Saturday, August 14, 2010

बात ग़ुस्लखाने की…

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हि न्दी की कुछ बोलियों में पाखाना के लिए तारत शब्द का प्रयोग भी होता है। पूर्वांचल में जहां यह तारत है वहीं मालवी में कहीं कहीं इसका उच्चारण तारज भी सुनाई पड़ता है। ये शब्द दरअसल प्राकृत-संस्कृत से नहीं उपजे हैं बल्कि इस्लामी संस्कृति की देन है सो अलग अलग क्षेत्रों में उच्चारण भिन्नता है। यह शब्द बना है अरबी के तहारत से जिसमें शुद्धता का भाव है। मूल रूप से तहारत इस्लामी परम्परा का शब्द है और इसका इबादत से पूर्व की शुचिता प्रक्रिया से रिश्ता है। स्नान, अंगप्रक्षालन जैसी क्रियाएं इसमें निहित हैं। पाखाना शब्द जिस तरह से पाकखाना से बना है वहीं बात तारत में भी है।
ट्टी या शौचालय के अर्थ में हिन्दी में पाखाना शब्द का भी खूब इस्तेमाल होता है। इसके कई रूप प्रचलित हैं जैसे पैखाना, पखाना या पाखाना। यह फारसी के पाखानः या पाखानह से जन्मा शब्द है। पाखाना के साथ लगा “खाना” साफ बता रहा है कि यह स्थानवाची शब्द है। पाखाना में आए पा का अर्थ प्रायः पैर से लगाया जाता है। कुछ व्याख्याकार पाखाना का अर्थ वह स्थान बताते हैं जहां पाद प्रक्षालन अर्थात पैर धोए जाएं। इस अर्थ में पाखाना का अन्वय हुआ पा + खाना। पुराने ज़माने में बाहर से आने पर लोग घर के आंगन में एक नियत स्थान पर पैर धोकर ही कमरों में प्रवेश करते थे। शौचालय में निहित शुचिता यानी पवित्रता की व्यंजना के आधार पर अगर पाखाना शब्द का अन्वय अगर पाक+ खाना किया जाए तब इसका भावार्थ वहीं निकलता है जो शौचालय का स्थूल अर्थ है। पाक में क्रिया और विशेषण का बोध भी होता है। मुझे लगता है बतौर शौचालय इस शब्द की यह व्युत्पत्ति तार्किक है।
spiral-vip-latrine-1 तारत या तारज का मूल रूप है तहारतखाना अर्थात पवित्र होने का स्तान। मराठी में पाखाना के लिए शेतखाना या तारतखाना ही चलन में हैं। शौचालय शब्द भी चलता है मगर लोक परम्परा में इन्ही दो शब्दों की व्याप्ति है। दिलचस्प यह कि दोनों शब्द मुस्लिम दौर में प्रचलित हुए। पाकखाना की तरह ही तहारतखाना का अर्थ हुआ शुद्ध या पवित्र होने का स्थान। मुस्लिमों में वुज़ू के संदर्भ में तहारत, ग़ुस्ल आदी शब्दों का प्रयोग होता है। वुज़ू जहां नमाज़ से पूर्व शुद्धि की प्रक्रिया के लिए रूढ़ हो चुका है वहीं तहारत या ग़ुस्ल में दैहिक पवित्रता के विभिन्न क्रिया-आयाम अभिव्यक्त होते हैं। सामान्यतौर पर स्नान के अतिरिक्त शौच के उपरान्त तीन बार गुप्तांग को धोने का भाव भी तहारत में है। तहारतखाना शब्द के साथ जुड़े शौचालय की अर्थवत्ता चस्पा होने की वजह यही है। हिन्दी में भी स्नानगृह और शौचालय का भाव एक ही है पर नहाने के स्थान को कोई शौचालय नहीं कहता। इसी तरह ग़ुसलखाना शब्द का अर्थ स्नानगृह या बाथ रूम है। गुसलखाना बना है ग़ुस्ल ghusl शब्द से जिसमें पवित्रता और स्नान का भाव है। इसका अरबी मूल है ग़साला ghasala जिसकी मूल धातु है gh-s-l जिसका अर्थ है शुचितापूर्ण, पवित्र।   
मुहम्मद मुस्तफा खां मद्दाह के  उर्द-हिन्दी कोश के अनुसार तहारत का अर्थ है शुद्धता, पवित्रता, पाकीज़गी, स्नान और ग़ुस्ल आदि। मलविसर्जन के उपरांत पवित्र होने का भाव इसमें बाद में जुड़ा। अरबी में इसके लिए इस्तिंजा और फ़ारसी में आबदस्त शब्द पहले से हैं। आबदस्त इंडो ईरानी मूल का शब्द है जिसमें आब यानी पानी और दस्त यानी हाथ अर्थात हाथों के जरिये अंग प्रक्षालन की बात स्पष्ट है। अब आते हैं मराठी के शेतखाना शब्द पर। मराठी में शेत का अर्थ खेत होता है जो क्षेत्र से बना है। इस अर्थ में देखें तो शेतखाना का एक अर्थ खलिहान हो सकता है जहां खेत की उपज का भंडारण होता है। पेशवाओं के ज़माने में मराठी में फारसी का काफी असर आया। यहां शेत शब्द फारसी के सेहत शब्द का रूपांतर या देशज रूप है। सेहतखाना यानी पवित्र होने की जगह। फारसी का सेहत भी इंडो ईरानी मूल का शब्द है। मेरी नज़र में इसका रिश्ता संस्कृत के स्वस्थ से है। स ध्वनि यहां यथावत है। का लोप होकर मे निहित त+ह ध्वनियों का अन्वय होता है और फिर वर्ण विपर्यय के जरिये का स्थान लेता है और बनता है सेहत। गौरतलब है  कि पवित्र होने की सभी क्रियाओं ने अंग्रेजी के बाथरूम शब्द में ठौर पाया है जहां नहाने के अलावा भी “सब कुछ” किया जा सकता है।

