Monday, May 24, 2010

गरारे, खर्राटे, गार्गल और गर्ग

gargle पिछली कड़ी-अजगर करे न चाकरी… 
खां सी होने या गला खराब होने की स्थिति में अक्सर गरारा करने की नौबत आती है। गौरतलब है कि गरारा के लिए अंग्रेजी में भी इससे मिलता जुलता शब्द है गार्गल जिसका अर्थ है कुल्ला करना, गरारे करना आदि। गरारा यानी गर्म पानी के जरिये गले का सिकाव। इसमें पानी को बाहर जाती हवा के जरिये गले में ही रोक कर रखा जाता है। ध्यान रहे गरारा करने की क्रिया में गला तर करने के साथ साथ गले से निकलती पानी की गर-गर ध्वनि भी महत्वपूर्ण है। गर शब्द संस्कृत की गृ धातु से बना है जिसमें निगलना, तर करना, गीला करना जैसे भाव हैं।  गरारा अथवा गार्गल करना भी गले गले को तर करने की क्रियाएं ही हैं और इनके साथ एक विशिष्ट ध्वनि भी जुड़ी है जो कण्ठ से निकलती है।
रारा शब्द इंडो-ईरानी मूल का शब्द है। हालांकि इसका अर्थविस्तार इसे भारोपीय भाषा परिवार का साबित करता है। संस्कृत में गरारा के लिए गर्गरः शब्द है जिसका अर्थ जल आलोड़ने से उत्पन्न ध्वनि है। गर्गरः का अर्थ पानी का भंवर भी होता है और मथानी या दही बिलौने का उपकरण भी। ध्यान रहे तरल पदार्थ का मंथन करने से गर्गरः जैसी ध्वनि आती है। गले में पानी रोक कर गरारा करने से भी पानी का मंथन अथवा आलोड़न ही होता है। फारसी में भी गरारा की क्रिया जो शब्द है वह है गरारः। समझा जा सकता है कि हिन्दी-उर्दू का गरारा फारसी के इसी गरारः की देन है। दिलचस्प यह भी कि भारोपीय भाषा परिवार से अलग सेमिटिक भाषा परिवार की अरबी में भी गरारा के लिए ठीक संस्कृत की तरह ग़र्ग़रः शब्द है। फर्क सिर्फ नुकते का है। गर्गरः शब्द बना है गर्गः से। गर्गः हिन्दी का सुपरिचित शब्द है और हिन्दुओं का प्रसिद्ध गोत्र भी है। इस नाम के एक प्रसिद्ध ऋषि भी हुए हैं जो यादवों के कुल पुरोहित माने जाते थे। इनकी पुत्री का नाम गार्गी था। गर्ग की कुल परम्परा में आने वाले गर्ग, गार्गेय, गार्ग्य या गार्गी कहलाते हैं। ध्यान रहे प्राचीन ऋषि परम्परा में वेदोच्चार सर्वाधिक महत्वपूर्ण था। वैदिक सूक्तियों के सस्वर गान को सामवेद में व्यवस्थित स्वरूप मिला। गर्गः की व्युत्पत्ति भी गृ धातु से ही हुई है जिसमें मूलतः गले से ध्वनि निकलने का भाव ही है। इनके द्वारा रचित गर्ग संहिता एक प्रसिद्ध ज्योतिष ग्रंथ है। गर्ग का एक अन्य अर्थ साण्ड भी होता है। सम्भवतः साण्ड के मुंह से डकराने की जो ध्वनि निकलती है उसके चलते उसे यह पहचान मिली है।
अंग्रेजी के गार्गल gargle शब्द का प्रयोग भी शहरी क्षेत्रों में आमतौर पर होने लगा है। अंग्रेजी में इसकी आमद मध्यकालीन फ्रैंच भाषा के gargouiller मानी जाती है जो प्राचीन फ्रैंच के gargouille से जन्मा है जिसमें मूलतः मूलतः गले में पानी के घर्षण और मंथन से निकलने वाली ध्वनि का भाव निहित है। इस शब्द का जन्म गार्ग garg- से हुआ है snoring जिसमें गले से निकलने वाली आवाज का भाव है। इसकी संस्कृत के गर्ग (रः) से समानता गौरतलब है। गार्गल शब्द बना है garg- (गार्ग) + goule (गॉल) से। ध्यान रहे पुरानी फ्रैंच का goule शब्द लैटिन के गुला gula से बना है जिसका अर्थ है गला या कण्ठ। लैटिन भारोपीय भाषा परिवार से जुड़ी है। लैटिन के गुला और हिन्दी के गला की समानता देखें। गला शब्द बना है संस्कृत की गल् धातु से जिसमें टपकना, चुआना, रिसना, पिघलना जैसे भाव हैं। गौर करें इन सब क्रियाओं पर जो जाहिर करती हैं कि कहीं कुछ खत्म हो रहा है, नष्ट हो रहा है। यह स्पष्ट होता है इसके एक अन्य अर्थ से जिसमें अन्तर्धान होना, गुजर जाना, ओझल हो जाना या हट जाना जैसे भाव हैं। जाहिर है हिन्दी के गलन, गलनांक, गलना, पिघलना जैसे शब्द इसी गल् से बने हैं। याद रहे कोई वस्तु अनंतकाल तक पिघलती नहीं रह सकती अर्थात वह कभी तो ओझल या अंतर्ध्यान होगी ही। गल् धातु के कंठ या ग्रीवा जैसे अर्थों में यह भाव स्पष्ट हो रहा है। मुंह के रास्ते जो कुछ भी गले में जाता है, वह उदरकूप में ओझल हो जाता है। रिसना, पिघलना जैसी क्रियाएं बहुत छोटे मार्ग से होती हैं। गले की आकृति पर ध्यान दें। यह एक अत्यधिक पतला, संकरा, संकुचित रास्ता होता है। गली का भाव यहीं से उभर रहा है। कण्ठनाल की तरह संकरा रास्ता ही गली है। गली से ही बना है गलियारा जिसमें भी तंग, संकरे रास्ते का भाव है। गल् में निहित गलन, रिसन के भाव का अंतर्धान होने के अर्थ में प्रकटीकरण अद्भुत है।
मतौर पर गर गर ध्वनि गले से अथवा नाक से निकलती है। इस ध्वनि के लिए नाक या गले में नमी होना भी जरूरी है। वर्णक्रम की ध्वनियां आमतौर पर एक दूसरे से बदलती हैं। नींद में मुंह से निकलनेवाली आवाजों को खर्राटा कहा जाता है। इसकी तुलना गर्गरः से करना आसान है। यहां ध्वनि में तब्दील हो रही है। ख, क ग कण्ठ्य ध्वनियां है मगर इनमें भी संघर्षी ध्वनि है और बिना प्रयास सिर्फ निश्वास के जरिये बन रही है। सो खर्राटा शब्द भी इसी कड़ी से जुड़ रहा है।

