
अगर कहा जाए कि हाथी के पास भी हाथ होता है तो शायद कोई यकीन नहीं करेगा मगर हाथी के नामकरण के पीछे उसकी सूंड का ही हाथ है। दरअसल हाथी की सूंड ही उसका हाथ होती है । जितनी सफाई से इसके जरिये असंभव लगनेवाले काम करता है, इन्सान को उन्हें करने के लिए भारीभरकम मशीनों की ज़रूरत पड़ती है। संस्कृत में हाथ के लिए हस्तः शब्द है। हिन्दी का हाथ इससे ही बना है। हाथ कंधे से लेकर अंगलियों की पोरों तक समूचे हिस्से को कहते हैं। हाथ के अगले हिस्से के लिए हथेली शब्द हस्त+तल से बना है।
मनुश्य पैरों की बनिस्बत हाथों से ही अधिकांश कार्य व्यापार संपन्न करता है सो रोज़मर्रा की कुछ वस्तुओं के नाम भी इसी मूल से उपजे हैं जैसे हथोड़ा, हथोड़ी । किसी उपकरण की मूठ को हत्था या हत्थी भी कहा जाता है। हथियार,हथकरघा वगैरह भी इसी कड़ी में गिने जा सकते हैं। हाथ की महिमा मुहावरों में नज़र आती है । जितनी कहावतें या मुहावरे रूप को लेकर नहीं बने हैं उससे ज्यादा हाथ से बने हैं मसलन हाथ की सफाई ,हाथ से निकलना, हाथ लगना , हाथ आना, दो-दो हाथ करना , हाथ आज़माना, हाथ डालना , हाथ खाली होना, हाथ खुला होना , हाथ पीले होना आदि।
हस्तः से ही बना है हस्तिन् जिसका मतलब हुआ हाथ जैसी सूंडवाला। गौरतलब है कि वो तमाम कार्य , जो मनुष्य अपने हाथों से करता है , हाथी अपनी सूंड से कर लेता है इसीलिए पृथ्वी के इस सबसे विशाल थलचर का हाथी नाम सार्थक है। हस्तिन् का एक अर्थ गणेश भी होता है जो उनके गजानन की वजह से बाद में प्रचलित हुआ। हस्तिनी से बना हथिनी शब्द। श्रंगाररस के तहत साहित्य में जो नायिकाभेद बताए गए हैं उनमें से एक नायिका को हस्तिनी भी कहते हैं।
बहुत उम्दा जानकारी हमेशा की तरह. आभार. हाथ से हाथी-कभी इस ओर ध्यान ही नहीं गया.
ReplyDeleteजानकारी के लिये धन्यवाद, साथ ही हस्तिनी कही जानी वाली नायिका कैसी होती होगी इतना जरूर पता चल गया ;)
ReplyDeleteहाथी वाला मुहावरा भी बहुत प्रचलित है :)
ReplyDeleteहाथी के दांत खाने के और दिखाने के और।
ऐसी नायाब जानकारी को तो
ReplyDeleteकोई भी हाथों हाथ ले लेगा.
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सफ़र में साथ और हाथ का
वादा एक बार फिर...
बधाई
डा.चन्द्रकुमार जैन
अजित भाई, बहुत बढ़िया जानकारी हाथ लगी.
ReplyDeletejai ho maharaaj......
ReplyDeleteचलिए लगे हाथो ये जानकारी भी मिल गई !
ReplyDeleteहस्ति तो हस्ती है।
ReplyDeleteआप तो जिस शब्द पर हाथ आजमा रहे हैं, बस जादू कर दे रहे हैं।
ReplyDeletebahut hi sundar article. vaise hathi aur hath ka ek aur sampark bhi hai. Sanskrit me haath ke liye ek aur shabd hai "kar" aur hathi ke liye "kar-i" shabd ka prayog hua hai arthaat jiske paas "kar" ho. to haath aur haathi hi nahi, unke paryayvachi shabdo me bhi aise sambandh hain
ReplyDeleteअजित भाई
ReplyDeleteशुक्रिया ,
इन जानकारियोँ के लिये !
अजित जी !
ReplyDeleteआपकी ताज़ा और रौबदार
तस्वीर के लिए भी बधाई.
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डा.चन्द्रकुमार जैन
बहुत रोचक जानकारी मिली...अब तो हम सूँड को हाथी का हाथ ही कहेंगे... रायमिक जो है...
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