Friday, January 21, 2011

लाहोल बिला कूबत इल्ला बिल्ला...

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स्लाम के तहत ईश्वर के प्रति अपने भाव अभिव्यक्त करने के अनेक वाक्यांश हिन्दी में भी प्रचलित हैं जिनका प्रयोग हिन्दी में भी खूब होता है। एक भाषा का शब्द या मुहावरा जब दूसरी भाषा में दाखिल होता है तो उसकी अभिव्यक्ति में कुछ न कुछ फ़र्क़ ज़रूर आता है। लाहौल विला कुव्वत ऐसा ही एक वाक्यांश है जो हिन्दी में भी नाटकीय भावाभिव्यक्ति की शैली में खूब इस्तेमाल होता है। फिल्मों में, किताबों में और नाटकों में इस उक्ति का प्रयोग खूब किया जाता रहा है। ख़ासतौर पर मुस्लिम क़िरदारों के मुँह से या ऐसे हिन्दू पात्रों की ज़बानी जो उर्दू या ठेठ हिन्दुस्तानी ज़बान बोलते हैं जिस पर उर्दू-फ़ारसी का गाढ़ा रंग चढ़ा है। लाहौल विला कुव्वत को अलग अलग ढंग से हिन्दी में इस्तेमाल किया जाता है जैसे लाहोल बिला कूवत, लाहौल बिला कूवत, लाहौल बिला कूबत और लाहौल विला कुव्वत। असल में यह उक्ति या वाक्यांश अधूरा है। अरबी में इसका पूरा रूप है- ला हौल वा ला कुव्वता इल्ला बी अल्लाह। हिन्दी का ठेठ देसीपन इसमें भी घालमेल करता चलता है और इसका रूपांतर लाहोल बिला कूवत इल्ला बिल्ला हो जाता है।
रअसल यह इश्वर की प्रशंसा में कही गई उक्ति है जिसका उल्लेख कुर्आन के हदीस hadith में है। गौरतलब है कि शरीयत के चार प्रमुख स्रोतों में कुरान kuraan हदीस hadith , इज्मा ijma और कियास qiyas आते हैं। शरीयत में कुरान और हदीस को ही सर्वोपरि माना गया है। हदीस पैगंबर के वचनों का संग्रह है और कुरान में उनके हवाले से कही गई बातें लिखी हैं। बहरहाल हदीस में पैग़म्बर साहब के हवाले से इस शानदार उक्ति का कई बार उल्लेख होता है जो उन्होंने ईश्वर की प्रशंसा में कही है। मूलतः आज जिस रूप में लाहौल विला कुव्वत का उल्लेख होता है उसका इस्तेमाल उन हालात में होता है मानो कोई काम बिगड़ जाए, अच्छी भली बात बिगड़ जाए, किसी की शान के ख़िलाफ़ हिमाक़त हो जाए, बेशर्मी की हदें टूट जाएं वगैरह वग़ैरह। मिसाल के तौर पर लज़ीज़ पुलाव खाते हुए दाँतों के बीच कंकर आने पर इस उक्ति का इस्तेमाल मुमकिन है। मूलतः यह इसका सही इस्तेमाल नहीं है पर आज की भाषा में यही प्रचलित मायने है।
बसे पहले जानते हैं लाहौल विला कुव्वत अर्थात ला हौल वा ला कुव्वता इल्ला बी अल्लाह के सही मायने। मोटे तौर पर इसका भाव यही है कि ईश्वर सर्वशक्तिमान है। शब्दशः इसका अर्थ हुआ ईश्वर के सिवाए दुनिया में दूसरी कोई शक्तिमान और सामर्थ्यवान नहीं है। यहाँ कुव्वता शब्द का इस्तेमाल हुआ है जो कूवत के तौर पर रोज़मर्रा की हिन्दी के सर्वाधिक इस्तेमालशुदा शब्दो में शामिल है। कुव्वता बना है मूलरूप से अरबी के क़ाविया से जिसका अर्थ है कठोर, मज़बूत। इसका धातुरूप है q-w-y जिसका अर्थ है शक्ति देना, मज़बूती देना। इसी मूल से जन्मा है तकावी या तकाबी शब्द जो भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था का एक आम शब्द है। तकावी का मोटा मोटा अर्थ है अकाल, ग़रीबी जैसे कारणों से उबरने के लिए किसान को राज्य की ओर से मिलनेवाली मदद। भाव है उसे सामर्थ्यवान बनाना। बाद के दौर में la ilaतकावी एक कर्ज़ भी हो गई। एक राज्य में ऋण की व्यवस्था भी उसे आदर्श होने का दर्जा देती है। यह व्यवस्था भी बहुत प्राचीन है। राजा की तरह वणिकों ने भी तकावी शुरू कर दी और यह किसान के शोषण का औज़ार हो गया। बहरहाल बात कुव्वत की हो रही थी। क़ुव्वत का बहुवचन है क़ावा। स्पष्ट है कि कुव्वत यानी हिन्दी के कूवत / कूबत में सामर्थ्य का भाव विद्यमान है। हौल शब्द की विस्तृत व्याख्या किसी अन्य कड़ी में की जाएगी फ़िलहाल इतना ही कि हिन्दी के हवाला शब्द की रिश्तेदारी इससे ही है जिसमें अदला-बदली, परिवर्तन जैसे भाव हैं। कुल मिलाकर अभिप्राय यही है कि ईश्वर की मर्ज़ी के बिना कुछ नहीं हो सकता। न तो कोई चीज़ अपने आप सामर्थ्यवान हो सकती है और न ही उसका रूप बदल सकता है। इस सृष्टि में कोई भी हेर-फेर, परिवर्तन सिर्फ़ और सिर्फ़ खुदा की मर्ज़ी से ही हो सकता है।
ल्पना करें कि किसी का कोई काम बिगड़ जाता है, कुछ अनहोनी हो जाती है, जिसे होना कुछ था और हो कुछ जाता है ऐसे प्रसंगों में आमतौर पर हिन्दी की भावाभिव्यक्ति कुछ यूँ होती है- होई वही जो राम रचि राखा। ईश्वर जो करता है, अच्छा करता है। प्रभु की इच्छा के बिना पत्ता भी नहीं खड़क सकता। ईश्वर सर्वशक्तिमान है। स्पष्ट है कि लाहौल विला कुव्वत का इस्तेमाल मूल रूप से इन्हीं परिस्थितियों के मद्देनज़र होना चाहिए। मगर भाषा लगातार विकसित होती चलती है। इस्लामी शासन के दौर और शेरो-शायरी वाले सामंती समाज की यह देन रही कि नवाबों से नवाज़े गए तमाम लोग फ़ारसीदाँ बनने की होड़ में शामिल हो गए, ठीक वैसे ही जैसी होड़ बाद में अंग्रेजों के चप्पू-चापलूसों में लगी थी। अपने फ़ारसी बोलनेवाले आक़ाओं के अंदाज़ फ़ारसी की मिसालें और मुहावरे इस्तेमाल करने का शग़ल उन्हें तो रुतबा दिला गया, साथ ही हिन्दी को भी ठेठे भारतीय अंदाज़ वाली एक उक्ति मिल गई, जिसका इस्तेमाल अपने मूल से हटकर भावाभिव्यक्तियों के लिए सहायक बना। इसका फ़ायदा हिन्दीभाषियों ने ही नहीं, खाँटी उर्दूदाँ लोग भी आज तक उठा रह हैं।
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10 comments:

