Friday, June 13, 2008

ख़ानाख़राब है...

चारों खाने चित्त वाले मुहावरे में आए चारों खाने वाले हिस्से का जहां तक सवाल है, इसे समझना बेहद आसान है। धरती पर पड़े किसी परास्त व्यक्ति की मुद्रा पर गौर करें तो उसके हाथ-पैर चारों दिशाओं में फैले रहते हैं। हालांकि कई लोग इसका चार शाने चित्त गिरना भी प्रयोग भी करते हैं। हिन्दी के शब्दकोशों में इसका यह रूप भी देखने को मिलता है मगर इसकी व्याख्या नहीं मिलती। आज जो लोकप्रिय प्रयोग चलन में है वह चारों खाने चित्त नज़र आता है।

ख़ाना शब्द यूं तो फारसी का है जिसका मतलब होता है घर, निवास, मकान आदि। दीवार या आलमारी का आला या स्थान, कोटर, संदूक या बक्से का विभाग या कोष्ठ। चारदीवारी से घिरे स्थान को भी ख़ाना कहा जाता है। क़ैदख़ाना , बजाजख़ाना,नक्क़ारख़ाना जैसे कई शब्द हमें याद आ सकते हैं। बर्बादी के अर्थ मे ख़ानाख़राब जैसा आमफ़हम मुहावरा भी इसी शब्द की देन है। इस तरह अगर देखें तो चौखाना शब्द भी नज़र आता है। ज्योतिषीय रेखाओं और पंचांग के वर्गाकारों, षट्कोणों को भी ख़ाना ही कहा जाता है। गौर करें कि चौपड़ भी चौखानों का ही खेल है और जब गोटी किसी दूसरे के वर्ग में पहुंचती है तो उसे भी घर ही कहा जाता है। यह ख़ाना शब्द भी मूलतः इंडो-ईरानी परिवार का ही शब्द है। संस्कृत में इससे मिलता-जुलता शब्द है कोणः जिसका मतलब होता है कोना जो इसी मूल से बना है, एक दूसरे को काटनेवाली रेखाओं के बीच का झुकाव या स्थान अथवा वृत्त के बीच का स्थान अर्थात घिरा हुआ स्थान। गौर करें कि अखाड़ा भी एक घिरा हुआ स्थान ही है और उसके भी चार कोने होते है।

खाना या कोणः मूलत रूप से इस भाषा परिवार की उसी धातु में निहित अर्थों की ओर इशारा कर रहे हैं जिनमें घिरे हुए स्थान, असमानता जैसे पहाडी क्षेत्र, वक्रता ( टहनियों को मोड़कर ही अस्थाई घर बनाया जाता है ) आदि का भाव आता है जो अंततः घर से जुड़ता है। कुट् धातु में यही सारे भाव समाहित हैं जिनसे कुटिया, कोटर, कुटीर, कोट यानी दुर्ग , कुटज यानी मटका या घड़ा आदि शब्द बने हैं जो घर या निवास और अंततः घिरे हुए स्थान का बोध ही कराते हैं चाहे वह पहाड़ी कंदरा ही क्यों न हो। फारसी के कोह शब्द पर गौर करें जिसका मतलब भी पहाड़ ही होता है और इस संदर्भ में कोहिनूर को भी याद कर लें। [विस्तार से देखें यहां]

