रुद्र से मिला रावण को रौद्र भाव | ![]() | ![]() |
रावण शब्द का कलरव से क्या रिश्ता हो सकता है ? कलरव बहुत सुंदर शब्द है जिसका मतलब है मधुर आवाज़। चिड़ियों का चहचहाना। पक्षियों की कूजनध्वनि । कल यानी चिड़िया और रव यानी ध्वनि, आवाज़। रव बना है संस्कृत की ‘रु’ धातु से जिसके मायने हैं शब्द करना, आवाज़ करना । खास बात यह कि इसमें सभी प्रकार की ध्वनियां शामिल हैं। मधुर भी, तेज़ भी, कर्कश भी और भयावनी भी। और अगर कहीं कोई ध्वनि नहीं है तो इसी रव में ‘नि’ उपसर्ग लगाने से सन्नाटे का भाव भी आ जाता है। यही नहीं, विलाप करते समय जो ध्वनि होती है उसके लिए भी यही ‘रु’ धातु में निहित भाव समाहित हैं।
हिन्दी में रोना शब्द ही आमतौर पर विलाप के अर्थ में इस्तेमाल होता है। रोना बना है संस्कृत के रुदन, रुदनम् से जिसका मतलब है क्रंदन करना, शोक मनाना , आँसू बहाना आदि है। अरण्य रोदन यानी बियाबान में क्रंदन करना जिसे कोई न सुन सके। यह एक मुहावरा भी है जिसका मतलब होता है कोई सुनवाई न होना । रुआंसा शब्द इसी कड़ी से जन्मा है। ‘रु’ में शोर मचाना, चिंघाड़ना, दहाड़ना आदि भी शामिल है। इससे ही बना है संस्कृत शब्द रावः जिसका मतलब है भयानक ध्वनि करना। चीत्कार करना। चीखना-चिल्लाना। हू-हू-हू जैसी भयकारी आवाज़ें निकालना आदि। रावः से ही बना है रावण जिसका अर्थ हुआ भयानक आवाजें करने वाला, चीखने-चिल्लाने वाला, दहाड़ने वाला। ज़ाहिर है यह सब संस्कारी मानव के सामान्य क्रियाकलापों में नहीं आता। किसी मनुश्य का अगर ऐसा स्वभाव होता है तो उसे हम या तो पशुवत् कहते हैं या राक्षस की उपमा देते हैं। ज़ाहिर है कि रावण तो जन्मा ही राक्षस कुल में था इसलिए रावण नाम सार्थक है।
एक दिलचस्प संयोग भी है। रावण को रुद्र यानी शिव का भक्त बताया जाता है और रुद्र की कृपादृष्टि के लिए रावण द्वारा घनघोर तपस्या करने का भी उल्लेख है। रुद्र यानी एक विशेष देवसमूह जिनकी संख्या ग्यारह है। भगवान शिव को इन रुद्रों का मुखिया होने से रुद्र कहा जाता है। रुद्र भी बना है रुद् धातु से जिसका मतलब भयानक ध्वनि करना भी है। इससे रुद्र ने भयानक, भयंकर, भीषण, डरावना वाले भाव ग्रहण किए ।
यानी रावण और रुद्र दोनों शब्दों का मूल और भाव एक ही हैं। भयानक – भीषण जैसे भावों को साकार करने वाला रौद्र शब्द इसी रुद्र से बना है। रावण ने रुद्र की तपस्या कर किन्ही शक्तियों के साथ रौद्र भाव भी अनायास ही पा लिया।
कथाओं में रावण की विद्वत्ता की बहुत बातें कही गई हैं । बताया जाता है कि कृष्णयजुर्वेद रावण द्वारा रचित वेदों पर टिप्पणियों का ग्रंथ है। इसमें इंद्र के स्थान पर रावण ने अपने आराध्य रुद्र की महिमा गाई है। इस ग्रंथ की सामग्री बाद में यजुर्वेद से जुड़ गई जिन्हें शतरुद्री संहिता कहा गया और तभी से रुद्र के साथ शिव नाम भी प्रचलित हुआ। वाल्मीकी ने भी रावण को वेदविद्यानिष्णात कहा है। रावण की गणना कुशल राजनीतिज्ञों में होती है। कहते हैं कि कुशध्वज ऋषि की कन्या वेदवती से रावण ने अनुचित व्यवहार करना चाहा था तब उसने शाप दिया था कि सीता के रूप में पुनर्जन्म लेकर वह उसके सर्वनाश का कारण बनेगी।
