Friday, December 26, 2008

दिनार से अशर्फीलाल तक [सिक्का-3]



अशरफ़ दरअसल बना है शरफ़ से जिसका अर्थ होता है श्रेष्ठता ,उच्चता,कुलीनता आदि।
बादशाहों-सुल्तानों के किस्से कहानियों में अक्सर अशरफी का उल्लेख होता रहा है। यह सोने की एक मुद्रा थी जो सुदूर मिस्र से लेकर भारत तक मशहूर थी मगर भारत में अशरफी का चलन शायद ही कभी रहा हो। पुराने ज़माने में बादशाह जब किसी पर कृपालु होते तो उसे अशरफियों की थैली भेंट देते थे। कई किस्सों में सुना गया है कि दरबारी शायरों और कवियों को हर पंक्ति पर एक – एक अशरफी ईनाम में मिलती थी।

शरफी चाहे किस्सों में बेहद मशहूर रही हो, मगर अर्थव्यवस्था में यह मुद्रा कभी टिकाऊ नहीं रही और दिनार का ही सिक्का जमा रहा। अशरफी के तौर पर अपनी पहचान बनाने वाली इस प्रसिद्ध स्वर्णमुद्रा का यह नाम दरअसल मिस्र के एक प्रसिद्ध सुल्तान के नाम पर पड़ा। अल अशरफ अद-दीन बर्सबी (1422 -1438) इतिहास में कई प्रशासनिक सुधारों के लिए जाना जाता है। मौद्रिक सुधार के तहत ही उसने तब प्रचलित स्वर्ण मुद्रा दिनार की जगह एक नई मुद्रा चलाई जो 3.3 ग्राम वज़न की थी। अशरफी मूलतः दीनार ही थी मगर फर्क सिर्फ उसके आकार और वज़न का था। तब प्रचलित दीनार का वज़न 4.25 ग्राम होता था। अशरफी का सही नाम दरअसल अशरफी दिनार ही था।

शरफी के जन्म के पीछे अरबी ज़बान का अशरफ शब्द है। अशरफ का अर्थ होता है भद्र , सज्जन, शिष्ट अथवा आदर्श। सेमेटिक भाषा परिवार के इस शब्द के आगे-पीछे और भी कई शब्द हैं जो अरबी, फारसी, उर्दू हिन्दी में प्रचलित हैं। अशरफ़ दरअसल बना है शरफ़ से जिसका अर्थ होता है श्रेष्ठता ,उच्चता,कुलीनता आदि। सज्जन अथवा कुलीन के अर्थ में शरीफ जैसा शब्द जो बोलचाल की हिन्दी में खूब रचा-बसा है। इससे ही बना है शराफत शब्द जो सभ्यता, कुलीनता, भद्रता के अर्थ में प्रचलित है। अशरफ का शुद्ध रूप दरअसल अश्रफ है। इसी तरह अशरफी हुआ अश्रफी मगर ये दोनो ही रूप हिन्दी को अमान्य हैं। इससे कुछ फर्क भी नहीं पड़ता । मुशर्रफ़ भी इसी कड़ी का शब्द है जिसका मतलब होता है सम्मानित, सरल, कुलीन। वैसे अशरफ शब्द फारसी मूल का भी बताया जाता है और अवेस्ता के अशर से भी इसकी व्युत्पत्ति बताई जाती है जिसका अर्थ होता है परम, शुद्ध या सात्विक। गौरतलब है कि अशरफी ने चाहे दिनार की जगह नई मुद्रा के रूप में जन्म लिया मगर वह ज्यादा दिनों तक बाज़ार को गर्म नहीं रख पाई अलबत्ता कहानियों के ख़जाने में आज भी अशरफ़ी की खनक मौजूद है । शरफ़ से बने अशरफ़ और मुशर्रफ़ तो व्यक्तिनाम के तौर पर प्रचलित हैं ही, मजे की बात यह भी कि अशरफ़ से बनी अशरफ़ी भी भारत-पाकिस्तान में अशर्फ़ीलाल बनकर चल रही है।

... एशियाई मुल्कों के अलावा कुछ यूरोपीय देशो जैसे यूगोस्लाविया, अल्बानिया, सर्बिया आदि में भी दिनार का चलन है...

