Wednesday, May 7, 2008

मुसाफ़िर जाएगा कहां !


या त्रा के लिए सफ़र शब्द हिन्दी में खूब इस्तेमाल होता है। उर्दू फारसी के जरिये हिन्दी में आए सफ़र का घर तो अरबी ज़बान है मगर इसकी पैदाइश अनिश्चित है। भाषाशास्त्रियों की राय में इस शब्द का जन्म सेमिटिक मूल की धातु सपर से माना जाता है जिसका मतलब होता है यात्रा , प्रयाण, जाना, संदेश भेजना आदि। इसी धातु से बना अरबी भाषा का सफ़र जिसमें सिर्फ यात्रा , पर्यटन, देशाटन जैसे अर्थ रह गए। इसी से बना यात्री के लिए मुसाफिर जैसा शब्द । इसमें हम उपसर्ग लगने से बन गया हमसफ़र ठीक वैसे ही जैसे यात्री में सह उपसर्ग लगने से बन जाता है सहयात्री। ‘यात्रा के लिए’ वाले अर्थ में ई प्रत्यय लगने से बना सफ़री जैसा शब्द जैसे सफ़री झोला।

रिधानों की अगर बात करें तो एक खास पोशाक याद आती है सफ़ारी सूट । अब यात्रा के लिए भी परिधान तो ज़रूरी होते ही हैं मगर खास तौर पर एक पोशाक के साथ ही सफ़र शब्द जुड़ जाने के क्या मायने हुए ? दरअसल सफ़ारी सूट बना है सफ़ारी शब्द से। इथोपिया जैसे देश में जब सफ़र पहुंचा तो उसका रूप हुआ सफ़ारा और स्वाहिली ज़बान में भी यह पहुंचा जहां इसका मतलब थोड़ा सिकुड़ कर सिर्फ शिकार यात्रा तक सीमित हो गया। अफ्रीका में जब अंग्रेजो का उपनिवेशन हुआ तब इसी सफ़ारा का थोडा अर्थ विस्तार हुआ और यह रोमांचक मुहिम, पर्यटन, खोज-यात्रा अथवा अभियान के अर्थ में प्रचलित हो गया और इसका रूप बदल कर अंग्रेजी में हो गया सफ़ारी।

बाद में तो अभयारण्य के लिए या संरक्षित वन्यप्राणी क्षेत्र के लिए भी सफ़ारी शब्द सीमित हो गया। अब अंग्रेज लोग ठहरे साहब बहादुर ! सो जब सफ़ारी पर निकलेंगे तो खास पोशाक होनी भी ज़रूरी है जो हर तरह से मुफीद हो । यानी उसमें खूब सारी जेबें हों, ढीली ढाली हो, जंगल की थकानेवाली यात्रा के अनुकूल हो वगैरह वगैरह। सो ऐसी पोशाक जब ईज़ाद कर ली गई तो उसे नाम दिया गया सफ़ारी सूट। भारत में पहले तो इसे आभिजात्य वर्ग के लोगों की पोशाक माना गया और अब तो सिर्फ मोटे तुंदियल लोगों के लिए काफी मुफीद साबित हो रही है। अठारहवीं सदी में अफ्रीका में कई ब्रिटिश उपनिवेश थे।

फ्रीकी जंगलों में ब्रिटिश अफ़सर अक्सर शिकार के लिए बुश सफारी पर निकलते थे। इस बहाने उनका सर्वेक्षण भी चलता रहता और एडवेंचर भी।बुश शब्द का मतलब होता है एक खास किस्म का वृक्ष जिसकी लकड़ी से कलाकृतियां भी बनाई जाती हैं और उसे जलाने के काम में भी लाया जाता है। आस्ट्रेलिया में बुश पेड़ भी होते हैं और झाड़ी भी। बुश शब्द पुरानी फ्रैंच में busche लैटिन में busca और इतालवी में bosco के रूप में मौजूद है। अंग्रेजी में इसका रूप bush है।

ब आते है सफ़र की दूसरी व्युत्पत्तियों पर । अरबी में एक शब्द है सफ्फा जिसका मतलब है कतार, पंक्ति। इसका एक अर्थ पैगंबर साहब के घर का आंगन या बरामदा भी है जहां उनसे ज्ञानचर्चा करने के लिए विद्वान जुटते थे । इसी तरह सलाह लेने आनेवाले भी वहां कतार लगाकर बैठते थे। इन लोगों को ही सूफी कहा गया। कतार या पंक्ति पर गौर करें तो न सिर्फ लंबाई का बोध होता है बल्कि एक सीध या सरलता का भी बोध होता है। हिन्दी उर्दू और फारसी का प्रचलित शब्द सफर भी इसी कड़ी में आता है। सामान्य अर्थ में सफर यात्रा है मगर यूं देखें तो सफर भी एक कतार है। पहले यात्रा अथवा पर्यटन समूह में हुआ करती थीं जिन्हें काफिला कहते थे। ये काफिले दरअसल कतार ही होते थे। दरअसल सफर शुरू से ज्ञान का ज़रिया रहा है। सूफी भी कहां एक जगह बैठते हैं ? और अगर बैठे भी हों तो भी तो निरंतर ज्ञान की अंतर्यात्रा जारी रहती है !मुसाफ़िर जाएगा कहा ?[ विस्तार से देखें यहां ]

कुछ लोगों का मानना है कि सफ़र अरबी धातु सिफ्र से बना है जिसका मतलब होता है शून्य। अग्रेजी का सिफ़र इससे ही बना है। दरअसल इस्लामी परंपरा में एक महिने का नाम ही होता है सफ़र । कहा जाता है कि इस्लाम से भी प्राचीनकाल में अरब लोग इस महिने में रोज़गार के लिए अपनी बस्तियों, घरों को सूना यानी खाली छोड़कर यात्रा पर निकलते थे इसीलिए सिफ्र से बने सफ़र में यात्रा का अर्थ समाहित हो गया ।
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2 comments:

  1. सफर-सफारा-सफारी, ज्ञानवर्धन का बहुत आभार.

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  2. इस सफ़र के मुसाफ़िर आख़िर जाएँगे कहाँ ?
    लौटकर यहीं आएँगे..... इसी ठौर पर !
    यही तो वह सफ्फा है जहाँ
    सूफ़ियाना अंदाज़ में खुलता है
    फ़लसफा शब्दों-भावों-विचारों का !
    कभी बकलम रह्बर तो कभी बकलम राही !!
    =============================
    आभार आपका इस बार भी
    इस हमसफ़र की तरफ से.
    डा चंद्रकुमार जैन

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