Tuesday, July 1, 2008

बेगुन बैंगन महाराज !

हुत कम होंगे जिन्हें सब्जियों का राजा बैंगन नापसंद होगा। बैंगन की बात ही निराली है। सब्जीमंडी में किसी एक सब्जी की एक साथ इतनी किस्में देखने को नहीं मिलती होगी जितनी बैंगन की। बैंगनी बैंगन, सफेद बैंगन , चितकबरा बैंगन, हरा बैंगन। खास बात ये कि इन सभी बैंगनों की लंबी, भरवा और भुरता भनानेवाली किस्में मिलती हैं। यानी एक दर्जन से तो ज्यादा हो गईं। सब्जी मंडी में एक साथ मासूम और शरारती सिफत वाली कोई चीज़ अगर है तो वह यही बैंगन महाराज हैं। और तो और इन पर कविताएं तक लिखी जाती रही हैं।

बैंगन को कई लोगों ने मुखसुख के आधार पर बेगुन अर्थात जिसमें कोई गुण न हो , कहा है। मगर ऐसा है नहीं। बैंगन में सिर्फ स्वाद ही नहीं गुण भी हैं और भारतीय मूल के इस फल (सब्जी) से चीन और मलेशिया में आंतों के रक्तस्राव का इलाज किया जाता है। बैंगन को सुपाच्य माना जाता है । हालांकि आयुर्वेद में बैंगन को वातवर्धक भी कहा गया है। बैंगन को अंग्रेजी में एगप्लांट (eggplant)या branjal भी कहते हैं। इसके मूल में है संस्कृत का वातिंगमः शब्द। इसे वातिंगण भी कहा जाता है। यह बना है वात+गम=वातिगमः से। संस्कृत में वात कहते हैं हवा या वायु को । जानकारों के मुताबिक शरीर में वायु से संबंधित विकारों को ही वात रोग कहते हैं और ये दर्जनों प्रकार के होते हैं। देशी ज़बान में इसके बाई, बादी वगैरह भी कहा जाता है। गठिया भी एक वात रोग है। संस्कृत धातु गम् का अर्थ जाना, गुज़रना, चलना-फिरना आदि होता है साथ ही भोगना, अनुभव करना , ग्रस्त होना आदि भाव भी इसमें समाए हैं। वातिंगमः के रूप में यही भाव उजागर होते नज़र आ रहे हैं। यानी बैंगन का नामकरण उसके वायुवर्धक गुणों की वजह से हुआ है। दुनियाभर की भाषाओं में बैंगन शब्द के अलग अलग रूप मिलते हैं मगर ज्यादातर के मूल में संस्कृत शब्द वातिंगमः ही है। संस्कृत से यह शब्द फारसी में बादिंजान(badin-jan) बनकर पहुंचा वहां से अरबी ज़बान में इसका रूप हुआ अल-बादिंजान (al-badinjan) । अरबी के जरिये ये स्पेनी में अलबर्जेना हुआ वहां से केटलॉन में aubergine और फिर अंग्रेजी में हुआ brinjal .

हिन्दी में ही , खासतौर पर मध्यभारत में बैंगन को भटा या भंटा भी कहने का चलन है । दरअसल यह बना है संस्कृत के वृन्तम् से । वृन्त से बना है वृन्तम् जिसका मतलब होता है किसी पौधे,फल, फूल या पत्ती का डंठल। वृन्त बना है वृ धातु से जिसका मतलब हुआ चुनना, छांटना आदि। गौर करें कि पौधों से फूल या फलों को चुनने या छांटने के लिए उसके डंठल को ही चुना जाता है और वहीं से उसे तोड़ा जाता है। संस्कृत में बैंगन का एक अन्य नाम है वृन्ताकः । बैंगन के सामान्य से लंबे और बड़े डंठल पर अगर गौर करें तो यह नाम सही साबित होता है। बैंगन के बड़े डंठल की वजह से ही उसे एक टांग का मुर्गा भी कहते हैं । वृन्ताकः से भटा बनने का क्रम वृन्ताकः > वन्टाअ  > भन्टा  > भटा रहा होगा।

19 comments:

  1. जबलपुर में तो इसे भटा ही कहा जाता है. हमारी तो प्रिय सब्जी है यह. भटे का भरता हो तो और कुछ नहीं चाहिये.

    अजित भाई,

    आप इतनी सहजता से इतनी बड़ी ज्ञान की बात कह जाते हैं कि बस हम सोचते रह जाते हैं. लगता है इतनी सरल सामन्जस्य की बात हम अब तक नहीं जानते थे. मगर फिर तुरंत ही अहसास हो जाता है कि यह आपकी रोचक शैली है जिससे सब कुछ सरल और सहज लगने लगता है वरना तो बूझ पाना अच्छे अच्छों के बस की बात नहीं है. बस, ऐसे ही बनाये रखिये. आपको शायद अंदाजा न हो कि आप कितने कितने साधुवाद के पात्र हैं. बहुत आभार आपका इस ज्ञान अलख को जलाये रखने का.

