Friday, September 16, 2016

हनक यानी उन्माद

त्तर प्रदेश और बिहार में 'हनक' शब्द बहुत प्रचलित है। मध्यप्रदेश में इसका बर्ताव नहीं के बराबर है। बाकी बिहार के अरवल से हरियाणा के पलवल तक इसका प्रसार है। 'हनक' का प्रयोग इन इलाकों में आमतौर पर ठसक, हेकड़ी, गर्व, अकड़, अभिमान, दर्प या मद का भाव है। मूल रूप से यह अरबी ज़बान का शब्द है और फ़ारसी के रास्ते हिन्दी में आया है। यह सेमिटिक धातु हा-नून-क़ाफ़ ح نِ ق से बना है जिसमें तेज़ी, तमक, तर्रारी, तैश, रुआब के साथ-साथ रोष, दुश्मनी, उग्रता, आगबबूला या प्रतिशोध जैसे आशय भी हैं। अक्सर अख़बारों में सियासत की गर्मी का बखान करनेवाले सन्दर्भों में इसका प्रयोग देखने को मिलता है। कुर्सी की हनक, सत्ता की हनक, वर्दी की हनक, राजनीति की हनक आदि। इससे हनकी शब्द भी बनता है जिसका अर्थ है गुस्सैल, नाराज़, क्रोधी, प्रतिशोधी, उन्मादी या पागल आदि। किन्तु यह शब्द चलन में नहीं है। गौर करें हनक में मूलतः उग्रता का भाव है और उग्रता एक किस्म की ‘अति’ है जिसे समझदारों ने वर्जित माना है। सत्ता उन्मादी बनाती है। रुआब जब अपने ज़ोर पर होता है तब उन्माद की शक्ल अख़्तियार करता है।

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4 comments:

  1. 'हनकी' बढ़िया शब्द दिया आपने...प्रयोग करना पड़ेगा.

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (18-09-2016) को "मा फलेषु कदाचन्" (चर्चा अंक-2469) पर भी होगी।
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. बहुत अच्छा लिखते हैं आप,हनक शब्द की खुल कर और खोल कर व्याख्या की है आपने अपने लेख में।शानदार है आपके विचार और आपका लेखन कौशल भी।बहुत बढ़िया सर जी.....

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  4. टर्की की भाषा में कई शब्द ऐसे है जो हमारी प्रचलित भाषा के शब्दो से मिलते-जुलते है,इसके बारे में जिज्ञासा है.

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