Sunday, July 6, 2008

नायक, खलनायक और नायिका

नेत्र के अलावा आंख का एक और पर्यायवाची शब्द है नयन। हिन्दी की अन्य बोलियों में इसके लिए नैन और नैना जैसे शब्द भी प्रचलित हैं। नयन का जन्म संस्कृत धातु नी से हुआ है जिसका अर्थ ले जाना, मार्गदर्शन करना, संचालन करना आदि है। नी से बना नयः और फिर बना नयनम् । गौरतलब है कि शरीर के सभी हिस्सों यानी अंगों के संचालन का काम दृष्टि के जरिये होता है और चूंकि दृष्टि का गुण आंखों के पास होता है इसलिए उन्हें नयनम् की संज्ञा मिली जो हिन्दी में नयन कहलाए।

ह जानना दिलचस्प होगा कि न्याय की जिस देवी की आंखों पर हमेशा पट्टी बंधी होती है उस न्याय और नयनों का जन्म एक ही मूल से हुआ है। नी धातु से ही बने न्याय का मतलब नीति, नियम, कानून, इंसाफ आदि है। यही नहीं राजनीति , शास्त्र, सुशासन , सच्चाई और ईमानदारी जैसी बातें भी इसके अंतर्गत आती हैं। न्याय के अर्थ में उक्ति है ‘नियन्ति अनेन’ यानी वह प्रणाली अथवा तरीका जिससे उचित निर्णय की ओर जाया जा सके वही न्याय है।

नी धातु से बने नयः का मतलब प्रदर्शन करना ,बताना, निर्देशन करना भी है । नयः में उपसर्गों के लगने से कई नए शब्द बनें जैसे अभिनयअभि उपसर्ग लग जाने से यहां अर्थ हुआ आंगिक चेष्टाओं का प्रदर्शन अथवा मनोभावों को नेत्रों या अन्य शारीरिक संकेतों से दिखाना। इसके बाद नायक , नायिका अथवा खलनायक शब्दों का जन्म हुआ।

यः के साथ शासन, नीति, सिद्धांत, विचार जैसे अर्थों के चलते भी कुछ नए शब्द जन्मे जैसे राजनय जिसका अर्थ हुआ राजनीति। अर्थात शासन को संचालित करने वाली प्रणाली। भारत के संदर्भ में देखें तो राजनय का मतलब डिप्लोमेसी होता है जबकि राजनीति का अर्थ पालिटिक्स है। इसी तरह नयः में जब वि उपसर्ग लगता है तो विनय शब्द बनता है जिसका मतलब होता है श्रद्धा , विनम्रता और सौजन्यता। विनय के इस अर्थ में समाहित है नीति और सिद्धांत के भाव। इसके अन्य अर्थों में शिक्षण,प्रशिक्षण और अनुशासन भी शामिल हैं । [संशोधित पुनर्प्रस्तुति]

आपकी चिट्ठियां

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@डॉ अमरकुमार
डॉक्टर साहेब , आपका सवाल वाजिब है और गलती मेरी है। दरअसल शब्द व्युत्पत्ति और भाषा के संदर्भ में हमेशा भाषा-परिवारों का उल्लेख आता है। भाषा वैज्ञानिकों ने भाषाओं के अध्ययन के लिए दुनियाभर की भाषाओं को कुछ परिवारों में बांटा है जिनमें से एक है इंडो-यूरोपियन लैंग्वेज फैमिली। इसे ही भारतीय यूरोपीय भाषा परिवार कहा जाता है। हिन्दी के विद्यार्थी इसके संक्षिप्त रूप "भारोपीय" शब्द से परिचित हैं । मगर यह सामान्य बात नहीं है और शब्दों का सफर विषय विशेष के लोगों के लिए नहीं बल्कि सामान्य पाठकों के ही लिए है सो गलती मेरी है। कोशिश करता हूं कि अगली किन्हीं कड़ियों में भाषा परिवारों के बारे में जानकारी दे सकूं। शुक्रिया। सफर में बने रहें।

8 comments:

  1. ईतनी सटीक जानकारी देने के कारण ही ये मेरे पसंद के ब्लागों में से ऐक है, हिंदी या हिन्दी मुद्दे पर अटका था कि आपके ब्लाग ने उस पर जानकारी देकर ऐक बडी राहत दी। जानकारी के लिए धन्यवाद...जारी रखें।

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  2. एक महत्वपूर्ण शब्द विनायक छूट गया है। संभवत अधिक स्थान चाहेगा।

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  3. ये भी बढिया रहा - धन्यवाद !

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  4. वाह नायिका से खलनायक, अधिनायक... विनायक तो सबके बैकग्राउण्ड में हैं ही।
    नालायक भी आस-पास ही होगा!

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  5. Nayak ki nayaki se nayika ke nayanon tak... beech mein khalnayak ki upasthiti... waah!

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  6. सरसरी ही सही कई चीज़ें देख गया .आपकी काविशों और कोशिशों को देख तबियत खुश हो गयी .
    पोस्ट जेहन नशीं होने की कुवत रखते हैं .दुआ यही है ,जोर-कलम और ज्यादा .कभी फ़ुर्सत मिले तो इस लिंक पर भी जाएँ और अपनी कीमती राय से नवाजें .www.shahroz-ka-rachna-sansaar.blogspot.com और www.hamzabaan.blogspot.com
    जनाब आपका ब्लॉग है बहुत एतिहासिक .मुबारक हो .अल्लाह नज़र-बद से बचाए .आमीन.

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  7. दर्शन की एक परिभाषा है -
    दृश्यते अनेन इति दर्शनम्.
    ====================
    जानकारी अच्छी लगी.
    डा.चन्द्रकुमार जैन

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  8. बहुत खूब ...पोस्ट के दो चित्र जिन्हे हमारे नयन देख रहे है और महसूस कर रहे है कि नायिका के सपनीले नयन जहाँ मन को सुकून देते है तो खलनायक के नकारात्मक भाव लिए नैन मन को विचलित कर रहे हैं...

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