
शताब्दी का अर्थ सभी जानते है मगर संस्कृत के इस शब्द का फारसी के आबादी लफ्ज के साथ बड़ा गहरा रिश्ता है। शताब्दी बना है संस्कृत के शत्+अब्दः से मिलकर । शत् यानी सौ और अब्दः यानी बादल-मेघ। सदियों पहले से ही कालगणना के लिए लोगों ने ऋतुओं को ही आधार बनाया। जैसे एक साल की अवधि के लिए वर्ष शब्द वर्षा से बना। अर्थात् दो बरसातों के बीच की अवधि। इसी तरह अब्द यानी मेघ शब्द ने भी संस्कृत में एक वर्ष की अवधि का अर्थ ग्रहण कर लिया लिहाज़ा शताब्दी का अर्थ हो गया सौ बरस। मगर इसका आबादी से रिश्ता कैसे जुड़ा ? संस्कृत में पानी के लिए एक शब्द है अप् । संस्कृत में द वर्ण का अर्थ है कुछ देना या उत्पादन करना । चूंकि पृथ्वी पर पानी बादल लेकर आते हैं इसलिए अप् + द मिलकर बना अब्द यानी पानी देने वाला। इस अप् या अब्द से इंडो-इरानी भाषा परिवार में कई रूप नज़र आते हैं। पानी के अर्थ वाला संस्कृत का अप् फारसी में आब बनकर मौजूद है । हिन्दी उर्दू में जलवायु के अर्थ में अक्सर आबोहवा शब्द का भी इस्तेमाल किया जाता है । यही नहीं जो अप् बादल के अर्थ में संस्कृत में अब्द बना हुआ है वही फारसी मे अब्र की शक्ल में हाजिर है। एक शेर देखिये -
दो पल बरस के अब्र ने , दरिया का रुख किया
तपती ज़मीं से पहरों निकलती रही भड़ास

फारसी का आबरू (इज्ज़त) लफ्ज और आबजू ( नहर, नदी या चश्मा ) शब्द भी इससे ही निकले हैं। गौरतलब है कि फारसी के आबजू की तरह संस्कृत में भी अब्जः शब्द है जिसका मतलब पानी का या पानी से उत्पन्न होता है।
बसावट के अर्थ में हिन्दी-उर्दू-फारसी में आम शब्द है आबाद या आबादी। इसका मतलब जनसंख्या या ऐसी ज़मीन है जिसे जोता और सींचा जाता है। सिंचाई के लिए पानी ज़रूरी है । ज़ाहिर है आबाद या आबादी वहीं है जहां पानी है। इसे यूं समझा जा सकता है कि जहां आब है वही जगह आबाद होगी।
देखिए, कैसे शब्द अर्थ खुलते हैं. आबरू और पानी कई मुहावरों में पर्यायवाची हो गए हैं, मसलन, आबरू उतारना और पानी उतारना में कोई फ़र्क़ नहीं है.
ReplyDeleteधन्यवाद, जारी रहे शब्द संधान, पढ़ने वाले बहुत हैं, कुछ तो बहुत ग़ौर से पढ़ते हैं, यथा मैं स्वयं.
आप को ध्यान होगा पहले वार्षिकी नहीं अब्द कोश निकला करते थे। हमारी तरफ खेतों की सिंचाई के बदले जो शुल्क सरकार के खाते में जाता है उसको आपासी कहते हैं।
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