ब बात दिनार की। ईसापूर्व 45 से लेकर ईसा के बाद चौथी – पांचवीं सदी तक रोमन साम्राज्य से भी भारत के कारोबारी रिश्ते रहे । भारत के पश्चिमी समुद्र तट के जरिये ये कारोबार चलता रहा । भारतीय माल के बदले रोमन अपनी स्वर्ण मुद्रा दिनारियस में भुगतान करते थे। ये व्यापारिक रिश्ते इतने फले-फूले कि दिनारियस लेन-देन के माध्यम के रूप में बरसों तक दिनार के तौर पर डटी रही। कनिष्क के ज़माने (98 ई) का एक उल्लेख गौरतलब है...भारतवर्ष हर साल रोम से साढ़े पांच करोड़ का सोना खींच लेता है... जाहिर है यह उल्लेख रोमन स्वर्णमुद्रा दिनारियस का ही है। रोम में तब भारतीय मसालों और मलमल की बेहद मांग थी। ग्रीकोरोमन दिनार यूं तो स्वर्णमुद्रा थी मगर उसमें पच्चीस फीसदी चांदी भी होती थी। भारत से गायब होने के बावजूद यह आज भी हिन्दी के शब्दकोशों संस्कृत शब्द दिनार के रूप में स्वर्णमुद्रा के अर्थ में डटी हुई है। आप्टे के संस्कृत कोश में भी यह दीनार के रूप में है और इसका उल्लेख सिक्के के साथ साथ आभूषण के तौर पर भी हुआ है। इसी तरह उर्दू-फारसी शब्दकोश में इसे फारसी शब्द बताया गया है। दिलचस्प बात यह कि मुद्रित शब्दकोशो में इसके ग्रीकोरोमन संदर्भ का उल्लेख नहीं है।

दिनार आज भी दुनिया के कई मुल्कों की प्रमुख मुद्रा है। ज्यादातर अरबी मुल्कों में दिनार चलती है। दिलचस्प ये कि किसी ज़माने की स्वर्णमुद्रा आज सिर्फ काग़जी मुद्रा बन कर रह गई है। हालांकि दिनार सिक्के के तौर पर भी प्रतीक मुद्रा बन कर विराजमान है मगर इसका कारोबारी रूप तो नोट की शक्ल ले चुका है। एशियाई मुल्कों के अलावा कुछ यूरोपीय देशो जैसे यूगोस्लाविया, अल्बानिया, सर्बिया आदि में भी दिनार का चलन है। आखिर क्यों न हो, दिनार की जन्मभूमि तो यही है। ये अलग बात है कि इसका ग्रीक उच्चारण दिनारियस अब प्रचलित नहीं है और यहां भी दिनार का ही सिक्का चल रहा है।


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11 comments:

  1. बहुत लाजवाब जानकारी ! ऐसा लग रहा है कि शब्दो को समझ रहे हैं !

    रामराम !

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  2. बढ़िया जानकारी !
    घुघूती बासूती

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  3. आज भी निकाह के समय मेहर अशर्फियों में ही मापी जा रही है।
    चार दिन बाद शब्दों का सफर देखने को मिला है।

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  4. दिनेशभाई शुक्रिया...ये सफ़र चार दिनों से इंटरनेट की तलाश में भटक रहा था...

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  5. बहुत रोचक.. ज्ञानवर्धक..

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  6. शब्दों का शाब्दिक अर्थ और उनके अर्थ का भी अर्थ सिर्फ़ शब्दों का जादूगर ही बता सकता है जो निसंदेह आप हो .

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  7. आप की जानकारी के समक्ष हम नतमस्तक हैं....बहुत विरले लोग ही आप जितने ज्ञान वान् हैं...आप के ब्लॉग पर हमेशा ही कुछ नया सीखने को मिलता है...
    नीरज

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  8. प्रणाम आपकी मेहनत और लगन को। हम तो निरन्तर जानकार होते जा रहे हैं।

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  9. बढ़िया ज्ञानवर्धक.जानकारी !

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  10. बादशाह अल अशरफ अद-दीन बर्सबी (1422 -1438) से मिलकर खुशी हुई :)
    अशरफ नामका एक लड़का याद आ गया -
    बहुत पहले मिले थे -
    जब वह एक अच्छा squash game player था

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  11. ये भी कमाल है भाई.
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    लाट साहब के बाद अशर्फीलाल !
    आभार
    डॉ.चन्द्रकुमार जैन

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