दु निया में जायका किसे पसंद नहीं होता। जायकेदार भोजन, जायकेदार बातें। जायका यानी लज्जत। लज्जत यानी मजा और मजा यानी स्वाद। किसी वस्तु अथवा विचार का जब सार हासिल हो जाता है तो उसी बिन्दु पर आनंद का सृजन होता है, यही स्वाद है। यूं खाने-पीने के स्वाद के संदर्भ में कह सकते हैं कि जीभ यानी रसेन्द्रियों को खाद्य पदार्थ के फीके, कटु, तिक्त या मधुर होने का अनुभव ही स्वाद कहलाता है। स्वाद बना है संस्कृत की स्वद् धातु से जिसमें पसंद, मधुरता, रस लेना आदि। किसी वस्तु को मधुर करना, चखना या उसका उपभोग करने का भाव भी स्वद् में निहित है। स्वद् से बना है स्वादः या स्वादनम् जिसका अर्थ है मजा, आनंद, रस। इसमें चखना, खाना, पीना जैसे भाव भी हैं और बोलचाल में यही इसका मूलार्थ भी हो गया। इस शृंखला के कुछ अन्य शब्द भी हिन्दी में प्रचलित हैं मसलन स्वादिष्ट अर्थात अत्यंत मधुर, जायकेदार, लज्जतदार। एक अन्य शब्द है स्वादु। स्वादु में सु उपसर्ग लगने से स्वाद को और भी महत्व मिलता है।
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बहुत जायकेदार जानकारी रही.
ReplyDeleteआज मजदूर दिवस है
ReplyDeleteएक मई नेक है
चखना मजदूरी का
नायाब उदाहरण है
इतना कार्य करना
क्या साधारण है ?
स्वाद आ गया अविनाशजी आपकी प्रतिक्रिया से, यूं कहिए शब्दों की जो मेहनत-मजूरी चर रही है सफर में उसका फल मिल गया।
ReplyDeleteकितने तरह के स्वाद की अनुभूतियाँ हैं -खटरस कौन हैं ! कृपया जोड़ें ?
ReplyDeleteअजित भाई
ReplyDeleteसामयिक प्रविष्टि... स्वाद और स्वेद ...दोनों ही सुख की अनुभूति के स्रोत ...फिलहाल स्वेद दिवस की शुभकामनायें !
वाह अजित जी,
ReplyDeleteसुबह सुबह ज़ायके का सफ़र करा दिया...
जय हिंद...
अर्थ 'स्वादिष्ट'* का पढ़ा और चल दिए,
ReplyDeleteचख के भी अनजान थे जिस स्वाद से,
"देर करदी", कह के पट बंद कर दिया,
और मियाँ ने हाथ अपने मल लिए.
[*सुन्दर, प्रिय, सुमधुर]
-mansoor ali hashmi
http://aatm-manthan.com
रसोई जाकर स्वाद बनाते हैं ।
ReplyDeleteस्वादिष्ट 'माइक्रोपोस्ट'
ReplyDeleteअजित साहब,आप कहते हैं कि आप भाषा विज्ञान के आधिकारिक विद्वान नहीं हैं पर सच यह है कि भाषा विज्ञानं में रूचि रखने वाले हर पाठक को आपके आलेख पढना चाहिए .साधुवाद के अलावा और क्या कहूं.
ReplyDeleteसमाजवाद/साम्यवाद की तर्ज पर स-वाद (स्वाद) भी कोई वाद है, लगता है!
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