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17 comments:

  1. pakhana ho ngaya ...islami sanskuriti ke purv jan manas me pakhana ke liye kon sa shabd chalta tha

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  2. 'पाकीज़ा' कैसे होते है, बतला गए है आप,
    पानी से हाथ, हाथ से 'धुलवा' गए है आप,
    कुछ 'पाक' "पाक" होके भी "नापाक" से लगे,
    आया जो 'बाथरूम' तो कटरा*गए है आप!

    [* 'सब कुछ' का खुलासा करने से!]

    -मंसूर अली हाशमी

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  3. Good post.i like your blog really nice.I love and like Hindi language. You guys are really helping people to know much more about Hindi language and culture.

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  4. सेहत के लिये बधाई और शुभकामनायें। अच्छी जानकारी है। जय हिन्द। स्वतन्त्रता दिवस की भी शुभकामनायें

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  5. फ़ारसी कोषों में पाख़ाना शब्द नहीं मिलता.. ज़ाहिरन यह उर्दू का, हिन्दुस्तानी ज़मीन में बनाया गया लफ़्ज़ है.. वैसे पा का एक अर्थ मूल, आधार, या बुनियाद से भी किया जा सकता है.. और मूलाधार क्या है किसी से छिपा नहीं है।
    और अगर पाख़ाने को पाक-ख़ाने के रूप के तौर पर ही देखा जाय तो पाकिस्तान की क्या व्याख्या होगी? मैं ऐसे बहुत लोगों को जानता हूँ जो पाख़ाने जाते हुए कहते हैं कि पाकिस्तान जा रहे हैं! :)

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  6. @अभय
    सही है। मगर इस शृंखला के सभी शब्दों में शुद्धता, प्रक्षालन या स्नान का अर्थ प्रभावी है अभय भाई....
    सेहतखाना, शेतखाना, शौचालय, बाथरूम वगैरह...इसीलिए पाखाना की कोई व्युत्पत्ति अगर हो सकती है तो वह भी इसी तर्कशृंखला के आधार पर पाकखाना हो सकती है ऐसा मुझे लगा....

