धूसर, धब्बेदार या रंग बिरंगे के अर्थ में हिन्दी में आमतौर पर
चितकबरा शब्द प्रयोग किया जाता है। पालतू प्राणियों की पहचान के लिए भी आमतौर पर चितकबरा शब्द चलता है जैसे चितकबरी बिल्ली, चितकबरा कुत्ता या गाय आदि।
चितकबरा का मतलब सामान्यतः रंगीन ही होता है मगर कुछ लक्षणों के आधार पर धूसर या काला-सफेद-धूसर के तौर पर ही लोग इसे याद करते हैं। रंगीन के लिए ज्यादातर तो बहुरंगी या रंग-बिरंगा जैसे शब्द ही बोले-समझे जाते हैं। वैसे चितकबरा का एक आम लक्षण तो है धब्बेदार होना। गौर करें
चित्र शब्द पर। यह बना है संस्कृत के
चित्र् से जिसका मतलब होता है उज्जवल, धवल, रुचिकर, रंग-बिरंगा, तसवीर, छवि आदि। धब्बे से इसका अर्थविस्तार हुआ और व्हाइट स्पॉट ( सफेद कोढ) के लिए भी
चित्रः शब्द संस्कृत में मिलता है। आसमान को भी चित्र कहा जाता है क्योंकि इसमें या तो धब्बेदार बादल नज़र आते हैं या बादलों से बनी आकृतियां दिखती है। धब्बे के लिए हिन्दी में
चित्ता शब्द है और धब्बेवाली वस्तुओं को
चित्तीदार कहा जाता है। संस्कृत में एक शब्द है
चित्रकः अर्थात एक ऐसा चौपाया जिसके शरीर पर धब्बेनुमा चित्र बने हैं। जाहिर सी बात है कि बिल्ली और शेर का रिश्तेदार चीता ही इस परिभाषा में फिट बैठ रहा है क्योंकि उसका नामकरण हुआ ही
चित्रकः से है। चितकबरा का अगला हिस्सा भी संस्कृत के
कर्बु से बना है जिसका मतलब हुआ चित्तीदार। इससे बने
कर्बुर मतलब होता है चित्र-विचित्र रंग, सफेद-भूरा सा आदि। बहरहाल
चित्र+कर्बुर से बने चितकबरा शब्द जितना लुभावना दरअसल है वैसा समझा नहीं जाता।
नाज़नीनों की तिरछी
चितवन के दीवानों को अक्सर कुछ उपहार भी मिल जाते हैं जिन्हें बजाय संभाल कर रखने के , वे उन्हें भुला देना ही पसंद करते हैं। ये होता है थप्पड़ या चांटा । अब ये तो उम्र तक़ाज़ा है और नज़रों की इनायत कि कोई देखता कहीं है और उसे देखते हुए देखने वाले कभी थप्पड़-चांटे खा रहे होते हैं , तो कभी चारों खाने चित्त हो रहे होते हैं ।
चित्त, चित, चिंत, चित्र आदि शब्द श्रंखला में ही आता है
चितवन जैसा एक और शब्द। यह बना है संस्कृत के चित् से जिसमें देखा हुआ,

प्रत्यक्ष ज्ञान, नज़र डालना, दृष्टिगोचर करना जैसे अर्थ इसमें समाहित हैं और चित में निहित संचित, संग्रह किया हुआ, इकट्ठा किया हुआ (जिससे
चिता शब्द बना है) भाव भी शामिल है। गौर करें कि चितवन में पैनी , लुभावनी, चंचल नज़र तो शामिल है ही साथ ही इसमें कनखी का भाव भी है जिसमें एक पल में दुनिया को समेट लेने का , जिसे देखना चाहें उसे दिल में बसा लेने का , चुन लेने का अर्थ भी उजागर हो रहा है।
सवाल है कि ये चितवन कैसे अपना काम करती है ? अब दुनिया में रंगभेद को चाहे आलोचना सहनी पड़ती हो मगर इश्क में रंगभेद नहीं होता। कभी ये सांवले-सलोने पर काम करती है तो कभी गोरे-चिट्टे पर। हमें सांवला-सलोना भी समझ में आता है और गोरा भी। मगर ये
चिट्टा क्या है ? ये
चिट्टा भी इसी कड़ी में आता है और चित्र् से ही जन्मा है ।
चित्र् में निहित उज्जवल, धवल जैसे शब्द गोरा-चिट्टा के अर्थ को भरपूर आधार प्रदान कर रहे हैं।
चितवन का अर्थ कटाक्ष भी होता है और तिरछी नजरिया भी। इसे ही तिरछी चितवन कहते हैं। चित्ताकर्षक प्रेमी के लिए
चितचोर शब्द भी इसी श्रंखला से बंधा है। पारखी और कद्रदां के अर्थ में
चितेरा-चितेरी जैसे शब्दों की भी इनसे रिश्तेदारी है। मगर जब परख में कुछ खोट नज़र आता है तो उसकी परिणति
चांटे यानी थप्पड़ के रूप में ही होती है। गौर करें चित्र् का अर्थ होता है धब्बा। जब गाल पर थप्पड़ पड़ता है तो अंगुलियों के निशान उभर आते हैं। संभव है इसी लिए उसे
चांटा कहा जाता है।
चांटा का उदगम रोचक लग रहा है. :)
ReplyDeleteबहुत आभार ज्ञानवर्धन के लिए..
हमारे यहाँ तो चितेरा चितेरी चित्र बनाने वालों को कहा जाता है।
ReplyDeleteYe safar bhee rochak raha
ReplyDeleteChitkabra shabd bada khaas hai -
aur Chitwan bhee --
Chtpawan bhee Sur name sunee hai .
Rgds,
L
तो चांटे का चित्रक से सम्बन्ध है. हम तो समझते थे कि जो चींटे के चाटने सा चुभे, वो चांटा.
ReplyDeleteमगर जब परख में कुछ खोट नज़र आता है तो उसकी परिणति चांटे यानी थप्पड़ के रूप में ही होती है। ================================
ReplyDeleteकाबिले गौर है मित्रों !
अजित जी की इस पोस्ट की
परख में कोई खोट न रह जाए.
सावधानी ज़रूरी है.==========
...और हाँ, अजित जी !
चितवन और चांटे के अंतरसंबंध
पर आपकी पारदर्शी जानकारी के मद्देनज़र
ये 'रिस्क-फ्री' शे'र याद आ गया -
नज़र से नज़र ने मुलाक़ात कर ली
रहे दूर दोनों मगर बात कर ली
==========================
बहुत रोचक है आज का यह पड़ाव भी.
बहुत...बहुत शुक्रिया.
डा.चंद्रकुमार जैन
बहुत खूब!
ReplyDeleteबहुत ही रोचक जानकारी के लिए आभार.
ReplyDeleteवाह ,मगर जब परख में कुछ खोट नज़र आता है तो उसकी परिणति चांटे यानी थप्पड़ के रूप में ही होती है। , आज की पोस्ट बड़ी रोचक व ज्ञानवर्घक लगी। आभार...... ।
ReplyDeletebahut rochak jaankaari....chitera, chitchor, chitri,,chitvan aur uske saath chante ka jikr to aur bbi rochka ban gaya :)
ReplyDelete