Tuesday, October 30, 2007

फ़िराक़ गोरखपुरी साहब के चंद दोहे

नया घाव है प्रेम का जो चमके दिन रात ।
होनहार बिरवान के चिकने चिकने पात।।



जग के आँसू बन गए निज नयनों के नीर ।
अब तो अपनी पीर भी, जैसे पराई पीर।।


कलाकार को चाहिए ,केवल तेरा ध्यान।
कविता का उपहार है , एक मृदुल मुस्कान ।।


निर्धन-निर्बल के लिए ,धन-बल का क्या काम।
निर्धन के धन राम हैं, निर्धन के बल राम ।।


पिया दरस हो जाएगा, सुन मेरे दो बोल।
सर की आंखें बंद कर , मन की आंखें खोल।।





13 comments:

  1. क्या बात है..सरल भाषा में कितनी गहरी बार कह दी इन दोहों में फिराक ने।

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  2. फ़िराक़ साहब की नुक़्ताचीनी करने की औक़ात नहीं मेरी पर एहतियातन एक बार नीचे लिखे दोहे को जाँच लीजियेगा ...मीटर थोड़ा गड़बड़ लग रहा है..
    कहीं टाइप करने में तो त्रुटी नहीं...
    जग के आँसू बन गए निज नयनों के नीर ।
    अब तो अपनी पीर भी, जैसे पराई पीर।।
    दूसरी पंक्ति यूँ तो नहीं....
    अब तो अपनी पीर भी,हुई पराई पीर.

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  3. जग के आँसू बन गए निज नयनों के नीर ।
    अब तो अपनी पीर भी, जैसे पराई पीर।।

    वाह्!!! बहुत सुन्दर

    कहते है सब तो यहा अपनी अपनी पीर
    कौन सुने है अब यहा औरो की धर धीर

    देवी नगरानी

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  4. दोहे हैं फिराक के, हम सुनते दे ध्यान
    हर पंक्ति के साथ में, बढ़ता जाये ज्ञान.

    अजित बाबू कर रहे, साधुवाद का काम,
    हमरी ओर से आपजी, स्वीकारो परनाम.

    टिप्पणी देकर जा रहे, और पड़े हैं काम
    फिर आयेंगे देखने, हर दिन सुबहो शाम.

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  5. आपको धन्यवाद इस प्रस्तुति के लिये.

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  6. शुक्रिया इस सुंदर प्रस्तुति के लिए!!

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  7. क्या बात है भाई
    बहुत रस भरी बातें हैं इन दोहों में ....आनन्दआया..

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  8. रघुपति सहाय का जलवा देखा फ़िर आज
    दोहे से कविता करैं श्री समीर कविराज

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  9. एक अच्छी और खूबसूरत प्रस्तुति के लिए आपको धन्यवाद.फिराक साहब के दोहे पढ़ कर आनंद आया.

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  10. बहुत बढिया, देखन में छोटे लगें-घाव करें गंभीर जैसा कुछ है इन दोहों में।

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  11. आपके कारण हम भी इन दोहों को पढ़ गए। सचमुच कितने सरल शब्‍दों का प्रयोग किया है और कितनी बड़ी बात कह गए हैं। वाह! वाह ! - आनंद

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  12. फिराक़ साहब की निखालिस उर्दू रचनाएं कई जगह बेहद कठिन भी हैं। मगर जहां तक इन दोहों की बात है इनकी आसान भाषा और भाव प्रवणता के चलते ये सीधे दिल में उतर जाते हैं।
    मनीशजी, समीरजी, संजयजी, देवीजी, काकेशजी , बालकिशनजी, आनंदजी, दीपाजी , संजीतजी,आपको ये पोस्ट पसंद आई इसका शुक्रिया....

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  13. अच्छे हैं। पढ़वाने के लिये शुक्रिया।

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