

अट्टालिका शब्द बना है सस्कृत धातु अट्ट से जिसका मतलब होता है सीमा लांघना, ऊंचा, निरंतर। गौर करें कि अट्टालिका उसी इमारत को कहा जाता है जो सामान्य से काफी ऊंची हो। यानी सामान्य ऊंचाई का सीमोल्लंघन तो अट्टालिका में होता ही है। अट्टालिका से ही बने हैं अटारी, अटरिया जैसे लोक संस्कृति की महक में रचे-पगे शब्द जो न जाने कितने लोक गीतों में समाए हैं। सूनी अटरिया , ऊंची अटरिया में सांवरिया की

गैरमौजूदगी का उल्लेख अक्सर हिन्दी की तमाम बोलियों के विरह गीतों में सुना जाता है। अमृतसर भारत-पाक सीमा चौकी है अटारी । गौरतलब है कि आज चाहे ये दो देशों को जोड़ने वाला मार्ग है मगर किसी ज़माने में इसके नामकरण के पीछे अट्टालिका शब्द से जुड़ी समृद्धि ही झांक रही है। यूं अटारी का मतलब ऊपरी मंजिल, बालकनी , छत, कोठी, गुंबद या मीनार भी होता है। संस्कृत में आलय यानी आश्रय, निवास, घर या मकान को कहते हैं। अट्ट यानी ऊंचा सो अट्टालिका के ऊंचाई से संबंध से जाहिर है कि एक के ऊपर एक शिलाओं (ईंटों) के जमाव से बने मकान को ही अट्टालिका कहेंगे।
हिन्दी में सामान के अंबार को अटाला भी कहते हैं। गौरतलब है कि अब तो कबाड़ या फालतू चीज़ों के ढेर के लिए ही अटाला शब्द प्रचलित है। ये अटाला भी अट्ट से ही आ रहा है । अट्ट यानी ऊंचा। एक पर एक रखा हुआ। ठसाठस। यानी अटाला ऐसी जगह है जहां सामान अटा पड़ा हो। ऊंची अटारियों में जब सामान के अंबार लगेंगे तो अटाला भी होगा ही। और जहां सामान अटा पड़ा हो तो वहां से गुज़रना तो मुश्किल होगा ही सो अटकते अटकते ही जाना होगा। साफ है कि यह अटकना या

अट्टालिका में अटकते-भटकते अट्टहास भी सुनाई पड़ते हैं। अट्ट यानी ऊंचा और हास् यानी हंसी अर्थात ऊंचे सुर वाली हंसी हुई अट्टहास । अट्टहास का ही विपर्यय हुआ ठहाके में। क्रम कुछ यूं रहा होगा। अट्टहास>अट्ठहास>ठहास>ठहाक>ठहाका । तो साफ है कि ऊंची अटरिया और ठहाकों में क्या रिश्तेदारी है। हालांकि ये तो सिर्फ बात पैदा करने वाली बात है ठहाकों की रिश्तेदारी ग़रीब की झोपड़ी या अमीर की अटारी से नहीं बल्कि इंसान की ज़िंदादिली और खुशमिजाज़ी से है।
ये तो समझ गये कि ऊंची अटरिया और ठहाकों में क्या रिश्तेदारी है मगर यह बंदर कहाँ से लाये आप?? :)
ReplyDeleteबहुत बढ़िया..आभार इस जानकारी के लिए.
ईँट?
ReplyDeleteअट्टालिका में ठहाका और कुटिया में फाका. दोनों रूप दिखते हैं देश में.
ReplyDeleteअजित जी,
ReplyDeleteकितनी निराली हैं आपके सफर की राहें !
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चल गई कल छप्पन छुरी,
ठहाके आज लगा दिए !
अटारी से अट्टहास के,
सम्बन्ध भी बता दिए !
आभार
डा.चन्द्रकुमार जैन
चलो जी अब नोयडा वालो को अपने अट्टा मार्केट के नामकरण का पता तो चला :)
ReplyDeleteवाह जी!! ये लीजिए अट्टिप्पणी... टिप्पणियो का अंबार
ReplyDeleteये लीजिये हम "अट्टा मार्केट"के चक्कर इतनी बार लगा चुके ओर आज तक ये नही सूझा की नाम कैसे पड़ा ?जय हो गुरुदेव....
ReplyDeleteमान गए हम तो आपके ज्ञान के भण्डार को...हर बार एक नयी और रोचक जानकारी!अटल,अट्टालिका से अट्टहास तक....इजाफा ही इजाफा .
ReplyDeleteअट्टा मार्केट की ऊंची अट्टालिका के अंदर अट्टहास लगाना.. लिजीये अब मैंने अलंकार का भी प्रयोग कर लिया.. :)
ReplyDeleteवाह !
ReplyDeleteसर जी आप की क्लास कभी कभी मिस हो जाती है,
ReplyDeleteपर जब भी आती हूँ , लगता है उफ्फ सर जी की क्लास.......
बहुत रोचक जानकारी अट्टालिका, अटारी के बारे में....फलकबोस शब्द से परिचित नहीं थे. रोज पढने का फायदा यही है.
ReplyDeleteअजित भाई ,
ReplyDeleteबहुत बढिया !
अट्टहास और अट्टालिका
वाकई नज़दीक के रीश्तेदार निकले ! :)
- लावण्या
नया शब्द पता लगा - फलकबोस ।
ReplyDeleteअट्टालिका शब्द से श्री ओमप्रकाश आदित्य कि प्रसिद्ध व्यंग्य रचना याद आ गई --
अटृटालिका पर एक रमणी अनमनी से है अहो।
किस वेदना के भारा से संतप्त हो देवी कहो...
नोएडा का अट्टा बाज़ार तो शायद उस मज़ार के नाम पर है जिस अटृटा पीर कहते हैं और जो वहीं कोने में अब बड़ी-बड़ी अट्टालिकाओं के बीच नज़र नहीं आती।
बहुत बीन कर लाये हैं ,यह रोचक जानकारी !
ReplyDeleteघर की दुछत्ती यानी ऊँचे वाले हिस्से को इंगलिस्तान में लॉफ्ट कहते हैं. हंसी को लाफ्टर यानी ऊँची स्वर में हँसना. अँगरेज़ी में ऊँची इमारत या यहाँ तक कि क्रिकेट में ऊँचे शॉट को लॉफ्टी कहते हैं...ऊँचाई और हँसी का रिश्ता रिश्ता है.
ReplyDeleteहँसते रहिए और नई ऊँचाइयाँ छूते रहिए.
हा हा हा हा
1.We have village named 'Atta'in Punjab.According to the village legend it used to be called 'Atal-Ghar.
ReplyDelete2.Another village 'Atti' nearby.
3.two villages with name 'Atal-garh'
4. At least 10 At(t)aris