रावण का कुनबा-
• पितामह-पुलस्त्य ऋषि • पिता-विश्रवा • माता- कैकशी या केशिनी • पत्नियां-1.मंदोदरी 2.धान्यमालिनी • पुत्र-इंद्रजित सहित पांच अन्य पुत्र • बहनें-1.शूर्पणखा 2.कुंभीनशी • भाई-1.कुभकर्ण 2.विभीषण 3.मत्त 4.युद्धोन्मत्त • सौतेला भाई-कुबेर • अन्य नाम- पौलस्त्य, दशग्रीव, दशानन, दशमुख, दशवदन आदि
संशोधित पुनर्प्रस्तुति-पिछले साल विजयादशमी पर प्रकाशित इस पोस्ट पर तब Gyandutt Pandey,महेंद्र मिश्रा,Udan Tashtari और vinod की टिप्पणियां आईं थीं।
दशहरे पर
ReplyDeleteरावण का सफर
सिर्फ जलाना ही नहीं
जानना भी अगर हो तो
पधारिये शब्दों के सफर पर
सिर्फ रावण ही नहीं
इससे जुड़े
जलाना, पुतला, दहन इत्यादि
की भी यात्रा कराई जा सकती है
यही तो है खूबी
शब्दों के सफर की
खूबी की खासियतें
बखूबी पता लग पायेंगी।
रुद्र और रावण का संबंध जग जाहिर है। लेकिन अंतर? शायद एक का शिव और दूसरे का अशिव होना है।
ReplyDeleteरोचक लगा यह पढ़ना
ReplyDeleteसही लिखा।
ReplyDeleteविजय दशमी पर्व की बहुत बहुत शुभ कामनाऍ.
बहुत सटीक और प्रासंगिक पोस्ट.
ReplyDeleteरावण के कुनबे की जानकारी तो
इस प्रस्तुति की अलग खासियत है.
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आभार
डॉ.चन्द्रकुमार जैन
रावण की विद्वता जो जग विख्यात है। अन्त समय राम जी नें रावण की बात सुनने लक्ष्मण जी को प्रेरित किया था।
ReplyDeleteपर रावण की विद्वता शुष्क लगती है।
रावण के बारे में बहुत जानकारी मिली यह लेख पढ़कर!
ReplyDeleteहे राम! रावण पर भी इतनी गंभीर और रोचक जानकारी. पर चित्र में दशानन का एक सर कम गिनने में आ रहा है. भला क्यों?
ReplyDeleteविजयादशमी की शुभकामनाएं.
i just writedown this knowalgeble post
ReplyDeleteregards
विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनांयें
ReplyDeleteआप को विजया दशमी की शुभकामनाएँ भेज रही हूँ
ReplyDelete"रव" करते रावण को निर्वाण मिला रामजी की कृपा से और रुद्र शिव के अनुग्रह के लिये की हुई तपस्या करने से
स स्नेह्,
- लावण्या
शायद आपकी पहली पोस्ट है जिसमें की कई बातें पहले से पता थी... रोने वाली बात शायद गीता प्रेस के बाल्मीकि रामायण के अर्थ में कहीं दिया हुआ है. कहते हैं जब रावण ने कैलास उठाया तब उसका अंगूठा दब गया और उसने भयंकर रुदन किया तब से ही उसका नाम रावण हुआ.
ReplyDeleteमुझे कितनी अच्छी लगी यह पोस्ट,मैं बता नहीं सकती....
ReplyDeleteअभी और कुछ कहते नहीं बन रहा...इसलिए बस प्रणाम और आभार व्यक्त करती हूँ...
आपसे आग्रह है कृपया इस प्रकार के और भी पोस्ट डालिए न...