... पेज page शब्द प्राचीन भारोपीय धातु pag से बना है जिसमें जमाना, जकड़ना, स्थिर करना जैसे भाव हैं।...
कि सी भी ग्रंथ की मोटाई उसमें समाए पृष्ठों की संख्या से बढ़ती है। ग्रंथ के पृष्ठ का आकार तो तय होता है अतः किसी भी पृष्ठ में समानेवाले शब्दों की संख्या तयशुदा रहती है। उससे ज्यादा शब्द उस पर लिखे नहीं जा सकते। मगर पृष्ठ संख्या के आधार पर पुस्तक का आकार घट बढ़ सकता है। दरअसल कोई भी पुस्तक कई पृष्ठों का समुच्चय ही होती है, इस तरह पृष्ठ को पुस्तक की भौतिक इकाई माना जा सकता है।
पृष्ठ के लिए सर्वाधिक प्रचलित शब्द पेज है। पेज पलटना, पेज उलटना जैसे वाक्य रोज इस्तेमाल करते हैं। पढ़ने में दिलचस्पी रखनेवाले व्यक्ति या दिलचस्प पठनीय सामग्री के संदर्भ में पेज चाटना जैसे मुहावरेदार वाक्य प्रयोग भी होते हैं। यूं किताबी कीड़ा तो दीमक होती है मगर उसका भौतिक आहार काग़ज होता है और पढ़ाकू महाराज की दिमागी खुराक काग़ज़ पर छपे अक्षर होते हैं। पेज शब्द यूं तो अंग्रेजी का है मगर यह अब हिन्दी में रच-बस गया है। और तो और उर्दू में पेज दर पेज जैसे प्रयोग भी बरसों से हो रह हैं। भारोपीय भाषा परिवार के इस शब्द की रिश्तेदारी जकड़न, पकड़, बंधन जैसे भावों से है। गौर करें कि ग्रंथ की शक्ल में की पृष्ठ एक सूत्र में बंधे रहते हैं, जुड़े रहते हैं। अंग्रेजी का पेज page शब्द प्राचीन भारोपीय धातु pag से बना है जिसमें जमाना, जकड़ना, स्थिर करना जैसे भाव हैं। इससे लैटिन में पैजिना pagina शब्द बना है जिसका अर्थ होता है पृष्ठ अथवा एक दूसरे से कस कर बांधे गए काग़ज़। पुरानी फ्रैंच में पैजिन होते हुए इसने फ्रैंच और अंग्रेजी में पेज का रूप लिया।
अंग्रेजी राज में पेज शब्द भारतीय भाषाओं दाखिल होना शुरू हुआ और शिक्षा के प्रसार के साथ साथ यह पृष्ठ का सबसे सशक्त विकल्प बन गया। संस्कृत में एक शब्द है पाश: जिसका अर्थ है फंदा, डोरी, श्रृंखला, बेड़ी वगैरह। इसीलिए पाश का एक अर्थ रस्सी, या रज्जु भी है जिससे जानवरों को बांधा जाता है। बंधनकारी भाव ने ही चौपायों के लिए पाश से पशु शब्द की रचना की। पेज से जुड़ी बंधन वाली शब्दावली की इससे रिश्तेदारी स्पष्ट है। बंधन, संधि, अनुबंध के अर्थ में अंग्रेजी का पैक्ट pact भी इसी क्रम मे आता है। पेज के लिए पृष्ठ शब्द भी खूब इस्तेमाल होता है यह बना है संस्कृत के पृष्ठम् से जिसमें सतह, ऊपरी हिस्सा अथवा पिछला हिस्सा शामिल है। पृष्ठ शब्द से ही पीठ शब्द भी बना है जिसे शरीर की पिछली सतह कहा जा सकता है। यूं पृष्ठ शब्द में मूलतः सतह का ही भाव प्रमुख है। काग़ज़ की सतह के अर्थ में पृष्ठ का यही अर्थ है। बाद में इसके साथ पश्च अर्थात पीछे वाला भाव प्रमुख हो गया और नेपथ्य के अर्थ में पृष्ठभूमि, पृष्ठभाग जैसे शब्द भी इससे बनें। पेज के लिए पन्ना शब्द भी खूब प्रचलित है। गौरतलब है कि प्राचीनकाल से लेखन सामग्री के लिए मनुष्य वनस्पति पर ही निर्भर रहा है।
आमतौर पर पेड़ों की छाल या वृक्षों के पत्तों पर ही लेखनकार्य होता रहा। पन्ना panna साबित करता है। संस्कृत के पर्णम् से इसकी उत्पत्ति हुई है। पर्णम् > पण्णअ > पण्णआ > पन्ना यही क्रम रहा है पन्ना बनने का। इसी तरह चिट्ठी के लिए पत्र शब्द के पीछे भी वनस्पतिजगत का पत्रम्-पुष्पम् वाला पत्र ही है। पत्तर, पत्तल जैसे शब्द भी इससे ही बने हैं। मुखशुद्धि के लिए समूचे भारतीय उपमहाद्वीप में खाया जाना वाला पान इसी पर्णम् की देन है। पान pan प से पत्ता होना इसके पान होने में कोई संशय नही होने देता।
