Wednesday, June 17, 2015

//बीबी और बीवी...//


हि न्दी में पत्नी के अर्थ में अक्सर 'बीबी' और 'बीवी' के बीच घालमेल है। हालाँकि भाषा का अपना संस्कार होता है जिसके तहत सावाधानी से भाषा-बर्ताव करने वाले स्त्री के लिए आदरार्थी सम्बोधन के तौर पर 'बीबी' का इस्तेमाल करते हैं जैसे बीबी परमजीत कौर अथवा चांदबीबी। दूसरी ओर 'बीवी' शब्द का इस्तेमाल अक्सर पत्नी के तौर पर होता है। कोशों में इन दोनों ही शब्दों में घालमेल है अर्थात 'बीबी' का अर्थ कुलीन स्त्री तो है ही साथ ही कुलवधु और पत्नी भी दिया गया है। उसी तरह 'बीवी' प्रविष्टि के आगे कुलीन स्त्री और पत्नी दोनो ही अर्थ बताए गए हैं। यह ठीक है कि आज से छह-सात दशक पहले यह घालमेल ठीक था। तब से अब तक न जाने कितने नए शब्दकोश सामने आ चुके हैं और पुराने कोशों के नए संस्करण निकाले जा चुके हैं किन्तु आज की हिन्दी में 'बीवी' शब्द पत्नी के अर्थ में स्थिर हो चुका है, ऐसा कोई कोश नहीं कहता जबकि बतौर कुलीन स्त्री, बीवी शब्द का प्रयोग बिरले ही कोई करता होगा। बहरहाल हिन्दी में बीवी / शब्द का प्रयोग फ़ारसी के रास्ते ही शुरु हुआ। यह जानना दिलचस्प होगा कि बीबी शब्द आया कहाँ से।

इसमें कोई दो राय नहीं कि बीबी और बीवी दोनों एक ही मूल से निकले हैं। यही नहीं दोनों की अर्थवत्ता भी एक ही थी। मूल 'बीबी' है, उसका दूसरा रूप 'बीवी' है। दोनों ही रूप फ़ारसी के ज़रिये हिन्दी में आए। फ़र्क़ इतना हुआ कि आदरार्थी स्त्रीवाची के तौर पर 'बीबी' शब्द का प्रयोग चूँकि भारत की पश्चिमी बोलियों तक ही सीमित रहा। बीबी में निहित पत्नी का अर्थ हिन्दी में व्यापक तौर पर लोकप्रिय हुआ। यही नहीं, बीबी के बीवी रूप को इस अर्थ में प्रधानता भी मिली। हालाँकि दोनों ही शब्द हिन्दी में बने रहे। बहरहाल, बीबी के मूल में जो भाव है उसमें स्नेह और प्रेम का स्पर्श है।

हिन्दी में मुहब्बत / महब्बत शब्द खूब प्रचलित है। यह अरबी से फ़ारसी होते हुए हिन्दी / उर्दू में दाख़िल हुआ। मुहब्बत के मूल में अरबी भाषा की त्रिवर्णी धातु है हा-बा-बा ب- ب-خ जिसमें बीज का भाव भी है और मित्र, प्रिय, स्नेही जैसे भाव भी हैं। अरब के रेगिस्तान में बीजों के बिखरने की क्रिया को 'हिब्बत' कहते हैं। बीज यानी 'हब्ब' और बीजों का बिखरना यानी 'हिब्बत'। एक बीज को धरती के गर्भ में स्थान मिलता है। धरती का स्नेह-स्पर्श पा कर उसमें अंकुरण होता है और बीज से हटकर धीरे-धीरे एक समूचा पृथक अस्तित्व नजर आने लगता है। जीवन का स्पंदन आकार लेने लगता है। बिना प्रेम के जीवन संभव नहीं है। यह अरबी प्रत्यय (अत) संज्ञा-सर्वनाम को क्रियारूप में बदलता है।

हिब्बत में अरबी उपसर्ग 'म' जुड़ने से बनता है महब्बत जिसे हिन्दी में मुहब्बत कहा जाता है। अरबी में मित्र को 'हबीब' कहते हैं जो इसी धातुमूल से जन्मा है। 'हबीबी' का मतलब होता है प्रियतम, सुप्रिय, प्यारा, दुलारा। महब्बत का मतलब होता है स्नेह-स्पर्श अथवा प्रेमाभिव्यक्ति। प्यार जताना। जिससे प्यार किया जाता है वह पुरुष पात्र कहलाता है महबूब और स्त्री पात्र कहलाती है महबूबा। 'हब्ब' में मित्र का भाव है इसीलिए इसका बहुवचन हुआ 'हुबूब'। इसमें 'म' उपसर्ग लगने से बनता है महबूब या महबूबा।

अरबी में पत्नी को यूँ तो ज़ौजा कहते हैं किन्तु रफ़ीक़ा शब्द भी है जबकि रफ़ीक़ का अर्थ होता है मित्र। स्वाभाविक है मित्र अगर प्रिय है तो प्रियतमा भी हो सकती है। इस नज़रिये से पत्नी के अर्थ में अरबी, फ़ारसी में बीबी शब्द भी प्रचलित है। हबीबा का अर्थ होता है मित्र, मित्रवत। मुमकिन है हबीबा / हबीबी का ही संक्षिप्त रूप बीबी है जिसका एक रूप बीवी ज्यादा प्रचलित हुआ जिसका अर्थ है पत्नी जबकि बीबी आमतौर पर भद्र महिला के लिए सम्बोधन है। हब्बाखातून पर गौर करें। बीबी फात्मा, बीबी नाजरा, बीबी अख़्तरी जैसे नामों पर ध्यान दें। ये सम्बोधन समाज के दिए हुए हैं। इनमें पत्नी का भाव नहीं। अलबत्ता सामान्य तौर पर बीवी लिखने के स्थान पर पत्नी के लिए बीबी भी लिख दिया जाता है। अच्छी हिन्दी लिखने वालों को इस ग़लती से बचना चाहिए और पत्नी के लिए बीवी वर्तनी का प्रयोग ही करना चाहिए।
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