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  7. पैर धोना .......... अब तो कागज़ से काम चल रहा है . सेव वाटर

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  8. मै समझती थी कि शेतखाना इसलिये कहते हैं क्यूं कि लोग इस क्रिया को खेतों में जाकर ही निपटाते थे ।
    स्वतंत्रता दिवस पर शुभ कामनाएँ ।

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  9. सार्वजनिक जगहों पर तो जनाना और मर्दाना ही चलता है. पंजाबी में पखाना जाने को बहार जाना भी कहते हैं क्योंकि यह काम पहले बाहर ही किया जाता था (अभ भी है).गाँव में किसी के घर यह जुगाड़ कर लिया गया. एक दिन सास और उसकी बहू कहीं घर से बाहर गई तो बहू कहती मैं ने घर जाना है. सास बोली, क्यों तो बहू ने कहा मुझे बाहर आया है.

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  10. @ बलजीत बासी...
    'अन्दर' भी जाना पड़ गया 'बाहर' के वास्ते,
    'शब्दों'के इस नगर में मिले कितने रास्ते.
    खेतो का 'काम' घर में ही हो जाता है अबतो,
    आहट! पर पहले रहते थे हर दम ही खांसते!!

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  11. @ मंसूर अली
    आप तो बहार अन्दर सब काम कविता में ही कर लेते हैं और हमेशा हलके रहते हैं. आप जैसी मौज कहीं हमें भी मिलती. बलाग का सिंगार हैं आप.

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  12. @ बलजीत बासी..
    धन्यवाद बासीजी;
    " 'पतली धारा', आप को क्यूँ 'मौज' सी लगने लगी,
    'बल्गमी' अशआर पर भी दाद अब मिलने लगी !
    प्रेरणा 'शब्दों' से पा कर, 'यात्रा' में आजकल,
    थक-थकाई ये कलम अब देखिये चलने लगी !!"

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  13. 'शब्दों का सफ़र' की अगली कड़ी के इंतज़ार में 'बोर' हो कर ये लिख डाला है. 'कमेन्ट' की श्रेणी में न भी रखे तो चलेगा. 'सफ़र' और 'इंतज़ार' दोनों ही थका देने वाले काम है. सुबह का नाश्ता न मिले तो झुंझलाहट तो होती ही है ना?

    "बात हम्माम की आयी है तो फिर,
    नंगापन उसमे तलाशेंगे ज़रूर,
    "मैल" भी दूर जो करना है अगर,
    'कोई' कपड़े भी तो उतरेंगे ज़रूर!"

    note: सच्चाई को 'बेनक़ाब' करते चंद्रभूषण जी भी तो गैर हाज़िर है इस हफ्ते!

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  14. अधिकांशतः शौचालय और गुस्लखाना का प्रयोग एक ही अर्थ में करते देखा ... आज स्पष्ट हुआ दोनों में कितनी भिन्नता है...

    बहुत बहुत आभार...

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  15. लाजवाब टिप्पणियां होती हैं आपकी मंसूर साहब...
    इधर व्यस्तता कुछ ज्यादा हो गई है। बीते तीन सालों में कभी इतना अंतराल नहीं रहा सफर में। आज कोशिश करता हूं। अभी तक तो बिना इंतजार कराए नाश्ते का इंतजाम होता रहा। लगता है ये इंतजार अभी कुछ महिनों और झेलना पड़ेगा। करता हूं कुंछ इंतजाम।
    बने रहें साथ...
    सादर
    अजित

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  16. बहुत अच्छा लगा यह विश्लेषण . प्रचलित शब्दों के साथ धीरे धीरे लोग अपनी सुविधा अनुसार भी नये श्ब्दोँ का अविष्कार करते हैं > जैसे मराठी मे इस किया के लिये " परसा कडे " जाना भी कहते है मतलब खेतो की ओर जाना > हमारे छत्तीसगढ के एक ब्लॉगर मित्र सूर्यकांत गुप्ता इसे सुभीता खोली कहते हैं सुभीता अर्थात सुविधा > अंग्रेजी मे भी अब बाथरूम की जगह वाश रूम प्रचलन मे आ रहा है > अर्थ वही है जो इस उद्देशय को पूर्ण करता है ।

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