यूं तो उर्दू में भी पेज के लिए पन्ना शब्द खूब प्रचलित है मगर टकसाली उर्दू में अरबी -फारसी का वरक़ varaq समाया हुआ है। वरक़ मूल रूप से इंडो-ईरानी परिवार का शब्द है। संस्कृत में इसका रूप है वल्कः अर्थात वृक्ष की छाल जो बना है वल् धातु से जिसमें है ढकने का भाव । अवेस्ता में इसका रूप है वराका varaka और अरबी में यह varaq हो जाता है। फारसी में इसका रूप है बर्ग़ यानी पत्ता। वरक़ शब्द का प्रयोग सोने-चांदी की के महीन पत्तरों के लिए भी होता है जो मिठाईयों की सजावट के काम आते हैं। गौर करें की ताड़पत्र, भोजपत्र जैसे शब्दों से पत्तों का ही आभास होता है मगर ये मूलतः वृक्षों की छाल ही हैं। पेपर भी एक वनस्पति की भीतरी छाल से ही बना है। संस्कृत के पत्रम् में भी सतह का भाव प्रमुख है। वल्कः अर्थात वृक्ष की छाल पर गौर करें, यह मूलतः वृक्ष के तने का बाहरी आवरण है यानी उसे ढंक कर रखता है। वल् के आवरण वाले अर्थ में कुछ और शब्द भी स्पष्ट हो रहे हैं। दीमकों के घर को बामी अर्थात वल्मीकः कहा जाता है जो मिट्टी से बना होता है। यह बना है वल्मी से जिसका अर्थ है दीमक, चींटी। एक प्रसिद्ध पौराणिक ऋषि की घोर दीर्घकालीन तपस्या के चलते दीमकों ने उनके इर्द-गिर्द अपनी बामियां बना लीं और इस तरह विशाल मिट्टी का आवरण वल्मीकः उन पर चढ़ गया। ये ऋषि इसी वजह से वाल्मीकि कहलाए। आजकल पढ़ाकुओं को किताबी कीड़ा कहने का रिवाज़ है।
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शब्दों का सफर अब किताबों के पन्नों तक आ पँहुँचा है।
ReplyDeleteआपने इसे मंजिल तक पहुँचा दिया है।
बधाई।
आज तो सुबह सुबह सबसे पहला ब्लॉग पेज यही पढ़ रहा हूँ । पेज से जुड़ी इन बातों के लिये धन्यवाद ।
ReplyDeleteपकार की धूम है जी, सारे महत्वपूर्ण और प्राचीन शब्द एक दूसरे के बंधु हैं।
ReplyDeleteपेज पर भी आपने एक पेज की अमूल्य जानकारी दी , वाह ये सफ़र ऐसे ही चलता रहे .
ReplyDeleteAjit sa
ReplyDeleteNamaskar
page dar page jankari ke liye bahut shikriya.
kiran
बहुत बढिया जानकारी दी आपने.
ReplyDeleteरामराम.
पेज दर पेज पढ़ते पढ़ते पेज के बारे मे भी पढ़वा दिया आपने .
ReplyDeleteपेज और पर्ण सम्बन्धित हैं तो पण भी सम्बन्धित होगा आधुनिक सन्दर्भ में। पण/पण्य (पैसे) का आधुनिक रूप नोट पेज से ही बना है।
ReplyDeleteदादा ने मेरे बडे बेटे का नामकरण किया - वल्कल। नाम अनूठा था सो हर कोई उसका अर्थ पूछता। परिणामस्वरूप, मेरे परिचय क्षेत्र में 'वल्क' का अर्थ जानने वालों की संख्या अच्छी-भली है।
ReplyDeleteवरक के माने
ReplyDeleteइस तरह तो हम
आज ही जान पाए.
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आभार
डॉ.चन्द्रकुमार जैन
अजीत जी ..पेज पृष्ट पत्र..वल्क जैसे शब्द हम राज्मर्रा की जिन्दगी में बहुता यात उपयोग करतें हैं ...आप का शोध महत्व पूर्ण है ...एक पुस्तक आजाये तो ...हम जैसे लिखने वालों के लिए बहुउपयोगी सिद्ध होगी ...
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