मगर विभिन्न स्रोतों से पता चलता है कि इस कहावत का मूल फ़ारसी है। इसीलिए इसमें चारों शाने चित का प्रयोग सही है। हालाँकि चारों खाने चित में भी वही भाव है जो शाने में है। फारसी मे एक शब्द है चारशानः जिसका मतलब होता है मोटा ताजा, बड़े डील डौल का पहलवान आदि। मगर इस मुहावरे के अखाड़ेवाले संदर्भ में तो यह सही बैठ रहा है मगर मतलब तब भी नहीं निकल पा रहा है। दरअसल 'शाने' में दिशा, ओर, भुजा जैसे आशय हैं। यह बना है पहलवी के शानग से जिसमें तरफ़, दिशा, डैना, पंख जैसे आशय हैं। मुहावरे में इसका अर्थ हुआ चारों दिशा में फैला हुआ। चारों भुजाओं के साथ अर्थात दोनों पैर, दोनो हाथों को फैलाए हुए, छितराए हुए पीठ के बल पड़ा हुआ। खाने में भी चार दिशाओं या खोण का आशय है। हमारे हिसाब से तो चारों खाने या चारों शाने का मतलब चार दिशाएं यानी अखाड़े के चारों कोने या एक घिरे हुए स्थान यानी रिंग में चित्त या परास्त हो जाने से ही है।

मगर बहुत मुमकिन यह भी है कि शाने का ही रूपभेद खाने हुआ हो। भारत-ईरानी परिवार में श का रूपान्तर ख होता है।

 [अगली कड़ी में इन्हीं सदर्भों से मिलते जुलत कुछ और शब्दों पर चर्चा]

12 comments:

  1. बहुत आभार इस ज्ञानवर्धन के लिए. शब्द कम पड़ते हैं आपका आभार कहने को.

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  2. Khanakharab hai ka upyog kayee Hindi film shayri mei bhee hua hai ..
    Jaankari ka shukriya !

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  3. खाना शब्द का मूल अर्थ है- रिक्त स्थान। बाकी सभी अर्थ उस के प्रयोग से विकसित हुए हैं। इस शाने शब्द का भी यही अर्थ होना चाहिए।

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  4. क़ैदख़ाना , बजाजख़ाना,नक्क़ारख़ाना -- क्या इनके साथ पैखाना या पायाखाना का कोई सम्बन्ध है?
    और खोह जो हम व्यवहार करते हैं क्या वो इस कोह से ही निकला है?
    आप से एक बात कहना चाहता हूँ कि आप अपने ब्लाग पर शब्दों के इस सफर का कुछ वर्गीकरण (जैसे आपने बाकलाम्खुद का किया है) करदें तो भविष्य मे भी बहुत लाभदायक हो जायगा. इतना कुछ पढ़ कर सब मेरे जैसे को याद रहता नहीं है. जब भी खोजना हुआ आसानी से खोज सकेंगे.

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  5. बालकिशन जी खाना याना पार्ट यानी हिस्सा या कमरा या जगह.ये पैखाना वाला शब्द हिंदी मे आ गया है पर था नही :)

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  6. बहुत बढ़िया जानकारी रही.. कोटि कोटि धन्यवाद

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  7. यहां आकर ज्ञान अर्जन हो जाता है।

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  8. बहुत खूब है जी..
    खाना से हमें भी कुछ शब्द याद आ रहे हैं.. जैसे पेखाना.. :D
    वैसे आपका जब शीर्षक पढा था तब मन में एक गीत गूंज गया.. "जमाना खराब है.." :)

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  9. अजित जी,
    शब्दों के सफर की दीवानगी
    इस कदर बढ़ा दी है आपने कि
    अब ख़तरा-सा महसूस होने लगा है...
    खानाख़राबी का !
    इस पोस्ट का शुक्रिया समझकर
    ये शे'र मुलाहिज़ा फरमाइए -
    ================================
    ऐतिबारे इश्क की खानाख़राबी देखिए
    गैरों ने की आह और वो खपा हमसे हो गए
    ================================
    हरदम सफ़र का हमदम
    डा.चंद्रकुमार जैन

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  10. वो एक लफ्ज़ देखिये ..अपने कितने मतलब निकाल गया .....

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  11. ५-६ साल पहले से आपने लिखा होता तो हम हिन्दी ही पढ़ते कहाँ गणित के चक्कर में फस गए :-)

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  12. आपकी शब्दार्थ प्रक्रिया अद्भूत है. बारंबार रमने का मन करता है.

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