की अर्थवत्ता में चोर, दुष्ट और ठग का भाव भी है। मूलतः लबारी में बोलने का भाव है। याद रहे ज्यादा बोलनेवाला व्यक्ति चतुर होता है और अपनी वाक्चातुरी के बल पर वह लोगों को प्रभावित करता है और फिर अपना हित साधता है।
जाहिर है इस तरह का कर्म ठगी के दायरे में ही आता है। लबार या लबाड़ शब्द बना है संस्कृत की लप् धातु से जिसमें बोलने-बतियाने, कहने से जुड़े सारे भाव शामिल हैं अर्थात कानाफूंसी करने से लेकर चबर-चबर, भसर-भसर करने तक सारी बातें लप् में शामिल हैं। ज्यादा बोलने के लिए भी लप-लप करना शब्दयुग्म प्रचलित है जिसे चांय-चांय या चेंचें-पेंपें करना भी कहते हैं। लप् से बना है लापः जिसका मतलब है बोलना, बातें करना और तुतलाना। इससे बना वार्तालाप शब्द हिन्दी में बहुत प्रचलित है। दो या दो से अधिक लोगों के बीच विचार-विमर्श या सामूहिक चर्चा के लिए वार्तालाप शब्द का प्रयोग होता है। लापः में आ उपसर्ग लगने से बनता है आलाप जिसका अर्थ कथन, कहना, बातचीत या भाषण होता है। शास्त्रीय संगीत में आलाप का विशेष महत्व है जिसमें गीत या पद के गायन से पहले गायक आsss लाप के जरिये उस राग की स्वर-संगतियों की जानकारी श्रोताओं को कराता है। इसे आलाप दरअसल गायन की भूमिका है। व्यर्थ की बात या बकवास को प्रलाप कहते हैं जो लापः में प्र उपसर्ग लगने से बना है। संस्कृत के वि उपसर्ग में विपरीतता का भाव है। लापः में वि उपसर्ग लगने से बनता है विलाप जिसका अर्थ है रोना। जाहिर है रोने की क्रिया सामान्य बातचीत के ठीक विपरीत है। लोग हंसी का विलोम रोना मानते हैं मगर सामान्य बोल का विपरीत भी रोना ही होता है।
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वडनेरकर जी इस लबाड़ी शब्द की आपने खूब याद दिलाई. इसका ब्लॉगरी से भी निकट का संबध है, एक तरह से ये ब्लॉगिंग भी लबाड़ना ही है, कमेंट के रूप में वाहवाही कबाड़ना ही है। यदि ये लाप: आलाप के निकट का शब्द है तो भी ब्लॉगिंग का पड़ोसी शब्द है क्योंकि ये एकालाप प्रसारित करने की विधा ब्लॉगिंग को दर्शाता है।
ReplyDeleteमैने लबाडी शब्द ही पहली बार सुना है धन्यवाद इस जानकारी के लिये
ReplyDeleteलबारी और आलाप का जुड़ना मजेदार है ! आभार ।
ReplyDeleteइसी के साथ हम तो लपर-लपर भी खूबे बोलते रहतें हैं !
ReplyDelete"याद रहे ज्यादा बोलनेवाला व्यक्ति चतुर होता है और अपनी वाक्चातुरी के बल पर वह लोगों को प्रभावित करता है और फिर अपना हित साधता है। जाहिर है इस तरह का कर्म ठगी के दायरे में ही आता है।"-- अजित वडनेरकर
ReplyDeleteअजित जी हमारा अनुभव तो उलट है। तुलनात्मक रूप से देखा जाय तो कम बोलने वाले ज्यादा शातिर और सफल धूर्त होते हैं। ज्यादा बोलने वाले के लिए खुद को छिपाना तुलनात्मक रूप से कठिन होता है। बेहतर तो यह होता है कि किसी कि बोलने की आदत से उसके चरित्र का अंदाजा नहीं लगाया जाय। वैसे लबाड़़ी शब्द मैंने भी पहली बार सुना। आंचलिक शब्द है या खड़ी बोली का ?
हमारा शहर बनारस बोलने वालों का शहर है। एक से एक साफदिल बोलबाज जो कपटहीन झूठे गल्पों से मुर्दों को भी मुस्कराने पर मजबूर कर दें। किस्सागोई और बतरस तो बनारसी आबोहवा की खासियत है।
सुखद है कि एक्सपोलर में आपका ब्लाग खुलने लगा।
यह लबार, लबाड़ी, लबारी जैसे शब्द तो मैंने भी पहली बार सुने. वैसे शब्द बोलने में और ऐसा काम करने के लिए लुभायेमन हैं.
ReplyDeleteलप् धातु क्या ध्वनी-अनुकरणीय नहीं लगता, दो होठों के हिलने की किर्या ? भारोपीय मूल लेब leb है जिससे अंग्रेजी लिपlip, फिर लाबिअल labial, और फारसी लब बने हैं. अंग्रेजी लिप lip slang का मतलब लप-लप करना है. यह एक सुझाव ही है. शायद कोई कोष ऐसा नहीं कहता होगा.
छत्तीसगढ़ मे झूठे के लिये लबरा शब्द का इस्तेमाल होता है ।
ReplyDeleteमजेदार...लबारी शब्द माँ खूब बोलती थी. आज बहुत दिनों बाद सुना.
ReplyDeleteहमारे यहाँ तो लबाळी बोलते हैं, बेमतलब बोलते जाने वाले के लिए।
ReplyDeleteशरद भाई से आगे .....और छत्तीसगढ़ में एक शब्द युति भी प्रचलित है "मिठ लबरा" यानि "मीठा बोलने वाला झूठा "
ReplyDeleteलाप: सुना, आलाप किया, प्रलाप मिला,
ReplyDeleteबन गया लबारी ब्लोगर,laptop मिला.
@ रंगनाथ सिंह
ReplyDeleteभाई, कहना चाहता था कि ठगी में वाक्चातुरी बहुत काम आती है। शायद इसे स्पष्ट नहीं कर पाया। आपका अनुभव और विश्लेषण सही है। दो मत नहीं। लबार या लबाड़ी देशज शब्द ही हैं। खड़ी बोली में इस्तेमाल नहीं होते।
लबाड़िया का आलाप बहुत बढिया लगा। कभी कभी लपाड़िया भी सुनने में आता है।
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