  1. शब्दों का सफर बहुत अच्छा लगा |बधाई

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  2. लाहोल बिला कूबत तिब्बत चीन जापान कहते है हम लोग आपस में .अर्थ आज ही जाना

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  3. हमारी भी कहाँ इतनी कूवत।

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  4. बहुत रोचक ढंग से सारी जानकारी दे देते हैं आप - प्रशंसनीय!

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  5. बहुत कूवत है इस ब्लाग में। यह आलेख प्रमाणित कर रहा है।

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  6. पढ़ दिये 'लाहौल' तो शैतान भागा दूर से,
    ये ही 'कूव्वत' देखी मूसा ने भी 'कोहे टूर' से
    'बाहू बल' कूव्वत का , पैमाना बना है इन दिनों
    और सलीबो पर चढ़े है आज भी 'मंसूर' से.

    -मंसूर अली हाशमी
    http://aatm-manthan.com

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  7. अभी हँसी भी आ रही है , और शर्म भी :) जैसे हमें शरारत करते रंगे हाथों पकड़ लिया हो , हम भी वही इल्ला बिल्ला किया करते थे , आज सही वाक्य पता चला है , शुक्रिया |

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  8. आपके हम जैसे ढेरों अपढ़ दीवाने हैं. चकित हैं आपकी खोजी नज़र और अध्ययन के.खैर यहाँ कुछ चुक हो गयी है, गर संशोधन कर लिया जाय तो बेजा न हो.
    हदीस पैगंबर के वचनों का संग्रह है और कुरान में उनके हवाले से कही गई बातें लिखी हैं . कुरान को खुदाई माना जाता है ।
    विद्वानों का मानना है कि इसमें समय समय पर मिलावट होती रही है। किसने की है मिलावट आपको ज़रा बताना था.

    अन्यथा न लिया जाय

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  9. Gazab yaar lahore bilayt quwait ka mtlb achank say mn may aaya jaan lu ar aap ka ye sb mila .....ab m logo k bich may jaankaar banungaa jb koi bolaygaa lalol vila kuwt

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  10. A random comment by my mother brought me here. lol

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