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  2. हाड़ौती में कहावत है, "भड़ जी भट्टा खावै औराँ ने पच बतावै"
    अर्थ है- भट्ट जी खुद तो बैंगन बड़े चाव से खाते हैं और दूसरों को उस के अवगुण बताते हुए न खाने की सलाह देते हैं।

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  3. आज तो बिल्कुल अलग
    जायका लेकर पेश हुआ है
    यह सफर-सोपान.
    समीर साहब ने
    जो कुछ कहा है वह
    सौ फीसदी सही है.
    =======================
    आभार
    चन्द्रकुमार

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  4. बैंगन तो हमारी भी प्रिय सब्जी है. इतने सारे गुणों को जानने के बाद कह सकते हैं, "मेरा बैंगन महान!"

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  5. अरे साहब भोजन भट्ट भी भटा खाने वाले के लिये ही बन शब्द है , क्या शानदार सब्जी है सारी सबजियो का राजा तभि तो मुकुट के साथ विराजता है :)

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  6. रोचक जानकारी के साथ साथ बादिंजान की स्वादिष्ट विधि ... शब्दों के सफ़र का यह नया रूप भी बहुत अच्छा लगा.

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  7. jai ho baigan ki......hame bharta bahut pasand hai.....

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  8. हमारे यहाँ इसे भंटा और बैंगन दोनों कहा जाता है... कुछ जगह पर शायद वांगी भी कहा जाता है... हमेशा की तरह रोचक सफर रहा.

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  9. रईस अमरोहवी साहब की चार लैना सुनिये अजित भाई:

    अगर सरकार बैंगन के मुख़ालिफ़ है तो फिर बैंगन
    मुज़िर है और अगर हज़रत मुआफ़िक़ हैं तो हाज़िम हैं
    बहर सूरत नमक ख़्वारों को बैंगन से तअल्लुक क्या
    कि हम सरकार के नौकर हैं हज़रत के मुलाज़िम हैं

    (मुज़िर: नुकसानदेह)

    ... एक बार और शानदार लज़्ज़तदार पोस्ट आपकी.

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  10. उम्म्म ! शानदार !

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  11. बढियां जानकारी ,संस्कृत का नामकरण कितना सटीक है .वस्तु के गुणधर्म के आधार पर .बैगन निश्चय ही वात विकार वाला है .
    यहाँ वनारस से सेट रामनगर का भुर्ते वाला भंटा मशहूर है -एक भाटा ही कई कई किलो का .
    और स्थानीय रामेश्वर में लोटे भनटे का मेला तो मशहूर है .

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  12. @उड़नतश्तरी
    तारीफ़ कुछ ज्यादा हो गई समीर भाई मगर हमने संपादित कर ग्रहण भी कर ली और आपका शुक्रिया भी अदा कर दिया :)
    @दिनेशराय द्विवेदी
    वाह ! ये हुई न बात !! शुक्रिया दिनेशजी, हाड़ौती की एक धांसू कहावत याद दिलाने के लिए। ये कहावत कोटा में सुन चुका हूं मगर बरसों से हाड़ोती के सम्पर्क में नहीं रहने से ये संदर्भ याद नहीं आया। शुक्रिया फिर से ।
    @अभिषेक ओझा
    सही कहा आपने। मराठी में इसे वांगे या वांगी ही कहते हैं। इसके अलावा भारतीय भारतीय और सेमेटिक परिवार की भाषाओं में इससे मिलते जुलते कई नाम हैं।
    @अशोक पांडे
    जय हो अशोकजी की। क्या लज्जतदार शायरी सुनवाई है आपने। हमारी ये बैंगनी पोस्ट और भी समृद्ध हो गई आपकी शायारी और दिनेशजी की कहावत से।

    @घोस्टबस्टर, प्रत्यक्षा, अरविंद मिश्रा, अनुराग आर्य, मीनाक्षी और अरुण जी का बहुत बहुत आभार बैंगन को पसंद करने के लिए :)

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  13. आनंद आ गया .शुक्रिया !

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  14. बैंगन का भरवाँ मुझे बेहद पसंद है। बैंगन के बारे में जानकारी ले लिए शुक्रिया। पर आलू के रहते बैंगन को आप सब्जियों का राजा तो ना कहें :)

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  15. बैँगन तुझमेँ ३ गुण,
    रुप रँग और स्वाद !
    बडा अच्छा है ये आलेख -
    - लावण्या

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  16. बैंगन, अहा हा..बैंगन !


    यह जान कर सुखद आश्चर्य हुआ कि बैंगन जी भारतीय मूल के हैं,
    वरना मैं तो सोलेनेसी परिवार की सब्जियों को विदेशी मूल का ही
    मानता था ।


    दिनेश जी, आपका मुहावरा तो बड़ा जानदार है, क्या कहने,
    भड़ जी भट्टा खावैं...

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  17. बैंगन की तारीफ और साथ में इतनी जानकारी भी. मुंह में पानी आ गया.

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  18. अभी मेरे पेट में यही सब्जी पच रही है, बड़े मजे लेकर खाया था. मुझे तो इसके बैंगनी रंग के फूल भी बहुत पसंद हैं.

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  19. भटे का नरुआ, मछली का तरुआ....

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