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8 comments:

  1. गरारा शब्द का ही गरारा हो गया गर्र..याने तर!! आभार!!

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  2. अतुल्यMay 24, 2010 at 7:33 AM

    सारगर्भित जानकारी प्रस्तुत की है। पहली बार आना हुआ है आपके ब्लॉग पर... लगता है बार-बार आना पड़ेगा....

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  3. गर्ग से सांड किस तरह निकला,
    अब मुझे जा के ये समझ आया,
    चुन के भेजा था 'गाय' को हमने,
    'अब' जो देखा तो 'गर्ग' वह निकला.

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  4. अच्छा किया गरारा की याद दिला दी । ठंड लग गयी है ।

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  5. ऋषि,गोत्र,गरारा,खर्राटा....ओह कहा से कहाँ तक...वाह !!!
    लाजवाब रोमांचक विवेचना...

    ज्ञानवर्धन करने हेतु बहुत बहुत आभार...

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  6. This comment has been removed by the author.

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  7. अच्छी पोस्ट ! मेरा ख्याल था कि मंसूर साहब उस 'गरारे' पर शेर कहेंगे जो पहना जाता है :)

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  8. @ अली साहब
    गरारे पर तो अब क्या गुस्ताखी करू.......पाजामे को लपेट रहा हूँ...
    बकौल उर्दू के एक हिन्दू शायर जनाब एन.बी.सीन नाशाद :-

    "दो चार किताबे पढी, बने अल्लामा,
    इस्तिंजा किया गीला रहा पाजामा."

    वैसे, मैरे इस पोस्ट पर कुछ और भी तास्सुरात थे- जो अजित भाई के पास डिपोजिट है.

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